संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) बॉलीवुड (Bollywood) के बेहतरीन डायरेक्टर्स में से एक माने जाते हैं. आज इंडस्ट्री का हर व्यक्ति उन्हें सिनेमाई जीनियस मानता है. भंसाली को जीनियस उनकी बेहतरीन फ़िल्मों और आलीशान सेट ने बनाया है. वो अपना हर काम इतनी डिटेलिंग के साथ करते हैं कि जब वो काम बड़े परदे पर दिखता है तो लोग उसे देख दंग रह जाते हैं. डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फ़िल्मों का हर एक सीन और उसमें दिखाई देने वाले प्रॉप्स फ्रेम दर फ्रेम बेहतरीन नज़र आते हैं. उन्हें सिनेमा से इसलिए भी प्यार है क्योंकि वो बचपन से ही इसके बेहद क़रीब रहे हैं. इसीलिए कहते हैं ‘बाज़ की नज़र और संजय लीला भंसाली के हुनर’ पर कभी शक नहीं करना चाहिए.

ये भी पढ़िए: संजय लीला भंसाली से अदिति राव हैदरी तक बॉलीवुड के 8 Celebs जिन्होंने अपनाया मां का नाम या उपनाम

Timesofindia

संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) ने साल 1989 में परिंदा जैसी बेहतरीन फ़िल्म के ज़रिए बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इसके बाद साल 1994 में उन्होंने फ़िल्म 1942: A Love Story की कहानी लिखी. जबकि साल 1996 में आई Khamoshi: The Musical बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फ़िल्म थी. इसके डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और राइटर वो ख़ुद थे. इस फ़िल्म को ‘फ़िल्मफ़ेयर बेस्ट फ़िल्म’ (क्रिटिक्स) का अवॉर्ड मिला था. इसके बाद भंसाली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘देवदास’, ‘ब्लैक’, ‘गोलियों की रासलीला राम-लीला’, ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘पद्मावत’ और ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ जैसी सुपरहिट फ़िल्में दीं.

Thewire

संजय लीला भंसाली क्यों हैं जीनियस?

संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) वो जादूगर हैं जो साधारण सी कहानी को भी भव्य बना देते हैं. यही उनकी बेस्ट क़्वालिटी भी है. कहानी के अलावा उनकी फ़िल्मों की ख़ासियत उनके भव्य व शानदार सेट होते हैं. भंसाली असल जगहों के बजाय कहानी की मांग के हिसाब से फ़िल्म का सेट तैयार कराते हैं. हर फ़िल्म में उनकी इमेजिनेशन के हिसाब से सेट तैयार होते हैं. जब तक सेट परफ़ेक्ट न हो वो फ़िल्म की शूटिंग शुरू नहीं करते. जब फ़िल्म शुरू होती है तो हर एक सीन को बेहद बारीकी से परखते हैं.

Screendaily

चलिए आज आप भी संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की फ़िल्मों के कुछ मास्टर पीस सीन देख लीजिये-

1- पद्मावत

पद्मावत फ़िल्म के इस सीन को ग़ौर से देखिये. इसमें मोमबत्तियों को जिस बारीकी से दिखाया गया है सो शानदार है. लेकिन इस सीन की सबसे ख़ास बात इसे जिस तरह से पेश किया गया है वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. भंसाली ने फ़िल्म के इस सीन और उसके रिफ़्लेक्शन को कैमरे के बेहद ख़ूबसूरती के साथ दिखाया है.

Scroll

2- सांवरिया

सांवरिया फ़िल्म के इस सीन की सबसे ख़ास बात ये थी कि इसे आउटडोर से पूरी तरह इंडोर में बदला गया था. झील में तैरती नाव और ऊपर पुल, लेकिन RK का Logo झील के शांत पानी में जिस ख़ूबसूरती के साथ प्रतिबिंब बना रहा है वो देखने लायक है.

Bollywoodhungama

3- ब्लैक

अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी स्टारर ‘ब्लैक’ फ़िल्म का ये सीन भी बेहद पॉपुलर हुआ था. फ़िल्म के इस सीन को जिस ख़ूबसूरती से पेश किया वो सिर्फ़ भंसाली ही कर सकते थे. बर्फ़बारी के इस सीन को ख़ूबसूरत रंगों और लाइट के बीच फ़िल्माना दर्शकों को बेहद पसंद आया था.

Indiatoday

4- गोलियों की रासलीला राम-लीला

संजय लीला भंसाली ने इस फ़िल्म के ‘राम चाहे लीला’ गाने को बेहद ख़ूबसूरती के साथ पेश किया था. इसमें रंग, लाइट, कॉस्ट्यूम सब कुछ परफ़ेक्ट था. हज़ारों दीयों ने गाने की ख़ूबसूरती पर चार चांद लगा दिए थे.

whoa

5- पद्मावत

रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर स्टारर ‘पद्मावत’ फ़िल्म के एक गाने के इस सीन में खिलजी के आस पास के आर्टिस्ट जिस सिक़्वेन्स में भाले केलर खड़े हैं और उन सब पर पड़ रही अलग-अलग तरह की लाइट इसे शानदार बनाती है.

Scroll

6- देवदास

भंसाली की फ़िल्म ‘देवदास’ का ‘डोला रे डोला रे’ सॉन्ग बॉलीवुड के सबसे महंगे गानों में से एक है. इस गाने में माधुरी, ऐश्वर्या और बैकग्राउंड डांसरों का कॉर्डिनेशन से लेकर सेट डिज़ाइनिंग तक सब कुछ लाज़वाब था.

Youtube

7- बाजीराव मस्तानी

बाजीराव मस्तानी फ़िल्म के ‘दीवानी मैं दीवानी’ के इस दृश्य में आप संजय लीला भंसाली की डिटेलिंग अच्छे से देख सकते हैं. दीपिका की ड्रेस से लेकर महल के द्वार का रंग और उसके डिज़ाइन से मिलता फ़्लोर का डिज़ाइन कमल की कलाकारी है.

mubi.com

8- गंगूबाई काठियावाड़ी

आलिया भट्ट की फ़िल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ की 90 प्रतिशत शूटिंग सेट पर हुई है, लेकिन लगता बिलकुल भी नहीं है. इस फ़िल्म में 80 और 90 के दशक को बेहतरीन तरीक़े से दिखाया गया था. ख़ासकर गंगूबाई का कोठा.

Architecturaldigest

ये भी पढ़िए: ऐश्वर्या की 600 साड़ियों समेत 7 चीज़ें जिन्होंने ‘देवदास’ को बना दिया सबसे महंगी ऐतिहासिक फ़िल्म