‘याहू’ और ‘ओ हसीना ज़ुल्फ़ों वाली’ गाना सुनते ही आज भले ही शम्मी कपूर याद आते हों. मगर एक वक़्त ऐसा भी था जब बॉलीवुड के मशहूर एक्टर शम्मी कपूर की क़रीब 18 फिल्में फ़्लॉप हो गई थीं, हालांकि, इतनी एक दर्ज़न से ज़्यादा फ़्लॉप देने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी थी. हार के बाद शम्मी कपूर ने इंटस्ट्री में अपनी वापसी का ऐसा धमाका किया कि उन्होंने ‘बॉलीवुड एक्टर’ की छवि ही बदल डाली.

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शम्मी कपूर ने फ़िल्म ‘जीवन ज्योति’ से हिंदी सिनेमा में क़दम रखा था और अपना एक ख़ास अंदाज़ बनाया, जिसे कॉपी करना नामुमक़िन है. मगर ये मक़ाम हासिल करना शम्मी कपूर के लिए आसाना नहीं था, उन्होंने बहुत संघर्षों के बाद इस छवि को बनाया था. दरअसल, लगातार इनकी फ़िल्में ़फ़्लॉप हो रही थीं, जिसके बारे में उन्होंने लेखक रउफ़ अहमद को बताया,

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मैंने अपनी मूंछें मुंडवा ली थीं और अपने लिए एक नई वॉर्डरोब तैयार की. मैं फ़िल्मों में अपने ही कपड़े पहनता था. इसके अलावा मैंने अपने लिए ट्रेंडी शर्ट्स, टी-शर्ट्स, जींस, जैकेट्स और स्कार्व्स लिए, ताकि मैं बाकी हीरो से अलग अपनी पहचान बना पाऊं.

-शम्मी कपूर

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शम्मी कपूर के मेकओवर में उनकी पत्नी और एक्ट्रेस गीता बाली ने भी उनका साथ दिया. जिसके बारे में उन्होंने बताया,

मैंने अपने कुछ कपड़े विदेश से मंगवाए. मैंने ख़ुद को एक नई पहचान देने के लिए बहुत मेहनत की. इस मेकओवर में गीता ने भी मेरी काफ़ी ज़्यादा मदद की थी.

-शम्मी कपूर

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शम्मी कपूर का मेकओवर काम कर गया था और 1957 में आई नासिर हुसैन की फ़िल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ ने इनको काफ़ी लोकप्रियता दिलाई. इसी के बाद से ही फ़िल्मों में एक्टर के बात करने, दिखने, बोल चाल करने और सबसे ज़्यादा ज़रूरी डांस करने का तरीक़ा पूरी तरह बदल गया था. उस वक़्त जहां हीरो पेड़ के इर्द-गिर्द घूमकर नाचते-गाते थे, वहीं शम्मी कपूर हरफ़नमौला तरीक़े को अपनाते थे.

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शम्मी कपूर के बारे में बात करते हुए फ़िल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा था,

शम्मी ने हिंदी फ़िल्मों में हीरो की उदास और चिंता वाली छवि को पूरी तरह से बदलकर उसे डांस और सिंगिंग वाले हीरो में बदल दी थी.

वहीं नसीरुद्दीन शाह ने शम्मी कपूर के बारे में कहा था, उनका स्टाइल ऐसा था कि उन्हें मैच करना असंभव था, चाहे वो डांस हो या उनका कपड़े पहनने का स्टाइल.