Gadar Real Story: ‘गदर 2’ (Gadar 2) 11 अगस्त को रिलीज़ होने के लिए तैयार है. सनी देओल (Sunny Deol) और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की इस फ़िल्म को लेकर काफ़ी बज़ बना हुआ है. लोग तारा सिंह और सकीना की लव स्टोरी को दोबारा पर्दे पर देखने के लिए बेताब हैं. मगर क्या आपको मालूम है कि 22 साल पहले 2001 में रिलीज़ हुई ‘गदर: एक प्रेम कथा’ (Gadar: Ek Prem Katha) की कहानी एक सच्ची प्रेम कहानी पर आधारित थी. (Real Story Of Boota Singh The Man Whose Story Inspired Gadar Ek Prem Katha)
चलिए जानते हैं आज उस लव स्टोरी के बारे में जिसके चर्चे पूरे हिंदुस्तान और पाकिस्तान में आज भी हैं. (Boota Singh Zainab Love Story)
जब भारतीय सिपाही ने बचाई पाकिस्तानी लड़की की जान
‘गदर: एक प्रेम कथा’ की कहानी 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर आधारित थी इसमें सनी देओल एक सरदार तो अमीषा पटेल एक मुस्लिम लड़की के रोल में नज़र आई थीं. इस फ़िल्म की कहानी एक बूटा सिंह और जैनब की कहानी पर बहुत हद बेस्ड थी, जिनकी दुखभरी प्रेम कहानी ने भारत से लेकर पाकिस्तान तक की आवाम को झकझोर दिया था.
बूटा सिंह ब्रिटिश सेना के एक पूर्व सिख सिपाही थे. 1947 में भारत-पाकिस्तान बंंटवारे के वक़्त सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में एक मुस्लिम लड़की जैनब भी फंंस गई थी. बूटा सिंह ने उस लड़की की जान बचाई थी.
Real Story Of Boota Singh The Man Whose Story Inspired Gadar Ek Prem Katha
जान बचाने के बाद बूटा सिंह ही जैनब का सहारा बने. दोनों को एक-दूसरे से प्यार भी हो गया और उन्होंने शादी कर ली. दोनों काफ़ी ख़ुशी से रह रहे थे. दोनों एक बेटी के पेरेंट्स भी बने. मगर फिर बूटा सिंह और जैनब को अलग होना पड़ा.
दरअसल, जैनब को पाकिस्तान अपने परिवार के पास जाना पड़ा. बूटा सिंह ने उन्हें परिवार से मिलने जाने दिया. मगर उन्हें नहीं मालूम था कि वो वापस ही नहीं आएगी.
छुप कर पाकिस्तान में घुसे
बूटा सिंह अपनी पत्नी और उनकी बेटी अपनी मां को मिलने के लिए तड़प रहे थे. ऐसे में बूटा सिंह गैरकानूनी तरीके से पाकिस्तान में घुस गए. उन्होंने जैनब से संपर्क साधने की काफी कोशिश की, मगर उनके परिवार ने मिलने नहीं दिया. जैनब ने भी परिवार के दबाव में आकर बूटा सिंह से शादी तोड़ ली.
जैनब की शादी उसके चचेरे भाई से जबरदस्ती करवा दी गई. उधर बूटा सिंह को पकड़ लिया गया. बूटा सिंह पर गैरकानूनी तरीके से सीमापार घुसने का आरोप लगा. कोर्ट में जब बूटा सिंह को पेश किया गया तो उन्होंने रोते हुए बताया कि जैनब उनकी पत्नी है और उनकी एक बेटी भी है.
हालांकि, कोर्ट में जैनब ने इससे इनकार कर दिया और बूटा सिंह और बेटी के साथ जाने से इनकार भी कर दिया. बूटा सिंह बुरी तरह टूट गए. इससे निराश होकर उन्होंने 1957 में बेटी के साथ ट्रेन के आगे कूदकर सुसाइड करने की कोशिश की. इसमें बेटी तो बच गई पर बूटा सिंह की मौत हो गई.
बूटा सिंह की आंखिरी इच्छा भी नहीं हुई पूरी
बूटा सिंह की आखिरी इच्छा थी कि उन्हें ज़ैनब के गांव नूरपुर में दफ़नाया जाए, लेकिन उनके परिवार ने इसकी अनुमति नहीं दी. उन्हें मिआनी साहिब में दफ़नाया गया, जहां उनकी कब्र युवा प्रेमियों के लिए एक तीर्थस्थल बन गई.
गदर में फ़िल्म की कहानी थोड़ी अलग रही. उसमें तारा सिंह अपनी पत्नी सकीना को पाकिस्तान से वापस हिंदुस्तान ले आता है. बता दें, गदर के अलावा, बूटा सिंह की लव स्टोरी पर इशरत रहमानी ने एक उपन्यास ‘मुहब्बत’ लिखा है. वहीं, पंजाबी फिल्म ‘शहीद-ए-मोहब्बत बूटा सिंहट (1999) पूरी तरह से इसी कहानी पर आधारित है. इस कहानी ने 2007 की कनाडाई फ़िल्म, ‘पार्टिशन’ और 2004 की बॉलीवुड फिल्म ‘वीर ज़ारा’ को भी प्रेरित किया है.
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