मुमताज़ जहां बेग़म देहलवी, ये नाम शायद आपने न सुना हो. मधुबाला… ये नाम जो शायद आप भूल न पायें.
कैसे भूलेंगे उन आंखों को, उस दिलकश चेहरे को. कौन होगा, जो उसकी ख़ूबसूरती की तरफ़ खिंचा न चला गया हो? 9 साल की उम्र में पहली फ़िल्म आई ‘बसंत’ (1942) और जहां एक तरफ़ इंडस्ट्री से नाता जुड़ा, तो दूसरी तरफ़ बचपन को अलविदा कहना पड़ा.
काम की तलाश में मधुबाला एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो घुमती फिरती, कई दोस्त भी बने. मधुबाला की तरह एक दूसरी लड़की भी काम की तलाश में स्टूडियो-स्टूडियो घूमती रहती थी, नाम था माहजबीं… जो आगे चलकर मीना कुमारी बनीं.
अभिनेत्री देविका रानी के कहने पर मुमताज़ जहां ने अपना नाम रखा, ‘मधुबाला’.
सिर्फ़ 14 साल की उम्र में राज कपूर के साथ ‘नील कमल’ (1947) में मुख्य अभिनेत्री के तौर पर काम किया. मुमताज़ के नाम से ये उनकी आख़िरी फ़िल्म थी.
1949 में क़िस्मत ने करवट ली, फ़िल्म थी ‘महल’. इस फ़िल्म को बॉलीवुड की पहली हॉरर फ़िल्म भी कहते हैं.
हॉलीवुड भी था Fan
देश में ही नहीं, मधुबाला की ख़ूबसूरती और काम के चर्चे विदेशों में भी थे. वो हॉलीवुड में काम करने वाली पहली भारतीय महिला हैं. अमेरिका की पत्रिका, ‘Theatre Arts’ में उनके नाम से एक लेख छपा था, तस्वीर के नीचे लिखा गया था, ‘दुनिया की सबसे बड़ी स्टार, और ये Beverly Hills में नहीं है.’
अमेरिकी डायरेक्टर Frank Capra उन्हें हॉलीवुड में ब्रेक देना चाहते थे, लेकिन मधुबाला के पिता को इससे ऐतराज़ था.
हर तरह का किया काम
वो सिर्फ़ फ़िल्मों में अदाकारी ही नहीं करती थी, उन्होंने 2 फ़िल्में, ‘नाता’ (1955) और ‘महलों के ख़्वाब’ (1960) प्रोड्यूस भी किये.
1950 में एक फ़िल्म आई थी ‘हंसते आंसू’, ये फ़िल्म पहली हिन्दी फ़िल्म थी, जिसे ‘A’ सर्टिफ़िकेट मिला था, इस फ़िल्म में भी मधुबाला ने काम किया.
दिलीप साहब से क्यों नहीं हुई शादी
दिलीप साहब की आत्मकथा ‘Dilip Kumar: The Substance And The Shadow’ में दिलीप साहब ने खु़द कहा है कि मधुबाला के पिता के हस्तक्षेप के कारण उनके और मधुबाला के रिश्तों में खट्टास आई. दिलीप और मधुबाला काफ़ी सीरियस थे और बात शादी तक पहुंच चुकी थी, लेकिन मधुबाला के पिता इसमें भी बिज़नेस देख रहे थे और दिलीप साहब को ये पसंद नहीं था कि कोई उनकी ज़िन्दगी के निर्णय ले.
ग्रीस को भी है उनसे इश्क़
1950 और 60 के दशक में मधुबाला ग्रीस में इतनी ज़्यादा चर्चित शख़्सियत बन गईं कि ग्रीस के कुछ गायकों Stelios Kazantidis ने ग्रीक भाषा में एक गीत गाया था. इस गीत को किसने लिखा था ये तो पता नहीं लेकिन ये गीत मधुबाला की ख़ूबसूरती की तारीफ़ करता है.
मुग़ल-ए-आज़म के पंख वाले सीन के रोमैंस के पीछे की हक़ीक़त
सलीम और अनारकली के बीच का वो रोमेंटिक सीन, जिसने कई दिलों के अरमान जगा दिये थे, उसकी हक़ीक़त कुछ और ही थी. इस सीन को फ़िल्माते वक़्त दिलीप साहब और मधुबाला के बीच इतनी दूरियां आ गई थी कि ये दोनों एक-दूसरे से औपचारिक बातचीत भी नहीं करते थे.
दिल्ली के Madame Tussauds में लगाई गई है प्रतिमा
दिल्ली में पिछले साल Madame Tussauds संग्रहालय खुला, यहां मधुबाला की भी मोम की प्रतिमा लगाई गई. वो प्रतिमा कुछ यूं है कि एक बार जो देखे वो देखता रह जाये. जब प्रतिमा इतनी ख़ूबसूरत है, तो वो इंसान क्या रहा होगा.
युवाओं की मोहब्बत है वो
कॉफ़ी मग्स से लेकर कमरे के पोस्टर्स तक, हर जगह वो दिख जाती है. You Tube पर ‘प्यार किया तो डरना क्या’ गाने को कुल 35,889,777 बार देखा जा चुका है. ‘आइये मेहरबान’ गाने में मधुबाला की आंखों पर से नज़र हटाना मुश्किल हो जाता है. न जाने कितने ही फ़ेसबुक पेज चलते हैं उनके नाम पर.
ये दौर दीपिका, आलिया, अनुष्का का है. दौर बदला ज़रूर है, कुछ बदला नहीं तो वो हैं मधुबाला के चाहनेवाले, जो कि उनके रहते भी थे और उनके जाने के इतने वर्षों बाद भी हैं.