हर सफ़र में एक ऐसा मोड़ आता है जो सफ़र को अलग मुक़ाम पर पहुंचा दाता है, जिसके आने से राहगीर की ज़िंदगी बदल जाती है. ऐसा ही इन 11 कलाकारों के साथ हुआ, कुछ फ़िल्में इनकी ज़िंदगी में आई और ये आम से ख़ास हो गए.
1. अमिताभ बच्चन

आज जिसे हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री महानायक का दर्जा देती है, तमाम तरह के अवॉर्ड उनकी घर की शोभा बढ़ा रहे हैं, उस अमिताभ बच्चन को उनके शुरुआती दिनों में एक फ़्लॉप हीरो माना जाता था. हालांकि, आनंद के लिए उन्हें सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिल चुका था, बॉम्बे टू गोआ भी हिट थी फिर भी ‘एंग्री यंग मैन’ वाली पहचान बनी फ़िल्म ‘ज़ंजीर’ से और आगे जो हुआ वो अब इतिहास बन चुका है.
2. शाहरुख ख़ान

शाहरुख ख़ान ‘किंग ख़ान’ रातों रात नहीं बनें, ईंट-ईंट जोड़ कर उन्होंने अपनी बुलंद इमारत खड़ी की है. सीरियल में गुमनामी की ज़िंदगी बिता रहे शाहरुख को भी अपने भविष्य के बारे में कहां मालूम था. ‘दीवाना’, ‘चमत्कार’, ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ से लोग जानने लगे लेकिन ‘बाज़ीगर’ और उसके बाद ‘डर’ से उनके फ़ैन हो गए.
3. तब्बु

1994 में तब्बु को विजयपथ के लिए Filmfare Award For Best Female Debut मिला था, हालांकि, वो साल 1982 से फ़िल्में कर रही थीं. अवॉर्ड के बाद भी तब्बु को दर्शक एक परिपक्व अदाकारा के रूप में नहीं जानते थे. उनको ये पहचान मिली 1996 में रिलीज़ हुई ‘माचिस’ से, जिसके लिए तब्बु को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था.
4. इरफ़ान ख़ान

हमारी पीढ़ी ने नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को सफ़लता की सीढ़ियां चढ़ते देखा है. लेकिन ऐसा ही कुछ इरफ़ान ख़ान के साथ भी हुआ था, उन्होंने भी कई सालों तक एक-एक मिनट के रोल किए हैं. सालों तक उनकी पहचान उभर कर सामने नहीं आ पाई थी. इंडस्ट्री में वो साल 1988 से एक्टिव थे लेकिन सही वक़्त आया 2003 में. पहले ‘हांसिल’ फिर ‘मकबूल’ करने के बाद इरफ़ान पहले वाले साइड एक्टर नहीं रहे और उनका कद बढ़ते-बढ़ते हॉलीवुड तक पहुंच गया.
5. विद्या बालन

फ़िलहाल विद्या बालन फ़िल्मों में कम दिखती हैं, लेकिन उनकी पहचान एक अच्छी अभिनेत्री के तौर पर है. ‘कहानी’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’, ‘भूल भुलैया’ और ‘डर्टी पिक्टर’ में उनकी अदाकारी ने ख़ूब वाह-वाही बटोरी थी, लेकिन 2005 में रिलीज़ हुई ‘परिणीता’ ने उनको मुख्यधारा में ला कर खड़ा दिया. इसके पहले वो हम पांच सीरियल में भी आ चुकी थीं और गानों के वीडियों में भी दिखती रहती थी.
6. मनोज बाजपेई

आज की पीढ़ी जिन अदाकारों की कायल है उस लिस्ट में मनोज बाजपाई का नाम भी आता है. मनोज बाजपाई ने अपने करियर में कई यादगार फ़िल्में की हैं. शूल, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर, राजनीति, स्पेशल 26, अलीगढ़ आदि लेकिन इन फ़िल्मों से पहले भी एक फ़िल्म आई थी, नाम है सत्या. सत्या से पहले मनोज ने कई टीवी सीरियल्स और फ़िल्मों में भी काम किया था, लेकिन उनको नाम और शोहरत दिलाई ‘सत्या’ के भीखू मात्रे ने.
7. कंगना रनौत

गैंगस्टर’, ‘लाइफ़ इन अ मैट्रो’, ‘फ़ैशन’, ‘तनु वेड्स मनु’, ये वो फ़िल्में हैं जिनसे कंगना को पहचान भी मिली और अवॉर्डस भी. मगर 2015 में रिलीज़ हुई ‘क्वीन’ उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई और वहां से वो ए लिस्ट की अदाकारा मानी जानी लगीं. इस फ़िल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.
8. नवाज़उद्दीन सिद्दीकी

वो भी एक वक़्त था जब नवाज़उद्दीन को सिर्फ़ हीरो के घूंसे खाने के लिए बुलाया जाता था और आज ये भी वक़्त है कि जब नवाज़ पर्दे पर आते हैं तो किसी बड़े हीरो से ज़्यादा तालियां बज जाती हैं. ये नज़ारा बदला ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ (GOW) के बाद, GOW के पहले और बाद के नवाज़ को आप बख़ूबी जानते होंगे.
9. राधिका आप्टे

नेटफ़्लिक्स और राधिका की जोड़ी पर तो मीम भी बन चुके हैं. फ़ीचर फ़िल्म, शॉर्ट फ़िल्म या फिर वेब सीरिज़ हर क्षेत्र में राधिका की उपस्थिति है. उनके फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत 2005 में ‘वाह! लाइफ़ हो तो ऐसी’ से होती है और एक अभिनेत्री के तौर पर पहचान बनती है 2015 में ‘मांझी- दी माउंटेन मैन से’, उसके बाद ‘पार्चड’, ‘फ़ोबिया’, ‘पैडमैन’, और अब ‘सेक्रेड गेम्स’ का सिलसिला शुरू हो गया.
10. सुशांत सिंह राजपूत

सुशांत सालों तक छोटे पर्दे की दुनिया में व्यस्त रहे, किस देश में है मेरा दिल और पवित्र रिश्ता में उनका किरदार दर्शकों का चहेता था. पहली फ़िल्म थी काय पो छे!, देखने वालों ने पहचान लिया था कि सुशांत प्रतिभावान हैं और उनकी सोच पर ‘एम. एस. धोनी’ से मुहर लग गई.
11. पकंज त्रिपाठी

अभी इंडस्ट्री में सबके प्यारे चल रहे पकंज त्रिपाठी अपने करियर की शुरुआत में कई बड़ी फ़िल्मों में मौजूद थे, लेकिन किसी ने नोटिस नहीं किया. पंकज ‘अपहरण’, ‘ओमकारा’, ‘रन’, ‘अग्निपथ’ जैसी हिट फ़िल्मों में सबकी आंखों के सामने थे. मगर असल मायनों में वो लोगों की आंखों पर चढ़े ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर'(GOW) से, GOW ने पहचान दिलाई लेकिन बड़ा काम फिर भी नहीं मिला, इसके लिए पंकज त्रिपाठी को ‘Newton’ का इंतज़ार करना पड़ा.