Reasons why you should watch Jaane Jaan: OTT प्लेटफ़ॉर्म पर फ़िल्में और वेब सीरीज़ बहुत आती हैं. पहले की तरह हर कंटेंट ज़बरदस्त नहीं रहा है. सिनेमाहॉल वाला हिसाब हो गया है. 10 पर कहीं एक ढंग का कुछ देखने को मिलता है. Netflix पर रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘जाने जां’ उससे भी बढ़कर है.

डायरेक्टर सुजाय घोष (Sujoy Ghosh) ने जहां सस्पेंस का जादू क्रिएट किया है. वहीं, जयदीप अहलावत (Jaideep Ahlawat) और विजय वर्मा (Vijay Varma) ने अपनी दमदार एक्टिंग से चार चांद लगा दिए. करीना कपूर ख़ान (Kareena Kapoor Khan) भी लंबे वक़्त बाद एक बढ़िया कहानी का हिस्सा बनी हैं.

मगर ‘जाने जां’ की वो क्या ख़ासियत हैं, जिनकी वजह से आपको ये फ़िल्म देखनी ही चाहिए. चलिए इस पर बात करते हैं-

1. एक मर्डर मिस्ट्री जो सस्पेंस-थ्रिलर से भरपूर है

ये फ़िल्म मशहूर उपन्यास ‘द डिवोशन आफ़ सस्पेक्ट एक्स’ का भारतीय अडैप्टेशन है. इस मर्डर मिस्ट्री किताब को वर्ष 2005 में जापानी लेखक कीगो हिगाशिनो ने लिखा था. इसे भारतीयों की टेस्ट के हिसाब से अडॉप्ट किया गया है. कहानी कालिम्पोंग, पश्चिम बंगाल में बेस्ड है. जो एक सिंगल मदर (करीना कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है.

Jaane Jaan Netflix
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इस महिला की कहानी में बहुत कुछ सस्पेंस भरा है ये बताने के लिए फिल्मी डिक्शनरी में ‘माया’ से बेहतर नाम शायद है ही नहीं. उसका पड़ोसी नरेन (जयदीप अहलावत) गणित का टीचर है, जो सवालों की दुनिया में गहरे तक उतरा हुआ है.

शहर में एक लाश मिलती है, जो उसी व्यक्ति की है जिसे करण (विजय वर्मा) खोज रहा है. जो मरा है, वो भी पुलिस वाला है और जो उसे तलाश रहा वो भी. यहीं से खेल दिलचस्प होने लगता है. मुम्बई से एक व्यक्ति कालिम्पोंग क्यों आया और क्यों मारा गया? माया का इस व्यक्ति से क्या कनेक्शन है? माया का पड़ोसी नरेन इस बारे में क्या जानता है?

2. सस्पेंस के जादूगर हैं सुजाय घोष

एक ऐसी शानदार मर्डर मिस्ट्री, जिसमें सब सामने नज़र आते हुए भी रहस्य बरकरार रहता है. ऐसा जादू सिर्फ़ सुजाय घोष ही कर सकते हैं. अगर आपने ‘कहानी’ और ‘बदला’ जैसी उनकी फ़िल्में देखी हैं तो बखूबी जानते होंगे कि सुजाय किस लेवल के डायरेक्टर हैं.

Sujoy Ghosh
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सुजाय सही मायने में सस्पेंस के जादूगर हैं. उन्होंने इस तरीके से फ़िल्म को डायरेक्टर किया है कि आपको लगेगा कि कहानी से पर्दा शुरू में उठ गया है. मर्डर किसने किया, क्यों किया और कौन मदद कर रहा है, सब पता है. फिर परत दर परत कहानी में रहस्य पैदा होते रहेंगे.

अंत में बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में सारे राज़ खुलेंगे. फ़ाइनल ट्विस्ट आपको झटका देता है. पूरी कहानी दर्शकों की इंटेलिजेंस को टेस्ट करती है.

3. जयदीप अहलावत की चुप्पी में शोर छुपा है

जयदीप एक्टिंग स्कूल में सालों घिसकर चमकाई हुई एक्टिंग के साथ आते हैं. उनका लुक अब तक के निभाए किरदारों से पूरी तरह डिफ़रेंट है. साथ ही, ख़ामोश भी. उन्होंने एक ऐसा किरदार निभाया है, जो बाहर से पूरी तरह चुप है, मगर अंदर उसके पूरा समंदर उछाल मार रहा है. दिलचस्प है कि ये बात जयदीप की आंखों में हर बार झलकती है.

Jaideep Ahlawat Jaane Jaan
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फ़िल्म में उनका दिमाग़ टीचर का है, जिसे गणित से प्यार है और दिल प्रेमी का, जिसे अपनी पड़ोसी माया से मोहब्बत है. हालांकि, वो इन दोनों में ही जो कुछ हासिल करना चाहता है, वो कर नहीं पा रहा है. जयदीप ने जिस बेहतरीन ढंग से इस रोल को निभाया है, शायद ही कोई दूसरा एक्टर इतनी ख़ूबसूरती से इसे निभा पाता.

4. विजय वर्मा

विजय वर्मा हर बार की तरह इस बार भी दिल जीत लेते हैं. पुलिस वाले के रोल में जितने एनर्जेटिक लगते हैं, उतने ही हैंडसम भी. जिन मोमेंट्स में करण का किरदार कन्फ्यूज़न में है और केस की इन्वेस्टिगेशन के बीच उसके दिमाग पर माया भी असर कर रही है, उन सीन्स में वर्मा कमाल लगते हैं.

jaane jaan Vijay Varma
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वर्मा पूरी फ़िल्म में बेहद रिलैक्स और कंफ़र्टेबल नज़र आते हैं. एक भोली मुस्कान वाला शातिर पुलिसवाला, जिसके अपनी कुछ ख़ामिया भी हैं. हालांकि, वो उन्हें अपने पर हावी नहीं होने देता. विजय वर्मा के किरदार में जितनी लेयर थी, उतने ही बेहतरीन ढंग से उन्होंंने इसे फरफ़ॉर्म किया है.

5. करीना कपूर ख़ान

लंबे अरसे बाद करीना नज़र आई हैं. ‘जाने जां’ में करीना को देखना ऐसा है जैसे आप उन्हें पहली बार इस तरह देख रहे हैं. चेहरे पर झुर्रियां, बिना मेकअप, किरदार की उम्र के मुताबिक बिल्कुल फ़िट. मगर ग्लैमर पूरी तरह से उनके किरदार से हटता नहीं. या यूं कहें कि ग्लैमर की एक छाया है, जो उनके किरदार से बांध कर रखी गई है.

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ये एक्स-फ़ैक्टर ‘मिसेज माया डी’सूजा’ के किरदार के लिए ज़रूरी था. फ़िल्म के एक सीक्वेंस में करीना जिस तरह का एग्रेशन लेकर आती हैं वो आपको हैरान कर देगा. इस सीक्वेंस में ऐसा लगता है जैसे उन्हें नए तरीके से डिस्कवर किया जा रहा है. वैसे भी जयदीप अहलावत और विजय वर्मा जैसे एक्टर्स के साथ कंधे से कंधा मिला कर एक कहानी का हिस्सा बनना कोई आसान काम नहीं था. करीना ने इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया है.

6. लोकेशन की ख़ूबसूरती भी देगी मज़ा

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फ़िल्म की कहानी कालिम्पोंग, पश्चिम बंगाल में बेस्ड है. पुरानी फिल्मों के बेहद पॉपुलर गानों से सजा बैकग्राउंड स्कोर, पहाड़ों की सेटिंग, लकड़ी के घर, कैफे और जूजूत्सु मिलकर एक मर्डर मिस्ट्री के लिए परफेक्ट सेटिंग बनाते हैं. इस माहौल से निकली ‘जाने जां’ एक दिलचस्प पहेली तो बुनती है, मगर जवाब मिलने तक जिन रास्तों से गुज़रती है वो भी बेहद शानदार हैं.

फ़िल्म की लोकेशन एक मर्डर मिस्ट्री के लिए बेहत सटीक बैठती है. एक शब्द में कहें तो क़ातिलाना.

तो क्या फ़िल्म परफ़ेक्ट है?

परफ़ेक्शन जैसा तो कुछ होता ही नहीं. फ़िल्म में यक़ीनन कुछ ख़ामियां नज़र आएंगी. मसलन, जयदीप अहलावत के किरदार को कुछ ज़्यादा ही नाटकीय बनाया गया है. इससे थोड़ा बचा जा सकता था. कहानी का अंत भी बेहतर हो सकता था. लास्ट में सब कुछ बताते हुए भी अधूरा और ओवर महसूस हुआ.

ऐसा शायद इसलिए भी लगा क्योंकि, पूरी फ़िल्म कसी हुई थी. आख़िर में आकर ढील देना समझ नहीं आया. मगर फिर भी फ़िल्म देखने लायक है. ख़ासकर, एक्टर्स का दमदाय अभिनय आपको देखना हो तो.

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