हिंदी सिनेमा में जिस तरह से साल दर साल फ़िल्मों की कहानी, पात्रों के चित्रण, एक्टर्स का स्टाइल बदला है, वैसे ही फ़िल्मों के संगीत में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है. बॉलीवुड में प्यार हुआ इकरार हुआ, जैसे मीठे और दिल को सुकून देने वाले गाने बने हैं, तो जुम्मा-चुम्मा दे दे, जैसे आइटम नंबर्स भी खासे फ़ेमस हुए हैं. मगर आज का दौर थोड़ा अलग है, इसमें म्युज़िक में तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट्स हो रहे हैं. आज के दौर के कुछ गाने ऐसे हैं, जिनके शब्दों को समझना मुश्किल हो जाता है. और शायद यही वजह है कि आज के गानों के बेसिर वाले शब्दों के कारण बॉलीवुड के म्युज़िक को बेकार कहा जाता है. शायद आप भी मेरी इस बात से इत्तेफ़ाक़ रखेंगे कि आज जो गाने हम सुनते हैं, उनमें दारू, पार्टी, बड़ी-बड़ी गाड़ियां और लड़कियों को दिखाने के अलावा कुछ होता ही नहीं है.
मगर ये बॉलीवुड का एक पहलू है. जो आजकल के ज़्यादातर युवा देखना चाहते हैं. इसके इतर बॉलीवुड का एक पहलू वो भी है जिसमें पुराने गानों के जैसे ही अपने खूबसूरत शब्दों के माध्यम से हर इमोशन को व्यक्त करने में सक्षम हैं. बॉलीवुड में जो आज का दौर है वो बहुत ही प्रोग्रेसिव है. इस दौर में संगीत के साथ, गानों के बोलों पर भी गीतकार बहुत काम कर रहा है. ये वही दौर है जिसमें उड़ता पंजाब, रॉक स्टार, रांझणा, देव डी जैसी फ़िल्मों का संगीत के साथ-साथ गानों के लिरिक्स भी सुपर हिट हुए.
आज के गानों की बात करें तो उनका एक सार्थक अर्थ है, लोगों को वो समझ आता है. ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘राज़ी’, ‘ओके जानूं’ का गाना हो या फिर ‘पीकू’ का गाना, इन गानों को सुनकर यही लगेगा मानों आपके दिल की आवाज़ है इन गानों में. अगर आपको यकीन नहीं है, तो इन गानों की कुछ लाइन्स को देखिये और सुनिए:
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