कुछ ऐसे सेलेब्स होते हैं, जिन्हें अपने काम का ढिंढोरा पीटने की ज़रूरत नहीं होती. उनका काम बोलता है काम. ऐसी ही एक एक्ट्रेस हैं सुप्रिया पाठक. वो पिछले 40 साल से इंडस्ट्री में सक्रीय हैं और अलग-अलग किरदारों को जीवंत कर लोगों का मनोरंजन करती आ रही हैं.
उनकी गिनती इंडिया के वर्सेटाइल एक्टर्स में की जाती है. उनका ‘शबनम’ का किरदार हो या फिर ‘वेक अप सिड’ में चुप सी रहने वाली मां सरिता, खिचड़ी सीरियल की प्रफुल्लित हंसा और राम लीला में एक अंहकारी महिला हर किरदार उनके उम्दा अभिनय का ही नतीजा है.
इन सभी किरदारों को बड़े ही करीने से अदा कर सुप्रिया पाठक ने ये साबित किया है कि वो किस दर्जे की एक्ट्रेस हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1981 में फ़िल्म कलयुग से की थी. आज बात करेंगे उनकी पर्सनल लाइफ़ की और जानेंगे उनकी इंटरेस्टिंग लव स्टोरी के बारे में कि कैसे हुई थी उनकी और पंकज कपूर की पहली मुलाक़ात.
सुप्रिया पाठक की पर्सनल लाइफ़ में काफ़ी उथल-पुथल रही है, मगर इसका सामना भी उन्होंने डटकर किया है. 22 साल की उम्र में उन्होंने शादी कर ली थी, लेकिन ये शादी 1 साल से अधिक नहीं चल पाई और उनका तलाक़ हो गया. ये तब की बात है जब वो पढ़ाई करने के लिए अहमदाबाद शिफ़्ट हो गई थीं.
तलाक होने के बाद वो मुंबई वापस आ गईं. यहां वो बतौर थिएटर आर्टिस्ट अपनी स्किल्स पर काम कर रही थीं. इसी बीच उन्हें एक फ़िल्म ऑफ़र की गई. फ़िल्म का नाम था नया मौसम. इसकी शूटिंग भटिंडा में हो रही थी. यहीं पर उनकी मुलाक़ात पंकज कपूर से हुई.
इन दोनों की मुलाक़ात से करीब 1 साल पहले ही पंकज कपूर का भी तलाक़ हुआ था. दोनों एक जैसे ही हालातों से गुज़र रहे थे. शूटिंग के दौरान उनकी दोस्ती हो गई. हालांकि, सुप्रिया ने पंकज के बारे बहुत सी ग़लत बातें सुन रखी थीं, जैसे वो शराबी हैं और बहुत ग़ुस्सैल भी.
मगर फ़िल्म की शूटिंग के दौरान या उसके बाद जब सुप्रिया उनसे बातें करतीं या फिर उनके साथ शाम को घूमने निकलती तब उन्हें अहसास हो गया कि ये सारी बातें अफ़वाह मात्र थीं. और धीरे-धीरे उनकी बातों का सिलसिला बढ़ता गया और जारी भी रहा.
उन्हें पता चला कि दोनों पसंद-नापसंद कितनी मिलती-जुलती है. दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे. इसी बीच फ़िल्म की शूटिंग ख़त्म हो गई सुप्रिया मुंबई के लिए रवाना हो रही थीं. वहीं पंकज अपने परिवार से मिलने जाने वाले थे. तब सुप्रिया ने उनसे कहा था कि वो लौटकर उन्हें फ़ोन ज़रूर करें. मुंबई वापस लौटकर पंकज कपूर ने उन्हें कॉल किया. दोनों समझ चुके थे कि अब वो एक दूसरे को चाहने लगे हैं.
मगर पंकज शादी के लिए जल्दी नहीं करना चाहते थे. शायद इसकी वजह उनकी पहली शादी का टूट जाना था. इसलिए दोनों ने लगभग 2 साल तक एक दूसरे को डेट किया. एक-दूसरे को अच्छे से समझ लेने के बाद उन्होंने इस रिश्ते के बारे में अपने-अपने परिवार को बताया. पंकज के परिवार वाले तो मान गए, लेकिन सुप्रिया की मां दीना पाठक इसके लिए तैयार नहीं हुईं.
उन्हें मनाने के लिए सुप्रिया पाठक को काफ़ी मेहनत करनी पड़ी. जब उनकी मां ने देखा की सच में सुप्रिया पंकज को चाहती हैं, तो हारकर उन्होंने भी हां कह दी. इस तरह साल 1989 में पंकज और सुप्रिया पाठक की शादी हो गई. तब से लेकर अब तक दोनों साथ हैं.
एक इंटरव्यू में उन्होंने सक्सेसफ़ुल मैरिज़ लाइफ़ का मंत्र शेयर किया था. तब सुप्रिया ने कहा था कि एक शादी को चलाने के लिए तीन चीज़ें ज़रूरी हैं संयम, विश्वास और ज़िम्मेदारी. इसकी झलक उनके रिश्ते में साफ़ दिखाई देती है. हम आशा करते हैं उनके ये साथ हमेशा-हमेशा के लिए बना रहे.
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