क्रिकेट और बॉलीवुड ने कुछ शानदार लव स्टोरीज़ दी हैं. फिर चाहे बातें विराट-अनुष्का की हों या फिर युवराज और हेजल की. मगर आज हम आपको एक ऐसी लव स्टोरी के बारे में बताएंगे जिसने दशकों पहले लोगों को रिलेशनशिप गोल्स दिए थे. इसने समाज में मौजूद कई रूढियों को भी आईना दिखाया था. बात हो रही है इंडियन टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली ख़ान पटौदी और शर्मिला टैगोर की लव स्टोरी की. ऐसा क्यों है, चलिए आज आपको डिटेल में समझाते हैं.
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मंसूर अली ख़ान और शर्मिला टैगोर की लव स्टोरी बहुत ही फ़िल्मी है. बात उन दिनों की है जब मंसूर अली ख़ान इंडियन टीम के उभरते हुए सितारे हुए करते थे और शर्मिला टैगोर बॉलीवुड की क्वीन. दोनों की पहली मुलाकात 1965 में दिल्ली में एक ऑफ़्टर मैच पार्टी में हुई थी. पटौदी अपनी टीम के साथ यहां मौजूद थे तो वहीं शर्मिला क्रिकेट मैच देखने आईं थीं. हालाकिं, दोनों को ही एक-दूसरे के प्रोफ़ेशन के बारे में कुछ ख़ास जानकारी नहीं थी.
दोनो ही आज़ाद ख़्याल के थे
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नवाबों के ख़ानदान से ताल्लुक रखने वाले पटौदी ने क्रिकेट में ख़ूब नाम कमाया था. वहीं शर्मिला टैगोर 13 साल की उम्र से ही फ़िल्मों में काम कर रही थीं और धीरे-धीरे उन्होंने ख़ुद को एक बोल्ड अभिनेत्री के रूप में इंडस्ट्री में स्थापित कर लिया था. वो शायद उस दौर की पहली अभिनेत्री थीं जिन्होंने इंडस्ट्री में बिकनी ट्रेंड शुरू किया था. यानी दोनों बहुत ही सक्सेसफ़ुल थे और आज़ाद ख़्याल के भी.
थे कई डिफ़रेंस
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मगर दोनों में कुछ डिफ़रेंस भी थे. जैसे पटौदी मुस्लिम रॉयल फ़ैमिली से ताल्लुक रखते थे, वहीं शर्मिला ट्रेडिशनल बंगाली हिंदू परिवार से. शर्मिला नवाबों के लाइफ़स्टाइल से अंजान थीं तो वहीं पटौदी के खानदान में एक्टिंग को अच्छे प्रोफ़ेशन के रूप में नहीं लेते थे. मगर दोनों प्यार में थे और उन्होंने कभी इन सब के बारे में नहीं सोचा.
लोगों ने कहा था नहीं चलेगी शादी
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कुछ सालों तक डेटिंग करने के बाद वर्ष 1969 में दोनों ने शादी कर ली. तब इस ख़बर ने ख़ूब सुर्खियां बटोरी थीं. कुछ मीडिया हाउस ने ये तक कह दिया था कि उनकी शादी बहुत दिनों तक नहीं चलेगी. उनके बीच में जो धार्मिक और सांस्कृतिक डिफ़रेंस है वो इस शादी को अधिक दिनों तक चलने नहीं देगा. कुछ लोगों ने तो शर्मिला के करियर के समाप्त होने की भी भविष्यवाणी कर दी थी.
साथ जिया एक ख़ुशहाल जीवन
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मगर शर्मिला और पटौदी ने इन सभी को ग़लत साबित कर दिया. दोनों लगभग 42 वर्षों तक एक साथ रहे. शादी के बाद भी शर्मिला ने फ़िल्मों में काम करना जारी रखा. यही नहीं, उनकी दो सुपरहिट फ़िल्में अराधना और अमर प्रेम सैफ़ अली ख़ान के जन्म के बाद ही आईं थीं. एक इंटरव्यू में शर्मिला ने कहा था कि पटौदी साहब से शादी करने का उन्हें निजी ज़िंदगी में भी काफ़ी फ़ायदा हुआ.
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उन्हें नवाबी ख़ानदान का लाइफ़स्टाइल और उनके कल्चर को क़रीब से जानने का मौक़ा मिला. इसका उन्हें प्रोफ़ेशनल और पर्सनल दोनों लाइफ़ में फ़ायदा मिला.
उनकी शादी में प्यार और सम्मान दोनों भरपूर थे. दोनों ने समाज में मौजूद कई रूढ़ियों को तोड़ा और अपनी शर्तों पर एक साथ जीवन व्यतीत किया. उनकी लव स्टोरी किसी प्रेरणा से कम नहीं.
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