साल 1998. उस साल कुछ-कुछ होता है रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म को देखने के लिए मैं दो बार मार खा चुकी थी लेकिन तीसरी बार की ज़िद में मार नहीं पड़ी. मां-बाप ने हार कर हां कर दी. ये फ़िल्म मैं शाहरुख़ खान के लिए देखने गयी थी, लेकिन हॉल से बाहर निकली तो प्यार रानी मुखर्जी से कर बैठी थी. सिनेमा लवर के तौर पर वो रानी की पहली झलक थी.
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हर तरह के रोल करने वाले रानी
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इसके बाद उनकी पुरानी फ़िल्म ग़ुलाम भी देखी. बीच-बीच में उनके कई फ़िल्में आयीं. साथिया भी पसंद आयी, चलते-चलते भी. उसके बाद आयी ब्लैक. 2005 में अमिताभ बच्चन-रानी मुखर्जी की इस फ़िल्म ने हर किसी को ख़ामोश कर दिया.
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रानी के कैरेक्टर, Michelle McNally ने और भी ज़्यादा स्तब्ध कर दिया. इस फ़िल्म में रानी कहीं थी ही नहीं। इस पूरी फ़िल्म में सिर्फ़ Michelle की कहानी थी. फिर लगा कि रानी मुखर्जी ऐसा जादू भी बिखेर सकती है! अभी तक सिर्फ़ स्टार रानी मुखर्जी से प्यार था. अब एक एक्टर से मोहब्बत हुई थी. उसी साल रानी ने बंटी और बबली की मज़ेदार बबली का रोल भी प्ले किया.
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इस एक दशक में अपने रोल्स से रानी ने ये साबित कर दिया था कि वो हर तरह के किरदार प्ले कर सकती है. अपने करियर के 10 सालों में एक एक्टर के तौर पर उनकी अच्छी रेंज देखने को मिली. जहां ब्लैक जैसी मानसिक तौर पर झकझोर देने वाले फ़िल्म थी, वहीं साथिया जैसा अलग रोल था. इतनी विवधता के बावजूद भी, रानी मुखर्जी को कभी भी स्टार का वो Status नहीं मिला, जो उनके Opposite एक्टर्स, शाहरुख़, सलमान, गोविंदा को मिला.
ब्लैक के बाद रानी ने पहेली, कभी अलविदा न कहना, बीच में आयी वीर-ज़ारा में काफ़ी सराहनीय रोल किये.
Stereotypes ब्रेक करने वाली रानी
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बॉलीवुड के कुछ अनकहे नियमों में एक एक्ट्रेस का शादी के बाद करियर ख़त्म होना भी आता है. चाहे वो कितनी ही बड़ी एक्ट्रेस क्यों न रही हो, शादी उसके करियर पर फुल स्टॉप मानी जाती है. अपने एक इंटरव्यू में रानी ने बड़ी सफ़ाई से ये कहा था कि वो दिल से इसे ब्रेक करना चाहती है. और शायद ये उनकी फ़िल्मों में दिखा भी. डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा से शादी के के फ़ौरन बाद, 2012 में रानी की फ़िल्म आयी थी, ‘No One Killed Jessica’.
ये फ़िल्म जितनी मज़बूत थी, रानी की एक्टिंग उतनी ही दमदार. अच्छे सिनेमा की भूख में भटकने वालों के लिए ये उस साल की सबसे बढ़िया फ़िल्म थी और इस बात का पुख़्ता प्रमाण भी कि एक अच्छी एक्ट्रेस की शादी से उसके टैलेंट का कोई लेना-देना नहीं होता.
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एक दर्शक होने के नाते, मेरे लिए रानी मुखर्जी ऐसी एक्टर रही हैं, जिन्हें भले ही उतना स्टारडम न मिला हो, लेकिन उसका हिसाब दर्शकों के प्यार ने बराबर कर दिया.
आशा करते हैं, उन्हें अच्छे रोल्स में यूं ही देखते रहेंगे और जैसा उनका कहना है, उन्हें बॉलीवुड की ‘Meryl Streep’ बनते हुए भी देखना चाहेंगे.
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