ज़रा उस बॉलीवुड की कल्पना कीजिए जिसमें ‘शोले’ न हो. सोचने पर ही अजीब लगने लगता है न? शोले एक ऐसी फ़िल्म है जिसके बिना बॉलीवुड फ़ीका और बेजान सा लगता है. फ़िल्म की कामयाबी का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि 1999 में बीबीसी इंडिया ने शोले को ‘फ़िल्म ऑफ़ द मिलेनियम’ की उपाधि से नवाज़ा था.

इसके अलावा मशहूर निर्माता-निर्देशक शेखर कपूर समेत कई बड़ी हस्तियां मानती हैं कि भारतीय स्क्रीन पर शोले से बेहतर कोई फ़िल्म नहीं आई है. आज से चार दशक पहले आई शोले के किरदार और कहानियों के बारे में तो आपने हज़ारों बातें सुनीं होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं इस फ़िल्म से जुड़े ये दिलचस्प किस्से?

1. इस फ़िल्म में ‘ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे’ गाने की शूटिंग के लिए 21 दिन लगे थे. इसी तरह जया बच्चन के लैम्प जलाने वाले सीन की शूटिंग भी 20 दिनों में पूरी हुई थी.

Lightscamerabollywood

2. ‘शोले’ बॉलीवुड की पहली फ़िल्म थी, जो 100 सिनेमाघरों में 25 हफ़्तों तक लगी रही थी. ये 70 mm में बनने वाली पहली बॉलीवुड फ़िल्म थी.

Indiatimes

3. फ़िल्म में मैकमोहन का सिर्फ़ एक ही डायलॉग था, लेकिन आज भी सांभा के किरदार की प्रासंगिकता किसी तरह से कम नहीं हुई है.

Indiatimes

4. ‘कितने आदमी थे?’ गब्बर का ये डायलॉग बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय डायलॉग्स में शुमार है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस एक डायलॉग को शूट करने के लिए 40 री-टेक लिए गए थे!

ndiatimes

5. जय के रोल के लिए पहले शत्रुघ्न सिन्हा के नाम पर विचार किया गया था.

Indiatvnews

6.शोले’ में धर्मेन्द्र पहले ‘ठाकुर’ का रोल करना चाहते थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि उन्हें हेमा मालिनी के अपोज़िट काम करना है, तो वो तुरंत ‘वीरु’ का रोल करने के लिए तैयार हो गए.

Newseastwest

7. शूटिंग के वक़्त धर्मेन्द्र लाइट बॉयज़ को सीन खराब करने के लिए पैसे देते थे, ताकि उन्हें हेमा के साथ बार-बार सीन करने का मौका मिले.

India

8. इतनी लोकप्रिय होने के बावजूद शोले को सिर्फ़ एक फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड से संतोष करना पड़ा था. शोले’ को बेस्ट एडिटिंग के लिए फ़िल्मफ़ेयर मिला था.

Indianexpress

9. फ़िल्म के दौरान सिर्फ़ धर्मेन्द्र-हेमा ही रोमैंस में बिज़ी नहीं थे, बल्कि अमिताभ-जया की भी शादी शोले की शूटिंग शुरू होने के 4 महीने पहले ही हुई थी. फ़िल्म की शूटिंग के वक़्त जया गर्भवती थीं.

Indiatimes

10. हेमा मालिनी पर उस समय बॉलीवुड का हर बड़ा सितारा जान छिड़कता था. ‘ठाकुर’ का किरदार निभाने वाले संजीव कुमार को भी हेमा मालिनी पर क्रश था. उन्होंने शूटिंग से पहले हेमा को प्रपोज़ भी किया था.

Indiatimes

11. पहले फ़िल्म का अंत ठाकुर के गब्बर को मार देने के साथ हुआ था. इसी क्लाइमेक्स के साथ फिल्म रिलीज़ भी हो गई थी, लेकिन दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. बाद में इसमें जय का मरने वाला सीन जोड़ा गया, जिसके बाद फ़िल्म ने रिकॉर्डतोड़ कमाई की.

Rediff

12. अमजद खान गब्बर के रोल के बाद भले ही अमर हो गए हों, लेकिन ये गब्बर अकेला नहीं था. दरअसल 50 के दशक में ग्वालियर ज़िले में एक कुख्यात डकैत का नाम भी गब्बर ही था. उसके आतंक का आलम ऐसा था कि वो पुलिस वालों के नाक और कान काट दिया करता था.

Fallinginlovewithbollywood

13. गब्बर के किरदार के लिए फ़िल्म निर्माता अमजद खान से पहले बॉलीवुड के मशहूर विलेन Danny Denzongpa पर विचार कर रहे थे.

Nelive

14. 17 अप्रैल 2015 को ‘शोले’ पहली बार पाकिस्तान के सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी.

Indianexpress