‘प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा’
Birthday Special Prem Chopra: प्रेम चोपड़ा हिंदी सिनेमा के वो ख़लनायक जिनका नाम और काम दोनों बोलता है. अभिनेता का जन्म 23 सितबंर 1935 में लाहौर में हुआ था. सिनेमा में एंट्री लेने से पहले वो बंगाल-उड़ीसा में अख़बार बेचते थे. ज़िंदगी के तमाम उतार-चढ़ाव देखने के बाद वो एक्टर बनने के लिये मुंबई (Mumbai) आये और मेहनत शुरू कर दी.
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जब पंजाबी फ़िल्म के लिये जीता राष्ट्रीय पुरस्कार
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बन सकते थे हीरो, पर बन गये विलेन
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इस दौरान प्रेम को राज खोसला की फ़िल्म ‘वो कौन थी’ में विलेन की भूमिका ऑफ़र की गई और निराश प्रेम चोपड़ा ने फ़िल्म के लिये हां कर दी. फ़िल्म के प्रीमियर में महबूब ख़ान बतौर अतिथि पहुंचे और विलेन के रूप में प्रेम चोपड़ा को देख कर नाराज़ हुए. फ़िल्म देखने के बाद उन्होंने प्रेम चोपड़ा से कहा, ‘तुमने इंतज़ार क्यों नहीं किया अब ख़लनायक बन कर ही रह जाओगे, हीरो नहीं’. महबूब साहब की ये बात पूरी तरह सच साबित हुई प्रेम चोपड़ा कभी किसी फ़िल्म में हीरो की भूमिका नहीं निभा पाये.
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विलेन की भूमिकाओं को नई पहचान दी
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उनकी फ़िल्मों के किरदार हो या डायलॉग्स लोग आज तक नहीं भूल पाये हैं और न कभी भूल पायेंगे. वैसे प्रेम चोपड़ा की फ़िल्मों में आपका फ़ेवरेट डायलॉग कौन सा है.