‘बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा’…  आज हम जिन बॉलीवुड फ़िल्मों के बारे में बात करेंगे, उन पर ये लाइन एकदम सटीक बैठती है. काहे कि शानदार फ़िल्म बनाकर तो कोई भी लोगों का दिल जीत सकता है. मगर दर वाहियात फ़िल्म से लोगों के दिलों पर छा जाने का हुनर सबके बस की बात नहीं. 

तो आइए, जानते हैं उन फ़िल्मों के बारे में जिन्होंने घटिया होने के बाद भी ताबड़तोड़ फ़ैन फ़ॉलोइंंग बटोरी है. 

1. जानी दुश्मन: एक अनोखी कहानी

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इस फ़िल्म में पूरी इंडस्ट्री घुसेड़ ली गई. मगर न तो ये फ़िल्म चली और न ही अरमान कोहली का करियर. फ़िल्म में नाग ने डसा भले ही एक्टर्स को हो, मगर ज़हर दर्शकों के अंदर उतर गया. ऊपर से सोनू निगम की एक्टिंग भी कम ज़हरीली नहींं थी. लोग बाकायदा मुंह से फेना छोड़ दिए. मगर इसके बाद भी इस डरावनी फ़िल्म को लोग आज भी हंस-हंसकर देखते हैं. 

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2. देशद्रोही

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कमाल राशिद ख़ान ने देशद्रोही फ़िल्म बनाने का जो पाप किया था, उसके लिए नरक में अलग से सज़ा लिखी जाएगी. मतलब यूपी-बिहार वाले भी बोल पड़े कि भइया मुंबई में उन्हें इत्ती तकलीफ़ न हुई, जित्ती इस फ़िल्म ने दी है. इस फ़िल्म में जब केआरके इमोशनल सीन करते, तो हंसी छूट जाती और जब कॉमेडी करते, तो दर्शक इमोशनल हो जाते.

3. गुंडा

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आदमी शोले के डॉयलाग भूल सकता है, मगर गुंडा फ़िल्म के नहीं. मतलब सलीम-जावेद और गुलज़ार इकट्ठे बैठकर भी इत्ती राइमिंग न कर पाते, जित्ती इस फ़िल्म में है. ‘मेरा नाम है बुल्ला, रखता हूं खुल्ला.’ ‘लम्बू ने तुझे लंबा कर दिया, माचिस की तीली को खंभा कर दिया’ …वाह! वाक़ई ऐसी दूसरी फ़िल्म कभी नहीं बन सकती.

4. जोश

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फ़िल्म के टाइटल की तरह ही ये मूवी भी जोश में बनी थी. बेमतलब की कहानी और उसमें फालतू के लफड़े. मगर यही चीज़ लोगों को पसंद भी आ गई. सारे लौंडों को अपने गैंग के नाम मिल गए. कुछ बिच्छू गैंग का सदस्य बन गया तो कोई ईगल का गैंग का माननीय हो लिया.

5. लाल बादशाह

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‘जब-जब होता है ज़ुल्मों का हादसा, तब-तब जन्म लेता है लाल बादशाह’. ये डॉयलाग जितना ऐतिहासिक है, उतनी ही फ़िल्म. भले ही अमिताभ बच्चन को इसका अफ़सोस हो, लेकिन हमें नहीं. हमारे लिए तो ये फ़िल्म फ़ेवरेट टाइम पास का ज़रिया है. 

6. सूर्यवंशम

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इस फ़िल्म में अमिताभ ने दर्शकों का खूब ख़ून चूसा. इतना कि आख़िर में वो ख़ुद भी उसे पचा न पाए. भानु प्रताप सिंह को ख़ून की उल्टी करता देखने के लिए ही लोग पूरी फ़िल्म आज भी लोग देखते हैं. 

7. हिम्मतवाला

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न तो ये फ़िल्म फ़नी है और न ही देखने लायक. फिर हम इस नरक को देखने से बाज़ नहीं आते. मुझे लगता है कि साजिद ख़ान को इस फ़िल्म के लिए ऑस्कर देना चाहिए. काहे इत्ती वाहियात फ़िल्म बनाकर भी लोगों को मौज देना, कोई आसान काम नहीं है.

8. कोई मिल गया

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ये फ़िल्म जितनी बेकार थी, उतनी ही ज़्यादा हिट साबित हुई. पता नहीं कैसे इस फ़िल्म को इतना लोगों ने पसंद किया. न.. न.. ये मत कहना कि तुम्हें पसंंद नहीं. बचपन में ऋतिक को ही देखकर तुम बॉर्नविटा पीते थे. आज भी धूप सुनते ही तुम्हें जादू याद आता है. दिल पर हाथ रखकर कहो कि ये सब झूठ है.