भारतीय टेलिविज़न पर सैंकड़ों ड्रामाज़ चलते हैं. चाहे वो नाग-नागिन का किस हो या फिर एक ही शख़्स की एक ही सीरियल में 4 बार कॉस्मेटिक सर्जरी. या फिर 4 बार मरकर जीना.
दुख की बात है कि इन सीरियल्स को देखने वालों की तादाद भी काफ़ी ज़्यादा हैं तभी तो टीआरीप की रेस में ये काफ़ी आगे हैं. जगहंसाई का पात्र बन चुका है भारतीय टेलिविज़न. एक से एक घटिया कॉनसेप्ट पर काम करने की होड़ सी है. लाज़मी है कि कुछ भारतीयों का मन उक्ता जाए और वो विदेशी शोज़ में ही मन रमा लें.
ग़ौरतलब है कि भारतीय टेलिविज़न पर सिर्फ़ बेकार कन्टेन्ट नहीं दिखाया जाता. ऐसे कई सीरियल बनाए गए हैं, जा रहे हैं जो आपको बेहद पसंद आएंगे-
1. मालगुडी डेज़
बचपन में देखा होगा तो मन में ता ना ना ना ना ना ना ना ना ता ना ना ना वाला टोन बज गया न. बचपन में स्वामी और दोस्तों को न सिर्फ़ पढ़ा पर पर्दे पर देखा. अगर बचपन में स्वामी की करतूत नहीं देख पाए थे तो अभी देख लो.
हम भारतीयों की पहचान का अहम हिस्सा है, हमारे यहां का खाना. पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक हमारे खाने से हमें जाना जाता है. और खाने में अगर इतिहास का तड़का लग जाए तो जो बनता है वो है राजा रसोई और कहानियां.
Subtle Comedy वो भी तेज़ तर्रार टॉपिक्स पर यही है साराभाई वर्सेस साराभाई. एक छोटे से सेटअप में दुनिया भर की हंसी छिपाई हुई है. एक ऐसा टीवी शो जिसे अगर आप अभी भी देखना शुरू करें तो एक एपिसोड में मन नहीं भरेगा.
भारतीय इतिहास की हम हर बहस में दुहाई दे देते हैं, बड़े ही आराम से. अक्सर हमें स्कूल में ग़लत पढ़ाया वगैरह भी कह देते हैं. हक़ीक़त में इतिहास की परतें खोलने की मेहनत कम ही लोग करते हैं. राजा-महाराजाओं के किलों की दिवारों में क़ैद कहानियों को दोबारा ज़िन्दा करने की कोशिश है एकांत. इस शो में होस्ट पुराने किलों पर जाकर उससे जुड़ी कहानियां बताते हैं.
कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद की कहानी. पूर्णतय काल्पनिक पर बेहद ज़रूरी कहानी. चित्रगुप्त की सभा में योद्धाओं के क़िस्मत का फ़ैसला होता है. सभी अपना पक्ष रखते हैं. और अंत में कौन स्वर्ग जाएगा कौन नर्क ये तय किया जाता है.
रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कुछ कहानियों का नाट्य रूपांतरण. अनुराग बासु का निर्देशन और एक से बढ़िया एक अभिनेता. कहानियां पढ़ीं हो या न पढ़ीं हों ये देख डालिए.
हमने आज़ादी के मतवालों की कहानी कई बार फ़िल्मों में देखी है. स्वंतंत्रता सेनानियों के जीवन पर कम ही टीवी शोज़ बनाए गए हैं. ये सीरियल चंद्रशेखर आज़ाद के जीवन पर आधारित है.
रस्किन बॉन्ड की कहानियों पर आधारित है दूरदर्शन का शो, एक था रस्टी. ये एक सेमि-ऑटोबायोग्राफ़िकल शो है क्योंकि इसके कुछ एपिसोड्स की घटनाएं रस्किन की असल ज़िन्दगी में घटे थे.
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की किताब पर आधारित दूरदर्शन के इस शो को श्याम बेनेगल ने बनाया था. भारत के इतिहास, दर्शन शास्त्र में दिलचस्पी रखने वाले हर शख़्स को इस शो में कई हीरे मिलेंगे.