बॉलीवुड में एक ऐसा निर्देशक है जिसकी फ़िल्मों में गाड़ियों को उड़ाने वाला एक्शन सीन ज़रूर होता है. उनकी फ़िल्मों में एक्शन और कॉमेडी का ज़बरदस्त कॉम्बिनेशन देखने को मिलता है. अगर आप एक बॉलीवुड के ज़बर फ़ैन हैं, तो आप समझ गए होंगे कि हम इंडस्ट्री के सबसे सफल डायरेक्टर्स में से एक रोहित शेट्टी की बात कर रहे हैं.
उन्होंने हमें गोलमाल, चेन्नई एक्सप्रेस, सिंघम, सिंबा जैसी सुपरहिट फ़िल्में दी हैं. उनकी फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर करोड़ों रुपये का बिज़नेस करती हैं. मगर आज करोड़ों में खेलने वाले रोहित शेट्टी ने इस मुक़ाम तक पहुंचने के लिए बहुत ही संघर्ष किया है.
उन्होंने अपने स्ट्रगलिंग डेज़ की कहानी हाल ही में एक इंटरव्यू में शेयर की है. उन्होंने कहा इस इंटरव्यू में बताया कि आज से 30 साल पहले उन्होंने डायरेक्टर बनने का फ़ैसला लिया था. उस वक़्त वो 17 साल के थे और उनके परिवार के आर्थिक हालात सही नहीं थे. तब उन्हें पैसे कमाने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी.
रोहित ने अजय देवगन की पहली फ़िल्म ‘फूल और कांटे’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम शुरू किया था. इसकी शूटिंग की लोकेशन पर जाने के लिए वो बसों से सफ़र किया करते थे. तब असिस्टेंट डायरेक्टर को सेट पर बहुत से काम भी करने होते थे. उन्होंने बताया कि तब फ़िल्मों को बजट इतना नहीं होता था. इसलिए तब उन्होंने कई बार कपड़े प्रेस करना, सेट पर झाड़ू लगाना, ड्राइविंग करना, स्टंट करने जैसे काम भी किए हैं.
फ़िल्म हक़ीकत की शूटिंग के दिनों को याद करते हुए रोहित शेट्टी ने बताया कि तब उन्होंने फ़िल्म की लीड एक्ट्रेस तबू की साडियां भी प्रेस की थीं. यही नहीं फ़िल्म सुहाग में उन्होंने अक्षय कुमार के बॉडी डलब का रोल भी किया था. रोहित शेट्टी ने 13 साल तक बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर इंडस्ट्री में काम किया और इसके बाद उन्हें अपनी पहली फ़िल्म डायरेक्ट करने का मौका मिला था.
साल 2003 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म का नाम था ज़मीन. ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर कुछ ख़ास कमाल नहीं कर सकी. लेकिन रोहित शेट्टी ने हार नहीं मानी. उन्होंने फिर कई फ़िल्में डायरेक्ट कीं. उनके द्वारा गोलमाल सीरीज़ की फ़िल्मों को दर्शकों ने ख़ूब पसंद किया.
इसके बाद वो उन्होंने बॉलीवुड को सिंघम के रूप में उसका पहला सुपरकॉप दिया. वो एक फ़िल्म को डायरेक्ट करने के 25-30 करोड़ रुपये लेते हैं. उनकी फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर न सिर्फ़ अच्छा बिज़नेस करती हैं, बल्कि समाज को एक संदेश भी देती हैं.