Gadar Writer Shaktimaan Talwar: 22 साल पहले आज ही के दिन यानि 15 जून 2001 को ‘गदर: एक प्रेम कथा’ रिलीज़ हुई थी. फ़िल्म को ऐसी बंपर ओपनिंग मिली थी कि फ़िल्म के शो बढ़ाने पड़े थे. फ़िल्म के ज़बरदस्त और दमदार डायलॉग फ़ैंस आज भी Youtube पर सुनते हैं. ‘हिंदुस्तान ज़िंदाबाद था, ज़िंदाबाद है और ज़िंदाबाद रहेगा’…’कहीं ये जट बिगड़ गया तो सैकड़ों को ले मरेगा..’ ऐसे हिला देने वाले डायलॉग्स ने फ़िल्म को यादगार बना दिया. अब इसका दूसरा पार्ट आ रहा है ‘गदर 2’ (Gadar 2), जिसके टीज़र की शुरुआत ही दमदार डायलॉग से हुई है ‘दामाद है वो पाकिस्तान का, उसे नारियल दो, टीका लगाओ, वरना इस बार वो दहेज़ में लाहौर ले जाएगा.’ इस डायलॉग को सुनने के बाद दर्शकों की धड़कनें बढ़ गई हैं. एक बार फिर तारा सिंह अपनी भारी भरकम आवाज़ के साथ बड़े पर्दे पर आ रहे हैं और दर्शक उन्हें देखने के लिए बेचैन भी हैं.
मगर क्या आप जानते हैं कि सनी देओल (Sunny Deol) के इस आइकॉनिक रोल के पीछे आख़िर कौन है? फ़िल्म की ऐतिहासिक कहानी को किसने लिखा है? सनी देओल, अमीषा पटेल, अमरीश पुरी या फिर फ़िल्म के अन्य किरदारों ने अपनी एक्टिंग से तो फ़िल्म को सफल बनाया ही है मगर इस शख़्स ने अपनी कलम से ‘तारा सिंह’ (Tara Singh) के किरदार को और फ़िल्म को जीवंत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
चलिए उस शख़्स के बारे में जानते हैं जो इस किरदार को गढ़ने के पीछे है.
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दरअसल, जिस फ़िल्म के किरदार और डायलॉग की हम इतनी तारीफ़ करते हैं उसे इस लायक बनाने के पीछे लेखक शक्तिमान तलवार (Gadar Writer Shaktimaan Talwar) हैं. इन्होंने ‘गदर: एक प्रेम कथा’ और ‘गदर: दि कथा कंटीन्यूज’ की कहानी लिखी है. इनका लेखन किस तरह का है वो तो पूरे देश ने अपना प्यार देकर बता ही दिया है.
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फ़िल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ के बाद जहां फ़िल्म के हर किरदार को लेकर बधाइयों का सिलसिला चल रहा था. सभी लोग तारा सिंह के किरदार के लिए सनी और अनिल शर्मा की तारीफ़ कर रहे थे. तो वहीं इंडस्ट्री के बड़े फ़िल्ममेकर यश चोपड़ा ने शक्तिमान तलवार को फ़ोन किया, फ़ोन उनकी पत्नी ने उठाया तो यश जी ने पूछा कि ‘क्या मेरी बात शक्तिमान तलवार से हो सकती है मैं यश चोपड़ा बोल रहा हूं.’ उस वक़्त शक्तिमान बाथरूम में थे उनकी पत्नी ने उन्हें बुलाया और शक्तिमान तलवार के फ़ोन लेते ही यश जी बोले,
शक्तिमान, अगर ‘गदर’ में सबसे अच्छा काम किसी का है, तो वो आपका है.
शक्तिमान तलवार के लिए इससे बढ़कर कोई और तारीफ़ नहीं हो सकती थी.
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कैसे बने इंडोनेशिया के ‘सलीम-जावेद’?
शक्तिमान तलवार मूलरूप से गाज़ियाबाद के रहने वाले हैं. इसलिए इनकी पढ़ाई गाज़ियाबाद और दिल्ली से ही हुई है. पढ़ाई पूरी करने के बाद शक्तिमान ने बंबई की ओर रुख़ किया. कोमल नाहटा को दिए एक इंटरव्यू में शक्तिमान ने बताया था,
उनकी पहली फ़िल्म 1986 में आई ‘जाल’ थी, जिसे उमेश मेहरा ने बनाया था. शक्तिमान द्वारा लिखी गई पहली फ़िल्म ने ही बॉक्स ऑफ़िस पर धमाल मचा दिया. इसलिए उमेश मेहरा नहीं चाहते थे कि शक्तिमान कहीं जाएं वो उन्हीं के साथ काम करना चाहते ते दोनों की काफ़ी दोस्ती भी हो गई थी.
![Jaal 1986](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/06/maxresdefault-14.jpg?w=1024)
शक्तिमान का लेखन इतना पसंद आने के चलते उमेश मेहरा ने उनके साथ कई फ़िल्में प्लान कर लीं. ‘जाल’ के बाद दूसरी फ़िल्म जो इन्होंने लिखी वो थी ‘आशिक आवारा’, जो सैफ़ अली ख़ान की शुरुआती फ़िल्मों में से एक थी. शक्तिमान उस दौर में एक के बाद एक फ़िल्में लिख रहे थे. फ़िल्म ‘भाभी’ में वो मुख्य राइटर थे तो अन्य फ़िल्मों में सिर्फ़ असिस्ट ही किया था.
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इसी दौरान इनकी मुलाक़ात टीवी प्रोड्यूसर राम पंजाबी से हुई. राम पंजाबी भारतीय थे लेकिन सिंगापुर में रहते थे. वो चाहते थे कि शक्तिमान उनके लिए भी लिखें. तब उन्होंने सिंगापुर के कई शोज़ लिखे. इनमें से एक कॉमेडी शो उन्होंने राम के साथ मिलकर लिखा, जो कुछ ही एपिसोड का था लेकिन इसे इतना पसंद किया गया कि शो पांच साल तक चला. इसके बाद शक्तिमान ने अपना दूसरा इंडोनेशियन शो लिखा, जिसका टाइटल था ‘गोल्डन थ्रेड्स’. हालांकि, अभी तक शक्तिमान भारत में ही रह कर लिखते थे वो अपना काम चिट्ठियों की तरह उन्हें भेजा करते थे क्योंकि वो चिट्ठियों का दौर था.
![Shaktimaan talwar](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/06/mqdefault.jpg)
इनकी साझेदारी चलती रही और कम्यूनिकेशन चिट्ठियों से ई-मेल पर आ गया. मगर इस बार राम चाहते थे कि वो सिंगापुर आकर शो लिखें. उनकी इस बात पर थोड़ा सोच-विचार करने के बाद शक्तिमान ने मान लिया और उनके साथ सिंगापुर चले गए. मगर इंडोनेशियन शोज़ भी लिखते रहे क़रीब पांच साल तक शोज़ लिखे. शक्तिमान बताते हैं उन्होंने इतना लिखा कि उन्हें इंडोनेशियन टीवी का ‘सलीम-जावेद’ कहा जाने लगा था.
यश चोपड़ा का भी फ़ोन सिर्फ़ बधाई संदेश पर नहीं रपका वो शक्तिमान के साथ काम करना चाहते थे. फ़िल्म की कहानी भी लिखी गई, लेकिन फ़िल्म यश चोपड़ा को अपने अनुकूल नहीं लगी तो उसे वहीं बंद कर दिया गया. हालांकि शक्तिमान को बुरा लगा लेकिन वो निराश नहीं हुए क्योंकि इसस पहले भी उनके द्वारा लिखी गईं कई फ़िल्म ठंडे बस्ते में जा चुकी थीं.
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आपको बता दें, गदर: एक प्रेम कथा 2001 में ‘लगान’ के साथ रिलीज़ हुई थी. ये फ़िल्म 19 करोड़ के बजट में बनी थी और फ़िल्म ने क़रीब 133 करोड़ का बिज़नेस किया था. अब फ़िल्म के दूसरे पार्ट ‘गदर: दि कथा कंटीन्यूज़’ को लेकर दर्शकों में उत्साह बना हुआ है. फ़िल्म 11 अगस्त को रिलीज़ होगी.