बॉलीवुड में अति टैलेंटेड अभिनेताओं में से एक हैं अपने ‘कालीन भैया’ यानी पंकज त्रिपाठी. एक ऐसा नाम, जिसके साथ ही सम्मान शब्द जुड़ गया है. पंकज, बिहार के गोपालगंज के एक छोटे से गांव से दिल्ली तक अपने सपनों का बोझ लेकर आए और उन्हें सच भी किया. 

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रोल कोई भी हो, उसमें जान डाल देते हैं पंकज. स्वभाव से जितने नर्म, अभिनय उतना ही दमदार. चाहे वो ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ में सुलतान का किरदार हो, या अभी Hotstar पर आ रहे Criminal Justice में वक़ील का किरदार हो. पंकज बाबू ने ज़बरदस्त परफ़ॉर्मेंस दी है. 

Criminal Justice में उनके अभिनय के लिए उन्हें तारीफ़ें मिल रही हैं. पंकज का मानना है कि वो ज़मीन से जुड़े रहे हैं और यही उनकी सफ़लता का राज़ है. India Today से बातचीत में उन्होंने बताया, 

आज मेरी पत्नी मृदुला और मेरे पास हमारे सपनों का घर है पर मैं पटना में अपने टीन के छत वाले उस कमरे को नहीं भूला हूं. एक रात बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि छत का एक हिस्सा उड़ गया और मैं खुले आसमान को देख पा रहा था.

-पंकज त्रिपाठी

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पंकज एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्हें फ़िल्म में छोटा किरदार मिले या बड़ा, वो उसमें जान डाल देते हैं. मसान, न्यूटन, स्त्री में उनके किरदारों को कोई भूल सकता है भला? 

पंकज के शब्दों में, 

Criminal Justice के लिए चारों ओर से तारीफ़ें मिल रही हैं. जिन्हें अभिनय का आईडिया है, वो मेरी सराहना कर रहे हैं. मनोज बाजपाई ने फ़ोन करके कहा ‘ये तू क्या कर रहा है? कैसे कर रहा है?’ मनोज भाई मेरे रोल मॉडल और प्रेरणास्रोत हैं क्योंकि वो भी बिहार के ग्रामीण इलाक़े से हैं. उन्हें देखकर मुझे लगता था कि जब वो कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?

-पंकज त्रिपाठी

Cinestaan

पंकज ने आगे बताया, 

साल भर पहले तक मुझे जो भी रोल ऑफ़र किया जाता था, वो मैं कर लेता. अब मैं अपने अनुसार रोल चुन सकता हूं.

-पंकज त्रिपाठी

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पंकज को फ़िल्मों में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी.


अपनी पिछली ज़िन्दगी के बारे में बात करते हुए पंकज ने कहा, 

मेरा झुकाव संस्कृति की तरफ़ था. 21 की उम्र में मैं कई मील साईकिल चलाकर बिस्मिल्लाह ख़ान को सुनने जाता था. मुझे संगीत की उतनी समझ नहीं थी पर मैं ध्यान लगाकर सुनता था. मुझे सिनेमा में कोई दिलचस्पी नहीं थी. मैं थियेटर करना चाहता था. मैंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, दिल्ली में प्रवेश लिया, पढ़ाई पूरी की और वापस बिहार चला गया थियेटर करने.  

-पंकज त्रिपाठी

Times Now

पंकज को बहुत जल्द एहसास हो गया कि थियेटर में कोई भविष्य या पैसा नहीं है और तब उन्होंने मुंबई जाकर अपनी क़िस्मत आज़माने का निश्चय किया. पंकज के शब्दों में, 

सालों तक मैं और मृदुला उसकी पगार पर जीते रहे. वो क्वालिफ़ाइड स्कूल टीचर है और उसे मुंबई में नौकरी मिल गई और मैं मुंबई में Struggle कर रहा था.

-पंकज त्रिपाठी

Cinestaan

अपने पहले रोल के बारे में बताते हुए पंकज कहते हैं, 

2007 में ‘धर्म’ में मुझे पंकज कपूर के साथ काम करने का मौक़ा मिला. सबसे पहला रोल मेरे पास महिला निर्देशक की तरफ़ से आया. महिलाओं ने मेरे करियर में अहम भूमिका निभाई है. मेरी पत्नी मृदुला के साथ में अनामिका तिवारी और अनुराधा कपूर का भी शुक्रगुज़ार हूं. उन्होंने मेरा उत्साहवर्धन किया और मेरे अंदर अभिनेता बनने की आशा को जगाए रखा.

-पंकज त्रिपाठी

मेहनत और लगन से सपने सच होते हैं और इसके जीते-जागते उदाहरण हैं पंकज त्रिपाठी.