बात सन 1988 की है. भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय कार्य के लिए बॉलीवुड अभिनेता राज कपूर (Raj Kapoor) को केंद्र सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) से सम्मानित किया गया था. ऐसे में राज कपूर अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली में आयोजित समारोह में भाग लेने पहुंचे हुए थे, लेकिन इस दौरान हुई एक दर्दनाक घटना ने उनकी जान ही ले ली.

ये भी पढ़ें- ये फ़िल्में साबित करती हैं कि राज कपूर आज भी, कल भी और आगे भी बॉलीवुड के असली शोमैन रहेंगे

naukrinama

दरअसल, ये समारोह दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था. इस दौरान राज कपूर अपने परिवार के सदस्यों के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचे हुए थे. हालांकि, कुछ रिपोर्टों में ये भी कहा गया है कि ये समारोह दिल्ली के सिरी फ़ोर्ट में आयोजित किया गया था.

sentinelassam

राज कपूर की उम्र तब 64 वर्ष थी और वो अस्थमा से पीड़ित थे, लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ स्थिर थे. राज कपूर जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो उन्हें सुरक्षा कारणों से संबंधित प्रोटोकॉल के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली. ऐसे में उन्हें इसके बिना ही समारोह में शामिल होना पड़ा.

indiatimes

ये भी पढ़ें- क़िस्सा: जब राज कपूर मनोज कुमार की गोद में सिर रख कर रोए थे

समारोह के दौरान भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण (Ramaswamy Venkataraman) अपना भाषण दे रहे थे. इसके बाद राज कपूर को अवॉर्ड दिया जाने वाला था, लेकिन बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के राज कपूर को बेचैनी सी होने लगी. इस बीच जब अवॉर्ड लेने के लिए राजकपूर को का नाम पुकारा गया तो वो उठते ही ज़मीन पर गिर पड़े. उठने के बाद वो चल भी नहीं पा रहे थे.

freepressjournal

इस दौरान उनकी बिगड़ती हालत को देख राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण प्रोटोकॉल तोड़ ख़ुद राज कपूर को सम्मान देने के लिए उनके पास गए. इसके तुरंत बाद राज कपूर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 1 महीने से अधिक समय तक सांस की दिक़्क़त से जूझने के बाद वो चल बसे.

freepressjournal

ये भी पढ़ें- क़िस्सा: जब राज कपूर ने महेंद्र कपूर से गाना गंवाने के लिए सिगरेट से अपना हाथ जला लिया था

यदि किसी अतिथि को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रपति प्रोटोकॉल को तोड़ सकता है तो फिर उसी अतिथि को जीवन रक्षक उपकरण की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकी? हमें ये भी सीखना होगा कि यदि हम किसी को आमंत्रित कर रहे हैं तो उसकी सुरक्षा के पर्याप्त उपाय भी किए जाने चाहिए क्योंकि जीवन हर किसी के लिए अनमोल है.

cinestaan

इस दौरान राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. ऐसे में इस मामले में उनकी सरकार को दोष नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि प्रोटोकॉल सुरक्षा कारणों से संबंधित था. राष्ट्रपति भवन में आज भी इस तरह का कोई प्रोटोकॉल है या नहीं इस बारे में अगर किसी को जानकारी है तो हमारे साथ शेयर करें.