जब बच्चे छोटे और असहाय होते हैं, तो मां-बाप उनका मल-मूत्र साफ़ करने से लेकर हर काम ख़ुशी-ख़ुशी करते हैं. मां उन पर अपनी नींदे कुर्बान करती है कि बच्चा रात में भूखा न रहे. दुःख होता है ये देख कर कि कैसे ये ही मां-बाप बुढ़ापे में बच्चों के लिए बोझ बन जाते हैं. हाल ही में अभिनेत्री गीता कपूर से जुड़ी ऐसी ही ख़बर आई थी. उनके बच्चे उन्हें बीमारी की हालत में अस्पताल में बेसहारा छोड़ कर भाग गए थे. अब ख़बर आई है कि उन्हें मुम्बई के एक वृद्धाश्रम में शिफ़्ट किया जा रहा है.

सबसे दुखद तो ये है कि वो अब भी अपने बेटे का नाम पुकार रही हैं वो बिलख-बिलख कर कहती हैं “मेरा बेटा नीचे ही होगा, वो मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता.”

गीता को अंधेरी वेस्ट के एक वृद्धाश्रम में भेजा जा रहा है. गीता कपूर ने 100 से भी ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया है. हिंदी सिनेमा की क्लासिक फ़िल्मों में से एक, ‘पाकीज़ा’ में काम कर चुकी पूर्व अभिनेत्री गीता कपूर को अस्पताल में भर्ती करवाकर उनके बच्चे उन्हें किस्मत के भरोसे छोड़ गए थे. गीता 1 महीने से अस्पताल में भर्ती थीं और उनके अस्पताल का बिल, 1.5 लाख से अधिक हो गया था, पर उनके बेटे, राजा कपूर का कोई पता नहीं था.

गीता कपूर ने बताया,

‘मेरा बेटा मुझ पर हाथ उठाता था. मुझे 4 दिनों में एक बार खाना मिलता था और कई बार मुझे कमरे में बंद भी कर दिया जाता था. मैं वृद्धाश्रम में रहने के लिए तैयार नहीं थी, इसीलिए ये पूरा खेल रचा गया. उसने मुझे भूखा रखा ताकि मैं बीमार हो जाऊं. उसके बाद उसने मुझे एडमिट करवा दिया और मुझे छोड़कर भाग गया.’

गीता का इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया,

‘राजा, गीता को एडमिट करवाने के लिए लाया और उसने ख़ुद को एक आर्मी ऑफ़िसर बताया. उसे पैसे देने और Formalities पूरी करने के लिए कहा गया. ATM से पैसे निकालने के बहाने से वो अस्पताल से बाहर गया और वापस नहीं आया.’

CBFC के सदस्य, अशोक पंडित और फ़िल्मकार रमेश तौरानी ने गीता के अस्पताल के बिल भरे हैं. 

अशोक पंडित ने बताया कि गीता को जीवन आशा ओल्ड एज होम में भेजा गया है. अब उनकी हालत स्थिर है, लेकिन वो अकसर रो-रो कर अपने बेटे के बारे में पूछती हैं. उन्हें समझाना मुमकिन नहीं है. उन्हें एक प्रतिष्ठित ओल्ड एज होम में भेजा जा रहा है, जहां उनका ठीक से ख़याल रखा जायेगा.