असम के छोटे से शहर नलबारी में 14 जनवरी, 1965 को सीमा बिस्वास का जन्म हुआ. अपनी दूसरी फ़िल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में ख़ास पहचान बना ली. दो दशक के बाद भी बैंडिट क्वीन और सीमा बिस्वास की अदाकारी की बात होती है. इस फ़िल्म ने सीमा बिस्वास के पूरे करियर को ओवरटेक कर लिया लेकिन ये अकेली फ़िल्म नहीं हैं, जिसमें उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.
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सीमा ने एक्टिंग करियर की शुरुआत 15 साल की उम्र में थियेटर से की थी. ‘सैं रहमत बोल रहा हूं’ नाम के प्ले में उन्होंने पहली बार अदाकारी की थी. उनका इस पेशे से लगाव ख़ानदानी मालूम पड़ता है. सीमा की मां मीरा बिस्वास असमिया थियेटर में बड़ा नाम थी.
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बहुत कम लोगों को मालूम है कि सीमा बिस्वास की पहली फ़िल्म निर्देशक कृष्णन कर्था की ‘अमशिनी’ थी. सीमा जब NSD Repertory कंपनी के साथ काम कर रही थी, तब शेखर कपूर ने उनसे बैंडिट क्वीन के लिए बात की. फ़िल्म की शूटिंग 75 दिनों में मध्यप्रदेश के धौलपुर में पूरी की गई.
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हालांकि फ़िल्म में मौजूद नग्न दृश्य बॉडी डबल द्वारा शूट किया गया बावजूद इसके सीमा बिस्वास को काफ़ी परेशान उठानी पड़ी. सीमा अपने घरवालों की प्रतिक्रिया को लेकर भी निश्चिंत नहीं थी लेकिन हुआ उनकी सोच के उलट. पिता जी ने कहा, ‘ये रोल तो हमारी सीमा ही कर सकती है.’
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बैंडिट क्वीन को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, सीमा बिस्वास को बेस्ट फ़िल्मफ़ेयर फ़ीमेल डेब्यु एक्टर का अवॉर्ड मिला.
ताथाकथित ‘अच्छी शक़ल-सूरत’ के पीछे भागने वाली फ़िल्म इंडस्ट्री में सीमा बिस्वास ने कई बार इस स्टीरियोटाइप को तोड़ा. बैंडीट क्वीन के बाद संजय लीला भंसाली की ख़ामोशी: द म्युज़िकल से उन्होंने तलहका मचा दिया. उनका किरदार गूंगी और बधिर Flavy Braganza का था, उम्र में मनीषा कोइराला से पांच साल बड़ी सीमा उनकी मां बनी थी.
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अपनी कई फ़िल्मों में सीमा बिस्वास दर्शकों के ऊपर छाप छोड़ने में कामयाब रही हैं. कंपनी, एक हसीना थी, पतंग और वॉटर, भूत आदि फ़िल्मों में उनकी अदाकारी को सराहा गया. साल 2003 और 2004 में सीमा को स्टार स्क्रीन बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए नॉमिनेट किया गया था.
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साल 2006 में सीमा को वॉटर के लिए और 2013 में Midnight’s Children के लिए Canadian Screen Award मिला था.
2011 में वो फ़िल्म इंडस्ट्री की पहली महिला थी, जिसने किन्नर का किरदार निभाया था. Queens! Destiny of Dance, जो राजपीपला के राजघराने के राजकुमार मानवेंद्र सिंह गोहिल के ऊपर बनी थी.
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Rediff को दिए साक्षात्कार में सीमा बिस्वास ने कहा था कि वो ग्लैमर को ज़्यादा महत्व नहीं देती.
‘ग्लैमर प्राथमिकता नहीं है. एक अभिनेत्री के तौर पर हमें अभिनय के दौरान रिस्क क्यों नहीं लेना चाहिए. पर्दे पर दिखने वाली हर औरत शारीरिक रूप से ख़ूबसूरत नहीं हो सकती, इस प्रथा को तोड़ देना चाहिए.’
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साल 2007 में सीमा बिस्वास का उनके दूसरे पति निर्माता निखिलेश शर्मा से तलाक़ हो गया था. इसके अलावा मीडिया के पास शायद ही उनकी कोई निजी जानकारी मौजूद है.
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सीमा बिस्वास के तीन दशक लंबे करियर को उनके द्वारा चुने गए जटिल किरदार बख़ूबी परिभाषित करते हैं.