जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, हमारे दोस्तों में एक और दोस्त शुमार हो जाता है, ‘यादें’. यादें ही तो हैं, जो बेवजह मुस्कुराहट की, अकेले होते हुए भी अकेले न होने की वजह होती हैं. यादें ही तो हैं, जो ग़मगीन मन को भी खिलखिलाने पर मजबूर कर देती हैं.

हम 90s में पैदा हुए लोगों के साथ बचपन की यादें ज़्यादा ही जुड़ी होती हैं. बड़े होने पर बचपन के खेल ज़्यादा क़रीब लगने लगते हैं. कुछ ऐसा ही है संगीत के साथ.

90s का दौर यानि की एक से एक अच्छे गानों और उससे भी सही उनके वीडियोज़ का दौर. चाहे वो फ़ाल्गुनी पाठक का ‘याद पिया की आने लगी’ गाने का वीडियो हो या फिर पलाश सेन के ‘कभी आना तू मेरी गली’ का वीडियो हो, उस समय ये वीडियोज़ हमें टीवी पर नज़रें गड़ाने पर मजबूर कर देते थे. न इंटरनेट था, न ही Apps, टीवी पर बेसब्री से इंतज़ार करते थे इन वीडियोज़ के आने का.

90s का ही एक और गाना था… ‘पिया बसंती रे काहे सताये आजा’

गाना जितना संजीदा, वीडियो उतना ही लाजवाब. वीडियो की हीरोईन पर जहां लड़कों की निगाहें टिक जाती, वहीं हीरो पर हम आहें भरते. वीडियो एक प्यारी सी प्रेम कहानी है, किसी पहाड़ी गांव की.

इस वीडियो से मेरी एक बचपन की याद भी जुड़ी है. वीडियो बार-बार देखने के लिए मुझे घर पर डांट भी पड़ी थी, क्योंकि मैं टीवी में हमेशा इसी वीडियो को ढूंढती थी और किसी कोई और धारावाहिक या न्यूज़ देखने नहीं देती थी.

वीडियो तो बहुत से लोगों को याद होगा. लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि इस वीडियो का एक Sequel भी था. पहले वीडियो के आख़िर में एक Sequel की बात कही गई थी.

अगर आपने ये बात नज़रअंदाज़ कर दी हो, तो टेंशन न लीजिये. यहां देखिये उस वीडियो का Sequel.

सही दौर था वो यार, बेकार में बड़े हो गये हम.