हिंदी सिनेमा में गुरु दत्त, राज कपूर, दिलीप कुमार, राज कुमार, संजीव कुमार, मनोज कुमार, देव आनंद, धर्मेंद्र, जीतेंद्र, अमिताभ बच्चन समेत कई बड़े सुपरस्टार्स हुए हैं. लेकिन सन 1950 के दशक में हिंदी सिनेमा में एक ऐसा अभिनेता आया जिसने अपने करियर के शुरुआती दौर में ही लगातार ब्लॉकबस्टर फ़िल्में देकर दिलीप कुमार और राज कपूर की बादशाहत को हिलाकर रख दिया था. सन 1950 से लेकर 1970 के दशक में इनकी हर फ़िल्म सफलता की गारंटी मानी जाती थीं. लेकिन बॉलीवुड का सबसे सफ़ल अभिनेता बनने के बाद एक दौर ऐसा भी आया जब इन्हें बुरे दिनों में अपना आइकॉनिक बंगला तक बेचना पड़ा था.
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हिंदी सिनेमा का ये दिग्गज कलाकार एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले पुलिस ऑफ़िसर थे. लेकिन पिलिस की नौकरी छोड़ अपने एक्टिंग के सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली से मुंबई चले गए. सन 1947 में ‘पतंगा’ फ़िल्म में कैमियो से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाले इस अभिनेता ने शुरुआती दौर में छोटे-छोटे रोल करने शुरू किये. इसके बाद उन्होंने ‘जोगन’, ‘वचन’, ‘तूफ़ान और दीया’ और ‘आवाज़’ जैसी फ़िल्में भी की, लेकिन सन 1957 में आई ‘मदर इंडिया’ फ़िल्म ने इन्हें स्टार बना दिया.
हिंदी सिनेमा को एक ऐसा अभिनेता मिल गया था जिसकी फ़िल्में देख लोग दीवाने हो जाया करते थे. इनकी अधिकतर फ़िल्में सिनेमाघरों में 25 से 50 हफ़्तों तक लगी रहती थीं. इसी के चलते फैंस ने इनका नाम ही ‘जुबली कुमार’ रख दिया था. बॉलीवुड में ‘जुबली कुमार’ के नाम से मशहूर इस कलाकार की अधिकतर फ़िल्में हिट और ब्लॉकबस्टर रहीं. इतने सारे हिंट देने के बाद तो इन्हें पहचान ही गए होंगे. चलिए अब भी नहीं पहचाने तो हम ख़ुद ही इस अभिनेता का नाम बता देते हैं.
हम हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार रहे राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) की बात कर रहे हैं, जिन्होंने 1950 से लेकर 1970 के दशक तक अपनी शानदार अदाकारी की वजह से दर्शकों के दिलों पर राज किया था. लेकिन उन्हें अपने करियर के शुरूआती दौर में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. वो मुंबई के शेल्टर हाउस में सोया करते थे, जिसमें उन्हें एक खाट दी गई थी. राजेंद्र कुमार के बड़े स्टार बनने के बाद उस खाट पर सोने के लिए लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती थी. राजेंद्र कुमार ने इसके बाद राजकपूर की दो फ़िल्में एक साथ साइन करने के बाद एक शानदार बंगला ख़रीदा था.
राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार भी कहा जाता है. इनके बाद राजेश खन्ना इंडस्ट्री के सुपरस्टार बने थे. लेकिन करियर के बुरे दौर में राजेंद्र कुमार को अपना लकी चार्म कहा जाने वाला वो आइकॉनिक बंगला राजेश खन्ना को बेचना पड़ा था. इसे ख़रीदने के बाद राजेश खन्ना के बुरे दिन शुरू हो गये थे.
राजेंद्र कुमार ने अपने 4 दशक के एक्टिंग करियर में तक़रीबन 80 फ़िल्मों में काम किया. इनमें ‘मदर इंडिया’, ‘घराना’, ‘मेरे महबूब’, ‘आई मिलन की बेला’, ‘संगम’, ‘आरजू’, ‘सूरज’, ‘गोरा और काला’, ‘दिल एक मंदिर’, ‘झुक गया आसमान’, ‘तलाश’ और ‘गंवार’ जैसी बेहतरीन फ़िल्में शामिल हैं. उनकी कई फिल्में तो 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में लगी रही थी. उन्होंने लगातार 35 फ़िल्में हिट, सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर दी थीं. राजेंद्र कुमार की फ़िल्में देखने के लिए सिनेमाघरों के बाहर फ़ैंस का हुजुम उमड़ पड़ता था.
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