Sanjeev Kumar Wanted To Play Some Other Role in 1975 Sholay: ब्लॉकबस्टर फ़िल्म 1975 ‘शोले’ यादगार फ़िल्मों में से एक है. जिसमें गब्बर का विलेन किरदार, जय-वीरू की दोस्ती, बसंती की एक्टिंग और संजीव कुमार का ठाकुर किरदार, सब बहुत हिट हुआ था. इन सब में एक्टर संजीव कुमार का ठाकुर का किरदार आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है. उनके डायलॉग्स, लुक और पर्सनालिटी आज भी ऑडियंस याद करती है. लेकिन क्या आप जानतें हैं कि इस फ़िल्म में संजीव कोई और रोल निभाना चाहते थे. चलिए इस दिलचस्प क़िस्से के बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं.

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आइए बताते हैं जब 1975 फ़िल्म ‘शोले’ में संजीव कुमार कौनसा रोल निभाना चाहते थे (Sanjeev Kumar Role In 1975 Sholay)-

फ़िल्म शोले में संजीव कुमार एक से बढ़कर एक दमदार डायलॉग्स थे. “ये हाथ नहीं, फांसी का फंदा है”, “ठाकुर न झुक सकता है, ना टूट सकता है, ठाकुर सिर्फ़ मर सकता है…” जैसे और कई डायलॉग्स ने संजीव कुमार को पहचान दिलाई थी. इस फ़िल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी थे. जिन्होंने बहुत हर एक एक्टर को परख़कर कास्ट किया था. लेकिन इस फ़िल्म में संजीव कुमार कोई और रोल करना चाहते थे.

वो इस फ़िल्म में गब्बर यानी अमजद खान का किरदार निभाना चाहते थे. लेकिन निर्देशक ने पहले से ही अमजद खान को गब्बर बनाने का मन बना लिया था. वहीं ठाकुर के लिए भी संजीव कुमार रमेश सिप्पी की पहली पसंद नहीं, बल्कि एक्टर दिलीप कुमार थे. जिसे दिलीप ने ठुकरा दिया था.

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इस फ़िल्म की कास्टिंग को लेकर एक्टर्स भी काफ़ी असमंजस में थे. शुरुआती समय में धर्मेंद्र वीरू की जगह ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार निभाना चाहते थे.

लेकिन निर्देशक ने कहा अगर ऐसा हुआ तो उन्हें वीरू का रोल संजीव कुमार को देना पड़ेगा और बसंती उनकी हो जाएगी. तभी संजीव ने हेमा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया. जिसके बाद धर्मेंद्र वीरू के किरदार के लिए मान गए, क्योंकि वो हेमा मालिनी से प्यार करने लगे थे.

इन सबके बावजूद ये फ़िल्म सुपरहिट हुई थी.