के.के. मेनन बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं. 1995 में फ़िल्म ‘नसीम’ से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाले के.के. मेनन ने कई डार्क और इंटेंस क़िरदार निभाए, जिन्हें फ़ैन्स और समीक्षकों दोनों की सराहना मिली है. यही वजह है कि उन्हें दादा साहब फ़ाल्के इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल अवॉर्ड्स के तहत ‘मोस्ट वर्सटाइल एक्टर’ का अवॉर्ड दिया गया है.  

ऐसे में आइये एक नज़र डालते हैं मोस्ट वर्सटाइल एक्टर के.के. मेनन द्वारा निभाए गए बेस्ट क़िरदारों पर, जिन्होंने इंडस्ट्री में उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है.  

 1. ब्लैक फ़्राइडे का राकेश मारिया  

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1993 की मुंबई बॉम्ब ब्लास्ट पर हुसैन ज़ैदी की किताब पर आधारित ये फ़िल्म अनुराग कश्यप की अब तक की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में से एक है. ये फ़िल्म बॉम्बे बम धमाकों के पीछे की साज़िश के बारे में बात करती है. के.के. मेनन ने इस फ़िल्म में एक पुलिस ऑफ़िसर राकेश मारिया का क़िरदार निभाया था.   

फ़िल्म में आतंकी के साथ इंट्रोगेशन रूम का एक सीन तो आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है. जब आतंकी बादशाह ख़ान कहता है कि उसने ब्लास्ट अपनी कौम के लिए किया और अल्लाह उसके साथ है. इस पर के.के. मेनन का क़िरदार बताता है कि कैसे अल्लाह आतंकियों के बजाय जांच एजेंसियों के साथ था. कैसे बादशाह ख़ान जैसे लोग धर्म के नाम पर बेवकूफ़ बनते हैं. फ़िल्म के क़िरदार के मुंह से कहें तो ‘तुम चूतिये हो…हर वो आदमी जिसके पास कुछ नहीं है करने को वो धर्म के नाम पर चूतिया बनता रहेगा.’  

2. हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड का पार्थो सेन  

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ये फ़िल्म 2007 में आई थी. फ़िल्म ख़ास नहीं थी, पर के.के. मेनन का क़िरदार इस फ़िल्म की जान बन गया. उन्होंने एक बंगाली शख़्स पार्थो सेन की भूमिका निभाई, जो हमेशा सीरियस ही रहता है. उसे दूसरों से घुलना-मिलना पसंद नहीं आता. वहीं उसकी पत्नी मिली एक ख़ुशमिजाज़ महिला हैं, पर वो पार्थो के कारण खुलकर ज़िंदगी नहीं जी पाती. हालांकि, मेनन का क़िरदार कैसे एक सीरियस शख़्स से बदलकर मस्ती करने वाले इंसान का रूप अख़्तियार कर लेता है, ये देखने लायक़ है.   

3. लाइफ़ इन ए मेट्रो का रंजीत  

फ़िल्म की कहानी मेट्रो सिटीज़ में रहने वाले लोगों पर बात करती है. फ़िल्म की दिलचस्प बात ये है कि इसमें दिखाया गया है कि इतने बड़े शहरों में रहने के बाद भी लोग अपनी सोच बड़ी नहीं कर पाते. मसलन, के.के. मेनन का निभाया गया क़िरदार रंजीत, जो शादीशुदा होने के बाद भी बाहर अफ़ेयर करता है. हालांकि, जब उसकी पत्नी किसी ग़ैर मर्द से कुछ पल के रिलेशन को स्वीकार करती है, तो वो इसे बर्दाश्त नहीं कर पाता. एक घटिया सोच वाले पति का क़िरदार के.के. मेनन ने बेहद शानदार तरीक़े से निभाया है.  

4. सरकार का विष्ण नागरे  

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ये फ़िल्म 2005 में आई थी. इसमे के.के. मेनन ने विष्णु नागरे का क़िरदार निभाया हो, जो सुभाष नागरे (अमिताभ बच्चन) का बड़ा बेटा है. विष्णु एक असफ़ल फ़िल्म निर्माता हैं और अपने पिता के दम पर ही सारे काम करता है. दुश्मनों के लिए वो एक मोहरा बन जाता है, जो बाद में अपने ही पिता को मारने की कोशिश करता है. मेनन ने एक ग़ुस्सैल और सिरफ़िरे बेटे का क़िरदार बेहद ख़ूबसूरती के साथ निभाया. मेनन भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि ये क़िरदार उनके करियर के लिए काफ़ी अच्छा रहा था.   

5. शौर्य का ब्रिगेडियर प्रताप  

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ये कोर्ट रूम ड्रामा फ़िल्म वाकई क़माल थी और के.के. मेनन का क़िरादर पूरी फ़िल्म की जान था. मेनन ने एक आर्मी ऑफ़िसर ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह का क़िरदार निभाया था. एक ऐसा क़िरदार जिसका मानना है कि आम लोग सुरक्षित सिर्फ़ इसलिए हैं क्योंकि सेना बॉर्डर पर खड़ी है. हालांकि, उसकी इस सोच में परेशानी ये है कि वो एक ख़ास समुदाय से बेइंतिहा नफ़रत करने लगता है. वाकई में जिस तरह इस नफ़रत को मेनन ने पर्दे पर दर्शाया है, वो रोंगटे खड़े करने वाला है. उनके डॉयलाग्स आपको जमा देंगे. कोर्ट रूम में उनका आख़िरी सीन शायद इस फ़िल्म की सबसे बड़ी याद है, जहां ब्रिगेडियर प्रताप बचाव पक्ष के वकील से कहते हैं, ‘तुम मुझे अच्छे-बुरे का पाठ मत सिखाओ, तुम्हीर औक़ात नहीं है.’  

6. गुलाल का डुकी बना   

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‘गुलाल’ शक्ति और संघर्ष की कहानी है. छात्र राजनीति, राजपूतों के अलग राज्य की मांग, नाजायज़ औलाद का गुस्सा, प्रेम कहानी, युवा आक्रोश का ग़लत इस्तेमाल जैसे मुद्दों को इस फ़िल्म में दिखाया गया है. के.के. मेनन ने फ़िल्म में डुकी बना का क़िरदार निभाया है, जो सिस्टम के ख़िलाफ़ जाने को तैयार है. एक ऐसा व्यक्ति जो मानता है कि शक्ति के साथ कुछ भी संभव है. अपने हर क़िरदार की तरह मेनन ने डुकी बना को भी इतना जीवंत बता दिया कि पर्दे पर देखकर लगता ही नहीं कि ये महज़ एक फ़िल्मी कैरेक्टर है.  

7. हैदर का ख़ुर्रम मीर   

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विशाल भारद्वाज की डायरेक्टोरियल ड्रामा फ़िल्म में के.के. मेनन ने एक डार्क क़िरदार निभाया था. उन्होंने फ़िल्म में अंकल खुर्रम मीर की भूमिका निभाई थी. आलोचकों ने उनके इस निगेटिव रोल की जमकर सराहना की थी. यहां तक हैदर में उनके काम के लिए उन्हें सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला. ये पहली भारतीय फ़िल्म थी जिसने रोम फ़िल्म फेस्टिवल में पीपल्स चॉइस अवार्ड जीता था.  

8. स्पेशल ऑप्स का हिम्मत सिंह  

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के.के. मेनन की लेटेस्ट क़िरदार की बात करें तो वो वेब सीरीज़ ‘स्पेशल ऑप्स’ में नज़र आया था, जिसमें उन्होंने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के ऑफ़िसर हिम्मत सिंह का किरदार निभाया था. सीरीज़ में एक ऑपरेशन दिखाया है जो 19 साल लंबा है और कई देशों में फैला हुआ है. तमाम उतार-चढ़ाव और थ्रिल वाले इस ऑपरेशन की कमान हिम्मत सिंह के हाथ में रहती है. बेहद सिंपल और कई गुना चालाक ऑफ़िसर के इस रोल में मेनन को दर्शकों ने काफी पसंद किया और सबने जमकर तारीफ़ की.  

आपको के.के. मेनन का कौन सा क़िरदार सबसे ज़बरदस्त लगता है? हमें कमंट बॉक्स में बताएं.