सुनील दत्त, फ़िल्म इंडस्ट्री का ऐसा नाम, जिसने कई स्टार्स की ज़िन्दगी बना दी.

इंदिरा गांधी ने की थी सिफ़ारिश
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नरगिस को फ़ोन किया और कहा कि वो चाहती हैं कि सुनील दत्त उनकी दोस्त तेजी बच्चन के बेटे का ऑडिशन ले लें.
अमिताभ और सुनील दत्त की पहली मुलाक़ात
एक इंटरव्यू में अमिताभ ने कहा था कि वो अजंता होटल में 1000 रुपये प्रति रात के ख़र्च पर रुके थे जो उनके लिए महँगा पड़ रहा था क्योंकि उन्होंने कोलकाता के Bird & Co की नौकरी छोड़ दी थी.

सुनील दत्त की प्रोडक्शन कंपनी संभालने वाले, राज ग्रोवर ने बाद में अपनी किताब The Legends of Bollywood में लिखा कि वो लड़ाई राज और प्रोड्यूसर केवल कुमार के बीच हुई. केवल ने अमिताभ से हाथ मिलाने से मना कर दिया था और कहा था कि वो नए-नवेलों की पार्टी नहीं है जिससे राज को गुस्सा आ गया था.

अमिताभ का पहला ऑडिशन
अमिताभ का पहला ऑडिशन राजश्री प्रोडक्शन्स के ताराचंद बड़जात्या ने लिया था जिन्होंने अमिताभ की लंबाई देखकर कहा कि उनके साथ कोई हीरोइन काम नहीं करेगी और उन्हें अपने पिता की तरह ही कविताएं लिखनी चाहिए.
अमिताभ का दूसरा ऑडिशन
बड़जात्या के रिजेक्ट करने के बाद अमिताभ का अगला स्क्रीन टेस्ट था रूपतारा स्टूडियोज़ में. मोहन सहगल मनोज कुमार के साथ शूट कर रहे थे. मनोज कुमार को जब पता चला कि वो उनके प्रिय कवि के बेटे हैं तो वे उनके साथ बेहद नर्मी से पेश आए. मनोज ने अमिताभ से यह भी कहा कि अमिताभ एक दिन स्टार ज़रूर बनेंगे.

सुनील दत्त ने दिया पहला रोल
अमिताभ की पहली फ़िल्म थी – ‘रेशमा और शेरा’ जिसे सुनील दत्त की कंपनी ने प्रोड्यूस किया था. जब मुंबई में पहली बार में कुछ भी नहीं हुआ तब सुनील ने अमिताभ से वादा किया कि जैसे ही उनके पास अमिताभ के लायक कोई रोल होगा वो फ़ोन करेंगे. सुनील ने अपना वादा अमिताभ को पहला रोल देकर पूरा किया. ‘सात हिन्दुस्तानी’ को उनकी पहली फ़िल्म इसीलिए माना जाता है क्योंकि यह ‘रेशमा और शेरा’ से पहले रिलीज़ हो गई थी.
दत्त और बच्चन की ये दोस्ती सालोंसाल क़ायम रही.