बीते रविवार जब ये ख़बर आई कि बॉलीवुड की पहली फ़ीमेल सुपरस्टार श्रीदेवी इस दुनिया में नहीं रहीं, तो पूरा देश स्तब्ध रह गया. ये न सिर्फ़ फ़िल्म इंडस्ट्री, बल्कि देश के हर व्यक्ति के लिए एक सदमा था. अभी श्रीदेवी का शव दुबई से भारत वापस आया ही नहीं था कि इस बीच उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आ गई. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि श्रीदेवी के शरीर में अल्कोहल यानि शराब की कुछ मात्रा पायी गई है. यहीं से भारतीय मीडिया के एक शर्मनाक कारनामे की शुरुआत होती है.

दरअसल, भारतीय मीडिया ख़ासकर न्यूज़ चैनल्स ने श्रीदेवी की मौत का विशलेषण अपने जासूसी अंदाज़ में करना शुरु कर दिया. और इस बात से हर भारतीय वाकिफ़ कि इंडियन न्यूज़ चैनल्स के प्रोड्यूसर्स और एंकर्स की कल्पनाशक्ति कितनी अच्छी है.

दुख की बात तो ये है कि मीडिया के इस तबके ने किसी की मौत की संवेदनशील ख़बर को अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने का जरिया समझा और अपने ही अंदाज में इसकी चीर-फाड़ शुरु कर दी.

इन्होंने सारी हदें पार करते हुए श्रीदेवी का अंतिम संस्कार होने से पहले ही उनपर शराब पीने और नशे में बाथटब में डूब मरने का इल्ज़ाम लगा डाला. हैरानी की बात तो ये है कि इस कार्य में देश के सभी तथाकथित सर्वश्रेष्ठ मीडिया चैनल्स सबसे आगे रहे. इसमें एबीपी, आज तक, इंडिया टीवी जैसे चैनल्स के नाम शामिल हैं.

इसकी पराकाष्ठा तो तब हुई जब एक रीज़नल चैनल ने उनकी मौत का काल्पनिक चित्रण कर सबके सामने पेश किया. इस दौरान इस टीवी चैनल का रिपोर्टर होटल के बाथटब में लेटकर ये बताता नज़र आया की श्री की मौत कैसे हुई होगी…

किसी भी लोकतांत्रिक देश में मीडिया उसका चौथा स्तंभ माना जाता है, जिसका दायित्व होता है कि वह देश को चलाने वाले नेताओं और समाज को आईना दिखाए कि वो सब कितने पानी में हैं. मगर भारतीय मीडिया तो दिन-प्रतिदिन गर्त में जाता दिखाई दे रहा है. हमारे ख़बरिया चैनल्स तो आये दिन अपने पतन का नमूना पेश करते जा रहे हैं. श्रीदेवी की मौत की ख़बर पर इस तरह से अपनी टीआरपी की रोटी सेंकना, इनकी सस्ती पत्रकारिता का एक उदाहरण पेश कर रहा है.

पता नहीं देश का मीडिया कब अपने अंदर झांकेगा और कब सुधरेगा!