इस साल बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख ख़ान की मोस्ट अवेटेड फ़िल्म, रईस रिलीज़ होने वाली है. फ़ैन्स काफ़ी उत्साह से फ़िल्म का इंतज़ार कर रहे हैं. इस फ़िल्म में शाहरुख के लुक्स की तारीफ़ हो रही है. लेकिन इस लुक्स की वजह से शाहरुख के कैरेक्टर को एक डॉन के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है.
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80 के दशक में अब्दुल लतीफ़ नाम के एक डॉन ने गुजरात पर अपनी पकड़ बनाई थी. काफ़ी गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अब्दुल ने बहुत जल्दी जान लिया था कि इस दुनिया में पैसा पूजा जाता है. उसने 10 साल की उम्र से शराब की कालाबज़ारी शुरू कर दी. वक़्त बीता और अब्दुल गुजरात जैसे ड्राई स्टेट का सबसे बड़ा शराब सप्लायर बन गया.
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शराब की कालाबज़ारी से आगे बढ़ कर उसने ड्रग्स, हवाला जैसे कामों में भी अपने हाथ आज़माए. इन सब के बावजूद गुजरात में लोग इसे किसी मसीहा से कम नहीं समझते थे. गरीबों को पैसे बांटना, लड़कियों की शादी और बेरोजगार लोगों को काम देना. अब्दुल हर मदद मांगने वाले की ज़रूरत पूरी करता.
अपने काले कारोबार से करोड़ों रुपये बनाने वाले अब्दुल ने राजनीति में भी कदम रखा. तीन बार उसने वॉर्ड कॉउंसलर का चुनाव भी जीता. लेकिन हर बार चुनाव को सरकार द्वारा निलंबित घोषित कर दिया जाता. लेकिन इससे भी अब्दुल के चाहने वाले कम नहीं हुए थे.
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इन सब के बावजूद अब्दुल किसी जल्लाद से कम नहीं था. गुजरात में जो भी गैंग उसके खिलाफ़ खड़ा हुआ उसकी हत्या कर दी गई. अपने बढ़ते वर्चस्व के कारण गुजरात के बाहर भी अब्दुल का सिक्का चलने लगा. 1993 में हुए मुंबई ब्लास्ट में दाऊद के साथ अब्दुल लतीफ़ का भी नाम आया.
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1995 में उसे हिरासत में लिया गया और साबरमती जेल में भेज दिया गया. जब अब्दुल को पकड़ा गया था तक हत्या, आतंकवाद, अपहरण के उस ऊपर कुल 98 मामले दर्ज थे. 1997 में अब्दुल लतीफ़ ने जेल से भागने की कोशिश की और वही उसके अंत का कारण बनी. जेल से भागते वक़्त ही किसी अंजान शख़्स ने उसे गोली मार दी.
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जब फ़िल्म में शाहरूख के इस लुक को अब्दुल लतीफ़ के साथ जोड़ा गया, तो फ़िल्म निर्माताओं ने इससे साफ़ इनकार दिया. कहा गया कि ये फ़िल्म किसी असल गैंगस्टर के ऊपर नहीं बनी है, हां हो सकता है कि किरदार का लुक अब्दुल लतीफ़ से मिलता हो.