बॉलीवुड के शोमैन के नाम से मशहूर राज कपूर का ड्रीम Project थी फ़िल्म मेरा नाम जोकर. इस फ़िल्म को बनाने के लिए उन्हें बहुत सा कर्जा भी लेना पड़ा था. उस वक़्त तो ये फ़िल्म नहीं चली, लेकिन आज इस फ़िल्म की गिनती हिंदी सिनेमा की कालजयी फ़िल्मों में की जाती है.

इस फ़िल्म में राज कपूर ने एक क्लाउन यानी कि जोकर का रोल निभाया था. अपनी हर फ़िल्म के साथ ही इस किरदार के साथ भी उन्होंने पूरा न्याय किया था. आज भी जब-जब राज कपूर को याद किया जाता है, तब-तब इस फ़िल्म के सुपरहिट गाने ‘जीना यहां मरना यहां…’ को ज़रूर गुनगुनाया जाता है.

आपने भी इस फ़िल्म को ज़रूर देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं, ये वो पहली फ़िल्म नहीं थी जिसमें राज कपूर ने पहली बार जोकर का किरदार निभाया था.

शॉक लगा न, हमें भी लगा था, लेकिन ये बात उतनी ही सच है जितनी ये फ़िल्म. दरअसल, इस फ़िल्म के बनने से कुछ साल पहले राज कपूर और वैजयंती माला को लेकर एक मूवी बनाई जा रही थी जिसका नाम था ‘बहरूपिया’.

इस फ़िल्म में वो एक जोकर का किरदार निभाने वाले थे. इसके गाने ‘हंस कर हंसा’ को वो शूट कर चुके थे. इस गीत को संगीत से संवारा था शंकर-जय किशन ने और इसके गायक थे मन्ना डे साहब. इस गाने में वो एक जोकर के गेटअप में नज़र आए थे. इंटरनेट पर ये गाना आज भी उपलब्ध है.
मगर किन्हीं कारणों से ये फ़िल्म बन नहीं पाई और 1965 में ये प्रोजेक्ट हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया गया. फ़िल्म का कॉन्सेप्ट राज कपूर को बहुत पसंद आया था. इसलिए वो इसे भूला नहीं पाए. कहते हैं कि ‘बहरूपिया’ से ही प्रेरित होकर उन्होंने ‘मेरा नाम जोकर फ़िल्म बनाने की प्रेरणा ली.

ख़ैर, बहरूपिया तो नहीं बन पाई, लेकिन उसकी जगह ‘मेरा नाम जोकर’ ज़रूर बनी जो पहले तो नहीं, लेकिन बाद में ज़रूर हिट हुई. सोचिए अगर बहरूपिया फ़िल्म बन जाती तो शायद हम बॉलीवुड की ये आइकॉनिक और क्लासिक फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ देखने से महरूम रह जाते.
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