मेरी उमर के नौजवानों, दिल न लगाना ओ दीवानों… भाई साहब, आज भी कहीं पर ये गाना बज जाए, तो ख़ुद को रोक पाना मुश्किल हो जाता है. कुछ गाने होते ही हैं, कमर हिलाने के लिए. ऋषि कपूर, टीना मुनीम, सिमी ग्रेवाल और प्राण अभिनीत फ़िल्म ‘कर्ज़’. बॉलीवुड की Iconic फ़िल्मों की लंबी लिस्ट में शुमार, इस फ़िल्म के गाने आज भी गुनगुनाए जाते हैं.

अगर आपको ये फ़िल्म बेहद पसंद है, तो आप इसे बड़े पर्दे पर भी देख सकते हैं. New Excelsior Mukta A2 Cinema मुंबई में, 23 अप्रैल को 12 बजे इस फ़िल्म का दोबारा प्रीमियर करने वाली है.

तो Loop में कर्ज़ फ़िल्म के गाने लगाइए और इस फ़िल्म की शूटिंग की कुछ अनदेखी तस्वीरें देखिए:

इस फ़ोटो में फ़िल्म के निर्देशक सुभाष घई, प्राण को Scene समझा रहे हैं.

फ़िल्म से जुड़े कुछ कलाकार. निर्देशक सुभाष घई ने 2008 में एक Interview में इस बात को स्वीकारा था कि कर्ज़ अपने समय से बहुत आगे की फ़िल्म थी. जिसका खामियाज़ा इस फ़िल्म को भुगतना पड़ा और इसे Audience और Critics दोनों ने ही नापसंद किया. हालांकि कुछ सालों बाद इसे Iconic फ़िल्म मान लिया गया और इसके कई रिमेक इस बात का सुबूत हैं कि इस फ़िल्म ने लोगों के दिल में जगह बनाई थी.

‘कामिनी वर्मा’ याद है? ख़ूबसूरत और शातिर. कामिनी का रोल सिमी ग्रेवाल ने अदा किया था. इस रोल के लिए उन्हें Filmfare Award के लिए भी Nominate किया गया.

सुभाष घई, सिमी और ऋषि कपूर. ऋषि कपूर को ट्विटर पर Follow करते हैं ना आप?

फ़िल्म के रॉकस्टार ऋषि कपूर और फ़िल्म की खलनायिका सिमी ग्रेवाल. आजकल सिमी फ़िल्मों से दूर हैं.

ऋषि कपूर और निर्देशक सुभाष घई. हाव-भाव से ये गहरे चिंतन-मनन करते लग रहे हैं. ये नारी कौन हैं, ये बताना ज़रा मुश्किल है, चेहरा साफ़ नज़र नहीं आ रहा.

चाहने वालों के बीच, ऋषि कपूर. सुभाष घई इस फ़िल्म को हिट नहीं मानते. पर पुनर्जन्म की कहानी वाली ये फ़िल्म उस साल, कमाई के मामले में 9वें पायदान पर थी.

शूटिंग से पहले टच-अप करती अदाकारा. ये फ़िल्म कई फ़िल्मों की कहानी से लेकर कई फ़िल्मों के नाम के लिए प्रेरणा बनी.

शूटिंग से कुछ लमहें चुराते हुए ऋषि कपूर. सुभाष घई की इस फ़िल्म ने अपने गानों के लिए भी काफ़ी तारीफ़ें बटोरीं. एक हसीना थी, ओम शांति ओम और दर्द-ए-दिल जैसे गाने आज भी लोकप्रिय हैं.

ऋषि कपूर और टीना मुनीम साइकिल चलाते हुए. Sepia Tones की एक दुर्लभ तस्वीर

पुरानी तस्वीरें देखने से बहुत-सी यादें ताज़ा हो जाती हैं. यादों की धुंध हमें घेर लेती है. इसी बात पर आप भी अपनी पुरानी फ़ोटो एलबम देख लीजिए.

Source: Mid Day