टेलीविज़न और फ़िल्म इंडस्ट्री की जानी-मानी अभिनेत्री सुरेखा सीकरी का निधन हो गया है. आज सुबह हार्ट अटैक आने के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. थियेटर, टीवी और हिंदी सिनेमा में अपनी गहरी छाप छोड़ने वाली सुरेखा सीकरी ने अपने अलग-अलग किरदारों से हमारे दिलों पर राज किया. बेहतरीन अदाकारी के लिये उन्हें तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज़ा गया है.
सुरेखा सीकरी ने सास और दादी के रोल्स में दर्शकों पर ऐसी छाप छोड़ी है कि उन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. अपने अभिनय करियर में अभिनेत्री कुछ किरदार ऐसे दमदार किरदार भी निभाये थे, जिन्हें किसी ने नोटिस नहीं किया. चलिये आज उन्हीं किरदारों को याद करके सुरेखा जी को ट्रिब्यूट दिया जाये.
1. क़िस्सा कुर्सी का (मीरा)
सुरेखा सीकरी की ये फ़िल्म 1977 में रिलीज़ हुई थी, जिसमें उन्होंने मीरा नामक महिला का रोल अदा किया. सुरेखा सीकरी ने अपनी अदाकारी से रोल में जान डाल दी थी, लेकिन किरदार को ज़रा भी लोकप्रियता नहीं मिली.
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2. परदेस में है मेरा दिल (दादी)
टीवी शो ‘बालिका वधू’ ने अभिनेत्री को दादी सा के रूप में ख़ूब लोकप्रियता दी, लेकिन ऐसा पहली दफ़ा नहीं था जब उन्होंने दादी का दमदार रोल निभाया. बालिका वधू से पहले सुरेखा सीकरी ने ‘परदेस में है मेरा दिल’ में दादी की भूमिका अदा की थी. कई जाने-माने कलाकारों के बीच उन्होंने उम्दा एक्टिंग की.
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3. तहरीर मुंशी प्रेमचंद की (धनिया)
2004 में अभिनेत्री ने गुलज़ार द्वारा लिखित ‘तहरीर मुंशी प्रेमचंद की’ में होरीराम की पत्नी धनिया का रोल निभा कर सभी को चौंका दिया था. अफ़सोस दमदार एक्टिंग के बावजूद उनका ये रोल ज़्यादा पॉपुलर नहीं बन पाया.
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4. सरदारी बेगम (इदबाल बाई)
1996 में आई फ़िल्म ‘सरदारी बेगम’ में उन्होंने इदबाल बाई नामक मुस्लिम महिला का रोल अदा किया था. उनका ये किरदार काफ़ी बेहतरीन और न्यायपूर्ण था, लेकिन नोटिस नहीं हो पाया.
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5. सरफ़रोश (सुल्तान की मां)
‘सरफ़रोश’ बॉलीवुड की यादगार फ़िल्मों में से एक है, जिसमें उन्होंने सुल्तान की मां का रोल अदा किया था. फ़िल्म में उनका किरदार छोटा, मगल क़ाबिल-ए-तारीफ़ था.
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6. हरी-भरी (हसीना)
सुरेखा सीकरी और श्याम श्याम बेनेगल ने मिल कर पांच ऐसी महिलाओं की कहानी को दर्शकों के सामने रखा, जो Reproductive Rights के लिये संघर्ष कर रही होती हैं.
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7. ज़ुबैदा (फेयज़ी)
‘ज़ुबैदा’ फ़िल्म में सुरेखा सीकरी ने अपने अभिनय से फेयज़ी के किरदार को हमेशा के लिये यादगार बना दिया. किरदार में उन्होंने क़ाबिलियत का परिचय दिया. वो बात और है उनके इस रोल को इतनी प्रशंसा नहीं मिली, जितनी मिलनी चाहिये.
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8. एक था राजा एक थी रानी (बड़ी रानी मां)
टीवी के पॉपुलर शो में उन्होंने राणाजी की दादी का रोल अदा किया था. अपने जादुई अभिनय से उन्होंने रोल को प्रभावशाली बनाया. बेहतरीन अदाकारी के बावजूद उनके इस रोल पुर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया.
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9. बनेगी अपनी बात (राधा)
‘बनेगी अपनी बात’ 90 के दशक के बेस्ट टीवी शोज़ में से था, जिसमें अभिनेत्री ने राधा का रोल निभाया था. सादगी और ज़िंदादिली से उन्होंने राधा के रोल में ख़ूबसूरती भर दी थी.
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10. सात फ़ेरे – सलोनी का सफ़र (भाभो)
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11. किरदार: रहमान के जूते (Mrs. रहमान अली)
1993 में प्रसारित होने वाली इस सीरीज़ गुलज़ार साहब ने लिखी, जिसमें अभिनेत्री ने Mrs. रहमान अली का रोल निभाया था. ओम पुरी जैसे कलाकार के साथ उन्होंने इतनी सादगी से जुगलबंदी करी कि सब उनके फ़ैन हो गये थे.
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12. मम्मो (फ़य्याज़ी)
श्याम बेनगल की इस फ़िल्म ने अभिनेत्री को उनका दूसरा नेशनल अवॉर्ड दिलाया था. फ़य्याज़ी के कैरेक्टर में सुरेखा सीकरी ने भावनाओं और अदाकारी के संतुलन को बनाये रखा, जिसे देखने वाले उनकी एक्टिंग के कायल हो गये.
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सुरेखा सीकरी जी के ये वो रोल्स हैं जिनको उन्होंने अपनी एक्टिंग से काफ़ी प्रभावशाली बनाया, लेकिन उन्हें लोकप्रियता कलर्स के शो ‘बालिक वधू’ से मिली. 19 अप्रैल, 1945 को दिल्ली में जन्मी सुरेखा सीकरी पत्रकार बनना चाहती थीं, लेकिन क़िस्मत ने उन्हें इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री बना दिया. अलविदा सुरेखा जी. आपके किरदारों की कमी हमेशा खलेगी.