भारतीय फ़िल्म इतिहास (Indian Film History) को क़रीब 110 साल हो चुके हैं. इंडस्ट्री में अब तक कई बेहतरीन फ़िल्मों ‘मदर इंडिया, ‘मुगल-ए-आज़म’, ‘साहिब बीबी और ग़ुलाम’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘वक़्त’, ‘गाइड’, ‘प्यासा’, ‘शोले’, ‘आंधी’, ‘गोलमाल’, ‘जाने भी दो यारो’, ‘मासूम’, ‘सारांश’, ‘बैंडिट क़्वीन’, ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे’, ‘लगान’, ‘स्वदेश’, ‘3 इडियट्स’, ‘दंगल’ और ‘बाहुबली’ का निर्माण हो चुका है. इन फ़िल्मों ने ‘हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री’ को दुनियाभर में पहचान दिलाई है.
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इस फ़िल्म को बनने में लगे 23 साल
बॉलीवुड (Bollywood) में हर साल अलग-अलग भाषाओं की हज़ारों फ़िल्में बनती हैं. इस दौरान कुछ फ़िल्मों को बनने में 3 से 4 महीने, तो कुछ को 1 से 2 साल तक लग जाते हैं. लेकिन कुछ फ़िल्में ऐसी भी होती हैं जो किसी कारणवस समय पर बन नहीं पाती हैं. इन्हीं में से एक बॉलीवुड ऐसी भी है जिसे बनने में 1, 2 या 3 नहीं, बल्कि पूरे 23 साल लग गये थे.
इस बॉलीवुड फ़िल्म का नाम लव एंड गॉड (Love and God) था, जिसे बनने में 23 साल लगे थे. ये आज भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इस फ़िल्म को ‘कैस और लैला’ के नाम से भी जाना जाता है. साल 1986 में रिलीज़ हुई ‘लव एंड गॉड’ के निर्माता-निर्देशक के. आसिफ़ थे. ये उनके निर्देशन में बनने वाली पहली और एकमात्र कलर फ़िल्म थी और यही फ़िल्म उनकी आख़िरी फ़िल्म भी साबित हुई. इस फ़िल्म में आसिफ़ ने ‘लैला-मजनू’ की पौराणिक प्रेम कहानी दिखाई थी, जिसमें अभिनेत्री निम्मी ने ‘लैला’ और संजीव कुमार ने ‘मजनू’ की भूमिका निभाई थी.
1963 में शुरू हुआ फ़िल्म का निर्माण
‘लव एंड गॉड’ फ़िल्म का निर्माण सन 1963 में शुरू हुआ था. इस दौरान फ़िल्म के लीड एक्टर गुरु दत्त थे. लेकिन साल 1964 में उनका निधन हो गया. इसकी वजह से फ़िल्म का निर्माणकार्य कुछ समय के लिये रोक दिया गया. इसके बाद 1970 में फ़िल्म में लीड रोल के लिए संजीव कुमार को लिया गया, लेकिन शूटिंग शुरू हुई ही थी कि निर्देशक के. आसिफ़ की तबियत ख़राब रहने लगी और सन 1971 में उनका भी निधन हो गया.
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15 साल बाद फिर शुरू हुई फ़िल्म की शूटिंग
अभिनेता गुरु दत्त के साथ ‘लव एंड गॉड’ की 10 प्रतिशत शूटिंग हो चुकी थी. उनकी मौत के बाद फिर से संजीव कुमार के साथ शूटिंग शुरू की गयी थी. केवल 10 प्रतिशत शूटिंग में ही 8 साल का लंबा वक़्त लग गया. निर्देशक के. आसिफ़ की मौत के बाद तो ऐसा लग रहा था मानो फ़िल्म बंद ही पड़ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. क़रीब 15 साल बाद के. आसिफ के पत्नी अख्तर आसिफ़ ने निर्माता-निर्देशक के. सी. बोकाडिया की मदद से अधूरी पड़ी फ़िल्म का निर्माण करने का फ़ैसला किया.
1986 में हुई थी फ़िल्म रिलीज़
निर्माता-निर्देशक के. सी. बोकाडिया की मदद और फ़िल्म के सभी कलाकारों के सहयोग से कुछ ही महीनों में फ़िल्म की बाकी बची शूटिंग भी निपट गई. आख़िरकार 27 मई, 1986 को फ़िल्म रिलीज़ हो गयी. लेकिन फ़िल्म की रिलीज़ के समय तक इसके कुछ कलाकारों की भी मृत्यु हो चुकी थी, जिसमें फ़िल्म के मुख्य अभिनेता संजीव कुमार भी शामिल थे. संजीव कुमार का निधन फ़िल्म रिलीज़ होने से 1 साल पहले 1985 में हुआ था.
इस फ़िल्म में संजीव कुमार और निम्मी के अलावा सिम्मी ग्रेवाल, प्राण, अमजद ख़ान, अचला सचदेव और ललिता पंवार जैसे बेहतरीन कलाकार भी नज़र आये थे. इसका संगीत नौशाद अली ने दिया था. फ़िल्म के गाने खुमार बाराबंकवी ने लिखे थे, जिनमें मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, आशा भोसले, मुकेश, तलत महमूद, मन्ना डे और हेमत कुमार ने अपनी आवाज़ें दी थी.
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