कबीर सिंह के निर्देशक, संदीप रेड्डी वांगा ने कुछ दिनों पहले अनुपमा चोपड़ा को दिए गए एक इंटरव्यू में ये बयान दे डाला,


‘जब आप किसी से जुड़ जाते हो तो उस रिश्ते में ईमानदारी होनी चाहिए. अगर आपके पास एक-दूसरे को थप्पड़ मारने की आज़ादी न हो तो मेरी नज़र में वो कोई रिश्ता नहीं है.’  

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इसके बाद संदीप को कई लोगों ने उनके बयान के लिए ट्रोल किया. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि वो हिंसा का समर्थन कर रहे हैं.


रिपोर्ट के अनुसार बॉलीवुड हंगामा को दिए इंटरव्यू में संदीप ने अपने पिछले बयान पर सफ़ाई दी है. संदीप के शब्दों में,  

मुझे जो कहना था मैंने कहा. उन्होंने मेरे कमेंट्स को काटा और इंटरव्यू चला दिया. लोगों को पता नहीं है कि उससे पहले या बाद में मैंने क्या कहा था. कन्टेंट को ग़लत तरीके से एडिट किया गया है ताकी कुछ महिलाएं मुझे भला-बुरा कहे.

-संदीप वांगा रेड्डी

संदीप ने ये भी कहा कि वे अपने हीरो की मन:स्थिति के बारे में बात कर रहे थे. ये बता रहे थे कि अर्जुन रेड्डी/कबीर सिंह कैसा महसूस करता है. हिंसा उसके प्यार जताने का तरीका हो सकता है, मेरी नहीं. 

संदीप ने उन लोगों पर भी उंगली उठाई, जो कबीर और प्रीति के प्यार जताने के तरीके पर प्रश्न कर रहे थे. संदीप के शब्दों में, 

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मैंने ये कभी नहीं कहा कि थप्पड़ मारना ज़रूरी है. मेरा सिर्फ़ इतना कहना था कि किसी को भी रिलेशनशिप में पूरी तरह से ईमानदार होना चाहिए. वो ईमानदारी हिंसात्मक रूप भी ले सकती है. कबीर सिंह द्वारा थप्पड़ मारे जाने पर ही क्यों बात हो रही है. प्रीति ने भी उसे पलट के थप्पड़ मारा था न. ये दोनों ही तरीकों से काम करता है.

-संदीप वांगा रेड्डी

जब संदीप से ये पूछा गया कि क्या वे अपने पार्टनर के साथ हिंसा कर सकते हैं, उस पर उन्होंने ये कहा, 

मैं अपने पार्टनर को अपनी असलियत दिखाने के लिए कुछ भी करूंगा. मेरे लिए किसी भी रिश्ते की मज़बूती के लिए ईमानदारी मायने रखती है. मैं अपने पार्टनर को थप्पड़ नहीं मारूंगा. फ़िल्म में भी, कैसे समझाऊं इन बेवकूफ़ों को… प्रीति ने पहले मारा है, फिर कबीर ने मारा. थप्पड़ पर चर्चा करना फालतू है.

-संदीप वांगा रेड्डी

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अर्जुन रेड्डी जैसी फ़िल्म से डेब्यु करने वाले संदीप कुछ भी बोलकर अपना बना बनाया काम बिगाड़ रहे हैं. अगर उस फ़िल्म को निर्देशक के काम के रूप में देखा जाए तो काफ़ी अच्छा निर्देशन किया गया है. पर कभी कुछ कभी कुछ बातें करके विवाद खड़ा करने के पीछे की मंशा समझ नहीं आती.


हर किसी के लिए प्रेम के अपने मायने होते हैं, ज़ाहिर सी बात है संदीप के लिए भी हैं. संदीप ये छोटी सी बात भूल रहे हैं कि हिंसा प्रेम का पर्याय कभी नहीं हो सकती. हिंसा से लोगों की मौत होती है. लिंचिंग, खून, रेप के कई किस्से क्या प्रेम के पर्याय हैं? ये दुनिया को किस प्रेम का पाठ पढ़ाने चले हैं संदीप? थप्पड़ प्रीति और कबीर दोनों ने मारा तो बात बराबर हो गई वाली बात पिछली बातों के मायने बदल देगी?   

हमें लगता है कि संदीप को किसी भी इंटरव्यू से पहले अच्छे से सोच विचार कर लेना चाहिए कि आख़िर वो कहना क्या चाहते हैं.