Dominic Sangma ने बॉलीवुड में काम करने के सपने के साथ कोलकाता के Satyajit Ray Film And Telivision Institute में दाखिला लिया था लेकिन जब सिनेमा की पढ़ाई की, उसे करीब से जाना, तो मुंबई की जगह वापस अपने घर मेघालय की ओर मुड़ गए.  

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2014 में वापस आकर वो नॉर्थइस्ट की अनसुनी कहानियों को सुनाने के काम पर लग गए.  

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उनकी पहली फ़िल्म Ma.Ama ने इसी साल Thrissur में आयोजित 14वें अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में बेस्ट फ़िल्म का अवॉर्ड जीता. इस कम बजट की फ़िल्म को Dominic ने 2018 में बना लिया था. लेकिन अभी और अच्छा आना बाकी था.  

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Dominic की दूसरी फ़िल्म Rapture ने उन्हें कान्स फ़िल्म फ़िल्म फ़ेस्टिवल तक ले गई. इस फ़िल्म को La Fabrique Cinéma श्रेणी के लिए चुना गया था.  

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Dominic की फ़िल्म ने दुनिया की 10 बेहतरीन की लिस्ट में जगह बनाई है. अब तक La Fabrique श्रेणी में मात्र तीन भारतीय निर्देशकों की फ़िल्म चुनी गई है.  

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मशहूर फ़िल्म निर्देशक मीरा नायर Dominic की मेंटर हैं. Dominic के बारे में मीरा का कहना है कि वो उन जैसे विज़नरी फ़िल्म निर्देशकों को सशक्त करना उनका मकसद है, ताकी वो अपनी कहानियां दुनिया को बता सकें.  

कान्स में Dominic की मुलाकात यूरोप के कई बड़े निर्माताओं, डिस्ट्रिब्युटर, एजेंट्स से हुई. वर्तमान में वो इटानगर के Film and Television Institute में पढ़ाते हैं.  

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Dominic की फ़िल्मों की ख़ासियत ये है कि वो अपने पूर्वजों की किस्सागोई की कला का इस्तेमाल कर अपनी कहानी सुनाते हैं. उनकी फ़िल्में Garo भाषा में होती हैं.  

मेघालय की Garo पहाड़ियों से निकलकर कान्स तक पहुंचने तक का सफ़र बाधाओं भरा था. न घर की आर्थिक हालत ठीक थी, न समाज विकसित था. पहली बार टीवी भी Dominic ने 9 साल की उम्र में दूसरे के घर में देखा था.  

उनकी पहली फ़िल्म Ma.Ama को एक चीनी फ़िल्ममेकर Xu Jianshang ने प्रोड्यूस किया था, जो दुनियाभर के फ़िल्म महोत्सवों में घूम-घूम कर पहचान बना रही और दूसरी फ़िल्म की बुलंदी तो सीधे कान्स तक ले गई.