हर साल बॉलीवुड में हज़ारों फ़िल्में बनती और रिलीज़ होती हैं. इनमें से कुछ हिट होती है, तो कुछ फ़्लॉप. इसका पैमान उसकी कमाई को बनाया गया है. पर ऐसी भी बहुत सी फ़िल्में हैं, जो भले ही बॉक्स ऑफ़िस पर कम चली हों, लेकिन उन्होंने अपनी उम्दा कहानी और एक्टिंग के ज़रिये लोगों के दिलों पर राज किया. आइए आज बॉलीवुड की कुछ ऐसी ही फ़िल्मों पर भी एक नज़र डाल लेते हैं.
1. मसान
मसान में दो लोगों की कहानी दिखाई गई थी, जो एक ही शहर बनारस में रहते हैं. एक ख़ुद को अपने बॉयफ़्रेंड की मौत के लिए ज़िम्मेदार मानती है, तो दूसरा ऐसे घर से ताल्लुक रखता था, जिनका पेशा घाट पर लोगों को अंतिम संस्कार करना है. इस फ़िल्म ने कई पुरस्कार भी जीते थे.
2. आंखों देखी
रजत कपूर की इस फ़िल्म की कहानी एक ऐसे शख़्स पर आधारित थी जो अपनी आंखों देखी बातों पर ही विश्वास करता है. संजय मिश्रा ने इस फ़िल्म में कमाल की एक्टिंग की थी.
3. तितली
इस फ़िल्म में कार चोरी करने वाले तीन भाई हैं, जिनमें से सबसे छोटा भाई इस काम को छोड़ कुछ नया करने की सोच रहा होता है. लेकिन उसकी शादी तितली से हो जाने के बाद उसकी ज़िंदगी में उथल-पुथल मच जाती है.
4. फ़िल्मीस्तान
इस फ़िल्म का हीरो हिंदी फ़िल्मों का ज़बरा फ़ैन होता है, जो ग़लती से पाकिस्तान पहुंच जाता है. वहां उसे बंधक बना लिया जाता है. लेकिन वहां भी फ़िल्मों के प्रति उसका क्रेज ख़त्म नहीं होता. इसे बेस्ट फ़ीचर फ़िल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला था.
5. अगली(Ugly)
अनुराग कश्यप की इस फ़िल्म में समाज का काला चेहरा सामने आता है. फ़िल्म की कहानी एक सुपरस्टार के 10 साल की बच्ची के किडनैप होने पर बेस्ड है.
6. मातृभूमि
ये फ़िल्म ज़ेंडर इंबैलेंस की समस्या पर रोशनी डालती है. इसमें भविष्य की उस दुनिया का रूपांतरण किया गया है, जब देश में बहुत कम महिलाएं बचेंगी.
7. I Am Kalam
इस फ़िल्म में एक बच्चा देश के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से प्रेरित होकर अपना नाम बदल लेता है. फ़िल्म ग़रीब लोगों अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए इंस्पायर करती है.
8. दसविदानियां
इस फ़िल्म के नायक को पता चलता है कि उसके पास कुछ ही दिनों की ज़िंदगी शेष है. ऐसे में वो अपने 10 सपने पूरे करने की सोचता है. क्रिटिक्स ने भी इस फ़िल्म में विनय पाठक की एक्टिंग की ख़ूब सराहना की थी.
9. अंतर्द्वंद
ये फ़िल्म बिहार में होने वाले पकड़वा विवाह पर बेस्ड है. इस फ़िल्म ने सामाजिक मुद्दों पर बनी बेस्ट फ़िल्म का नेशनल अवॉर्ड जीता था.
10. शाहिद
ये फ़िल्म मानवाधिकार कार्यकरता और वकील शाहिद आज़मी की बायोपिक थी. इन्होंने 2006 में हुए मुंबई ट्रेन ब्लास्ट और 2008 में हुए मुंबई हमले के केस लड़े थे. इस फ़िल्म के लिए राजकुमार राव को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था.
11. रेनकोट
एक बरसात वाले दिन में एक शख़्स उस महिला के घर पहुंचता है, जिसने उसे किसी अमीर आदमी से शादी करने के लिए मंगनी तोड़ दी थी. लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे की मदद करने की कोशिश करते हैं. रितुपर्णो घोष की इस फ़िल्म ने भी नेशनल अवॉर्ड जीता था.
12. The Blue Umbrella
विशाल भारद्वाज की ये फ़िल्म रस्किन बॉन्ड के उपन्यास पर आधारित है. इसमें एक बच्ची के छाते पर एक बनिये का दिल आ जाता है और वो उसे हथियाने में कामयाब भी हो जाता है.
13. Manorama Six Feet Under
फ़िल्म एक नौसिखिये जासूस की कहानी पर आधारित है, जो ख़ुद को झूठ और धोखे का शिकार हो जाता है. उसे ही एक मर्डर के इल्जाम में फंसा दिया जाता है. फ़िल्म क्रिटिक्स ने इस फ़िल्म की बहुत सराहना की थी.
14. मानसून वेडिंग
मीरा नायर की इस फ़िल्म को भी क्रिटिक्स ने खू़ब सराहा था. इसमें एक शादी में शामिल हुए लोगों का काला चेहरा दिखाया गया था. फ़िल्म में और बाल यौन शोषण के मुद्दे पर भी बात करती है.
15. My Brother… Nikhil
इसकी कहानी 80 के दशक की है जब एचआईवी पीड़ित को समाज ठुकरा दिया करता था. तब उसे कोई भी स्वीकार नहीं करता है. फ़िल्म के नायक को उसकी बहन का साथ मिलता है और उसके सहारे समाज से लड़ने की कोशिश करता है.
16. हे राम
ये फ़िक्शन फ़िल्म है, जो भारत और पाकिस्तान के बंटवारे और महात्मा गांधी की हत्या की कहानी पर बेस्ड है. इसे कमल हासन ने डायरेक्ट किया था.
17. हासिल
तिग्मांशु धूलिया की ये फ़िल्म यूनिवर्सिटीज़ में होने वाली गंदी राजनीति पर कटाक्ष करती है. इरफ़ान ख़ान की दमदार परफॉर्मेंस देखनी हो तो आपको ये फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए.
18. फिराक
ये फ़िल्म 2002 में गुजरात में हुए दंगो के पीड़ितों की कहानी दर्शाती है. इस फ़िल्म से नंदिता दास ने डायरेक्टश की फ़ील्ड में डेब्यू किया था. उन्हें इस फ़िल्म के लिए बेस्ट नेशनल अवॉर्ड भी जीता था.
19. रघू रोमियो
रजत कपूर की एक और उम्दा फ़िल्म. इसमें विजय राज ने कमाल की एक्टिंग की है. फ़िल्म में एक ऐसे आम आदमी की कहानी जो अपनी पसंदीदा टीवी एक्ट्रेस को किडनैप कर लेता है. इस फ़िल्म ने बेस्ट फ़ीचर फ़िल्म इन हिंदी का नेशनल अवॉर्ड जीता था.
20. क्या दिल्ली क्या लाहौर
एक्टर विजय राज की ये डायरेक्टोरियल डेब्यू थी. फ़िल्म की कहानी भारत पाकिस्तान के बांटवारे के बाद 1948 में कैसे हालात थे उस पर कटाक्ष करती है.
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