Raju Srivastava’s First Comedy Cassette: ‘कॉमेडी किंग’ राजू श्रीवास्तव का यूं असमय जाना सबको खल रहा है. और ये कमी खले भी क्यों ना, हमने एक बेहतरीन कॉमेडियन जो खो दिया है. राजू श्रीवास्तव (58 उम्र) ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में बुधवार को अंतिम सांस (Raju Srivastava Death) ली. लोग इनकी हंसाने वाली यादों को साथ लिए नम आंखों से विदाई दे रहे हैं.
गजोधर भइया से लेकर ऐसी तमाम यादें राजू श्रीवास्तव की हमारे साथ हैं. मगर एक क़िस्सा उनके पहले ऑडियो कैसेट का है, जो कई मायनों में ख़ास है. बात उस दौर की है जब सीडी-डीवीडी, इंटरनेट का जाल नहीं था और ना ही टीवी आम आदमी के घर-घर में थी. तब मनोरंजन के लिए ऑडियो कैसेट हुआ करते थे. तभी उस दौर में कानपुर के सत्यप्रकाश श्रीवास्तव नामक व्यक्ति कॉमेडियन बनने निकल पड़ा. जिसको आज हम राजू श्रीवास्तव के नाम से जानते-पहचानते हैं.
बात 1980 के दशक की है
राजू श्रीवास्तव ने अपने एक मीडिया इंटरव्यू में इसको लेकर कहा था कि, 1980 के दशक की बात है, उन दिनों इतने सारे चैनल नहीं हुआ करते थे. सिर्फ़ दूरदर्शन था. मैं उस ज़माने का आदमी हूं. इतना ही नहीं उस समय डीवीडी-सीडी ये सब नहीं था. यहां तक कि पेन ड्राइव तो था नहीं बेचारा.
पहला कॉमेडी स्केच ‘हंसना मना है’
ऐसे में उस समय हमारे ऑडियो कैसेट रिलीज़ होते थे जो फंस जाते थे, तो उनमें पैंसिल डालकर ठीक करना होता था. टी सिरीज़ में हमारा कैसेट आया था. उस कैसेट का नाम था ‘हंसना मना है’. वैसे इस टाइटल का उपयोग आज भी काफ़ी किया जाता है.
कैसेट ख़ूब पसंद किया गया मगर पहचान नहीं मिली
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट ने उनके कैसेट को लेकर लिखा है, राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि ये उस ज़माने में हिट हो गया था. रिक्शे में लोग इसे खूब सुनते थे. राजू भी खुद सुनते थे और मजे लेने के लिए लोगों को बोलते थे, “ये क्या सुन रहे हो यार, बंद करो कुछ अच्छा लगाओ. इस पर रिक्शे वाला कहता था कि अरे नहीं, भईया, कोई श्रीवास्तव है, बहुत हंसाता है.”
जब उनको राजू श्रीवास्तव जैसी कॉमेडी करने की मिली सलाह
राजू ने इसीसे जुड़ा एक और दिलचस्प किस्सा भी बताया था कि ट्रेन में वो अपने एक किरदार मनोहर के अंदाज़ में यात्रियों को शोले की कहानी सुना रहे थे. तभी अपर बर्थ पर बैठे एक चाचा ने उनको सुनकर कहा था, “तुम ये जो कर रहे हो, इसको और ढंग से करो. इसमें थोड़ी और मेहनत करो. इसके बाद कैसेट बनवाओ बंबई में जाकर… तुम्हारा भी कैसेट आएगा. एक श्रीवास्तव का कैसेट निकला है, उससे आइडिया लो ना.”
लेकिन ट्रेन में सफ़र कर रहे चाचा को इस बात की भनक तक नहीं थी कि जिस शख़्स की बात कर रहे हैं वो तो उनके सामने है. भला वो भी कैसे पहचानते क्योंकि उस वक़्त तक राजू श्रीवास्तव को बतौर चेहरा कोई नहीं जानता था.
यूं समझ लें कि राजू श्रीवास्तव भले ही अपने पहले कैसेट ‘हंसना मना है’ के जरिए लोगों के दिल में बस गए थे. आज की भाषा में कहा जाए तो वो वायरल हो गए थे लेकिन पहचान नहीं मिल पाई थी. मगर आज तो बच्चा-बच्चा उनको जानता-पहचानता है. आज भले वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी तमाम यादें हमारे साथ हैं जो हमें हमेशा यूं ही गुदगुदाती-हंसाती रहेंगी!