ख़ूबसूरती मतलब… परवीन बाबी.
कौन थीं परवीन?
गुजरात के जूनागढ़ में एक मुस्लिम परिवार में 4 अप्रैल 1939 को परवीन का जन्म हुआ. उनके पिता जूनागढ़ के नवाब के यहां काम करते थे. परवीन अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं.
फ़िल्मी सफ़र
परवीन ने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई अहमदाबाद में की. उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में ग्रेजुएशन किया.
स्क्रीन स्पेस कम मिलने पर भी परवीन पर नज़रें टिक जाती थी
उस दौर (और आज भी) में जब फ़िल्म की कहानी हीरो के ही इर्द-गिर्द घूमती थी और हीरोइन को कम स्पेस मिलता था, पर स्क्रीन पर अगर परवीन बाबी आती थी तो नज़रें उन पर टिक ही जाती थीं.
1983 में अचानक गायब हो गईं
किसी को अपनी ख़बर दिए बिना परवीन 1983 में फ़िल्मों से ग़ायब हो गईं. इंडस्ट्री में पहले से ही ख़बरें उड़ रही थीं कि परवीन पर अंडरवर्ल्ड का दबाव था और उनके ग़ायब होने के बाद इन ख़बरों पर मोहर सी लगने लगी.
फ़िल्मी दुनिया छोड़कर निकल पड़ीं आध्यात्मिक सफ़र पर
अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचकर, 30 जुलाई 1983 को परवीन ने भारत छोड़ दिया और यू.जी.कृष्णामूर्ति के साथ अलग-अलग देशों की यात्रा पर निकल पड़ीं.
भारत लौटने के बाद
नवंबर 1989 में वे भारत लौटीं और 6 साल में ही उनमें भारी परिवर्तन आ गया था. अफ़वाहें उड़ने लगीं कि वे अस्वस्थ हैं और Paranoid Schizophrenia से पीड़ित हैं. पर परवीन ने ये बात कभी नहीं स्वीकारी.
दूसरों पर लगाया थीं अपनी हत्या का षड्यंत्र रचने का आरोप
परवीन ने भारत और विदेश की कई जानी-मानी हस्तियों जैसे, बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स, अमेरिकी सरकार, ब्रिटिश सरकार, फ़्रेंच सरकार, बीजेपी, सीबीआई, सीआईए, अमिताभ बच्चन आदि पर उन्हें मारने की साज़िश रचने का आरोप लगाया. कोर्ट में पेटिशन भी दायर की, जिसे सुबूतों के अभाव में कोर्ट ने ख़ारिज किया.
रिकॉर्ड करती थी हर फ़ोन कॉल, हर बात
State Administrator General of the Government of Maharashtra द्वारा मिली नोटबुक्स से पता चला कि परवीन अपनी दिनचर्या की हर छोटी-बड़ी बात लिखती थीं.
जितनी उतार-चढ़ाव भरी उनकी ज़िन्दगी थी, उतनी ही दर्दनाक थी उनकी मौत
22 जनवरी, 2005 को परवीन अपने ही घर में मृत पाई गईं. पुलिस ने बॉडी देखकर संदेह किया कि उनकी मौत 3 दिन पहली ही हुई थी.