बॉलीवुड में जॉनी लीवर के बाद अगर किसी हास्य कलाकार ने सबसे ज़्यादा कामयाबी हासिल की है तो वो हैं राजपाल यादव. इसी साल 19 जून को बॉलीवुड में अपने फ़िल्मी करियर के 25 साल पूरे करने वाले राजपाल यादव (Rajpal Yadav) आज किसी पहचान के मोहताज़ नहीं हैं. साल 1999 में अजय देवगन की फ़िल्म ‘दिल क्या करे’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले राजपाल ने इस फ़िल्म में ‘स्कूल वॉचमैन’ का किरदार निभाया था. इसके बाद उन्होंने रामगोपाल वर्मा की ‘मस्त’, ‘शूल’, ‘जंगल’ और ‘प्यार तूने क्या किया’ फ़िल्मों में भी काम किया.

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राजपाल यादव (Rajpal Yadav) का जन्म 16 मार्च, 1971 को यूपी के शाहजहांपुर के कुंडरा गांव में हुआ था. वो बचपन से फ़ौज़ में जाना चाहते थे, लेकिन कम हाइट की वजह से सेलेक्ट नहीं हो पाए. इसके बाद सरकारी नौकरियों की तैयारी भी की, लेकिन कहीं काम नहीं बना. इसके बाद वो एक ऑर्डिनेंस क्लोदिंग फ़ैक्ट्री में काम करने लगे. बेटे की नौकरी लगते ही पिता ने बेटे राजपाल की शादी करवा दी. इसी दौरान उन्हें एक्टिंग का चस्का लगा और थियेटर जॉइन कर लिया.

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राजपाल यादव ने साल 1992 में बेटी के जन्म के दौरान अपनी पहली पत्नी को खो दिया था. इसके बाद वो पूरी तरह से एक्टिंग में रम गये. साल 1994 में नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (NSD) में दाखिला ले लिया. साल 1997 में NSD से पासआउट होने के बाद राजपाल ने साल 1999 में दूरदर्शन के सुपरहिट शो ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ के सीक्वल ‘मुंगेरी के भाई नौरंगीलाल’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की. राजपाल ने इसमें लीड रोल निभाया था. इन दोनों ही शोज़ का डायरेक्शन प्रकाश झा ने किया था.

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The Lallantop को दिए इंटरव्यू में राजपाल यादव ने बताया कि, साल 1999 में दूरदर्शन के सुपरहिट कॉमेडी शो ‘मुंगेरी के भाई नौरंगीलाल’ के एक सीन में मुझे जब थप्पड़ पड़ा तो ये देखकर मेरी मां मेरी मां घबरा गई और चिल्लाते हुए वहां से चली गईं. इसके बाद उन्होंने टीवी सीरियल देखने से ही इंकार कर दिया था. बाद में मैंने उन्हें समझाया कि ये सिर्फ़ एक्टिंग थी.

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राजपाल यादव ने आगे बताया कि, मेरी मां ट्रैवल नहीं कर सकती थीं, इसलिए मैं उन्हें कभी मुंबई नहीं ले जा सका. साल 2003 में जब मेरी फ़िल्म ‘हंगामा’ रिलीज़ हुई तो मैंने मां को घर पर ही फ़िल्म दिखाने का फ़ैसला किया. मेरे परिवार के अन्य लोग फ़िल्म देख चुके थे, लेकिन जब मां ने फ़िल्म देखी तो मैंने उन्हें कॉल करके पूछा कि फ़िल्म कैसी लगी तो मां ने से सिर्फ़ यही कहा- ‘कितना पीटते हैं लोग तुझे’. फ़िल्मों में भी पिटता देख मां ने मेरी फ़िल्में भी देखना बंद कर दिया था.

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राजपाल यादव (Rajpal Yadav) अपने 25 साल के करियर में हिंदी, तेलुगु, मराठी, पंजाबी, बंगाली और अवधी भाषा की क़रीब 200 फ़िल्मों में काम कर चुके हैं.

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