हर साल भारत की ओर एक फ़िल्म ऑस्कर के लिए भेजी जेती हैं और हर साल इस दौर में कई भारतीय फ़िल्में होते हैं. कुछ फ़िल्में बेहतरीन होते हुए भी बदकिस्मती का शिकार हो जाते हैं.  

अलग-अलग भाषाओं की ये 10 भारतीये फ़िल्मों को अगर मौका मिला होता तो क्या पता ये ऑस्कर में झंडे गार आतें. क्योंकि इन्हें दर्शकों ने तो ख़ुब सराहा.  

1. उड़ान

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विक्रमादित्य मोटवानी की पहली फ़िल्म उड़ान की कहानी पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित है. इस फ़िल्म की कहानी 2003 में लिखी जा चुकी थी लेकिन मोटवानी को कोई प्रोड्यूसर नहीं मिल रहा था. साल 2010 में ये फ़िल्म रिलीज़ हुई बॉक्स ऑफ़िस पर ठीक-ठाक कमाई करने के अलावा इसने दर्शकों का दिल जीत लिया.  

2. The Lunch Box

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अंतराष्ट्रीय स्तर पर तारीफ़ बटोरने वाली The Lunch Box ने कई फेस्टिवल्स में अवॉर्ड्स भी लूटे थे. एक अलग ही तरह का लव स्टोरी जो भारतीय जनता ने पहले कभी नहीं देखी थी. इरफ़ान ख़ान और निम्रत कौर ने अपनी अदाकारी से किरदारों को सजीव कर दिया था. फ़िल्म की कहानी लंच बॉक्स से होते हुए देखने वाले के दिल में उतर जाती है.  

3. A Wednesday  

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शायद ही कोई फ़िल्म आपने सुनी होगी जो भारत में बनी हुई और हॉलवुड ने उसकी कहानी को उठाया हो, अक्सर इसका उल्टा होता रहता है. नीरज पांडे द्वारा लिखित और निर्देशित A Wednesday एक आम इंसान की कहानी, जिसका एक दिन खोपड़ीं उल्टता है और सिस्टम सुधारने निकल पड़ता है.  

4. Iruvar

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मणिरत्नम ने कई बेमिसाल फ़िल्में बनाई हैं, एक मौके पर उन्होंने अपने द्वारा बनाई सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म में Iruvar का नाम लिया था. फ़िल्म की कहानी 1950 के इर्द-गिर्द बुनी गई थी और इसमें तमिलनाडु की राजनीति और फ़िल्मों के संबंध को बहुत करीब से दिखाया गया है. हालांकि ये फ़िल्म फ़्लॉप हुई थी क्योंकि इसे कई राजनैतिक पार्टियों का विरोध झेलना पड़ा था.  

5. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर

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दो पार्ट में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म कई मामलो में कल्ट बन चुकी है. इसके डायलोग लोगों के बोलचाल में इस्तेमाल होते हैं. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर ने कई एक्टर्स को पहचान दिलाई है. कई लोगों का मानना है कि जैसा ऑस्कर में जीतने वाले फ़िल्मों का इतिहास रहा है अगर गैंग्स ऑफ़ वासेपुर को भी भेजा जाता वो शायद कोई खुशख़बरी वहां से लेकर आती.  

6. Nayakan

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तमिल भाषा में बनी ये फ़िल्म एक गैंगस्टर की कहानी है, इसे मणिरत्नम ने लिखा और निर्देशित किया है. माना जाता है कि इसकी कहानी मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन Varadarajan Mudaliar की ज़िंदगी पर आधारित है. 2005 में टाइम मैगज़ीन ने अपने 100 All Time Best Movies की लिस्ट में इसे जगह दिया था.  

7. पाथेर पंचाली

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सत्यजीत रे की बहुचर्चित फ़िल्म पाथेर पंचाली आज भी लोगों के Must Watch लिस्ट में होती है. 1955 में रिलिज़ हुई इस फ़िल्म को लिखा भी सत्यजीत रे ही ने था, इसका प्रोड्यूस बंगाल सरकार ने किया था. इसकी कहानी बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय की नॉवेल पाथेर पंचाली के उपन्यास पर आधारित है. भारत ने ऑस्कर के लिए फ़िल्मों को भेजने के शुरुआत 1958 से की थी, अगर इसकी शुरुआत पहले हो जाती तो पाथेर पंचाली ज़रूर ऑस्कर गई होती.

8. Lucia

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ये पहली कन्नड़ फ़िल्म थी जिसे क्राउड फंडिंग से बनाया गया था, इसके बाद कन्नड़ फ़िल्म इंडस्ट्री में इसका ट्रेंड शुरू हो गया. बॉक्स ऑफ़िस पर ये फ़िल्म बेहद सफ़ल हुई थी. इसका मुख्य किरदार Insomnia से ग्रस्त रहता है और नींद की दवाई खाने की वजह से उसे अलग किस्म के सपने आते हैं.  

9. Kaasav

कासव 2016 में रिलिज़ हुई मराठी फ़िल्म है. इसे साल का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फ़िल्म का पुरस्कार भी मिला था. इसे ऑस्कर में भेजा जाना था लेकिन ये तमिल फ़िल्म Interrogation से पीछड़ गई.  

10. दृश्यम

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आपने ज़रूर अजय देवगन वाली दृश्यम देखी होगी लेकिन ये 2013 में दृश्यम नाम से रिलिज़ हुई मल्याली फ़िल्म की रीमेक थी. हालांकि फ़िल्म के ऊपर ये आरोप लगा था कि इसकी कहानी 2013 में लिखी गई Oru Mazhakkalathu की कहानी से प्रेरित है लेकिन कोर्ट ने इस मामले में दृश्यम को फेवर में फ़ैसला सुनाया और कहा कि पहली नज़र में दोनों की कहानी एक जैसी लगती है.