जब दो इंसान सच में प्यार में होते हैं, तो उनके लिए वो दुनिया ही उनकी पूरी दुनिया होती है. उसी में वह जीना चाहते हैं और उसी में मरना. उस प्यार में कोई लॉजिक नहीं होता. अगर प्यार लॉजिक के हिसाब से हो कि हां बंदा/ बंदी Settled है, अच्छी नौकरी है, घर है, गाड़ी है… तो वो सोचा-समझा कंडीशनल लव है. जो कहीं न कहीं सिर्फ़ अपने फ़ायदे को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. आजकल अधिकतर लोग ऐसा ही करने लगे हैं. एक प्री-प्लैन्ड लव, ताकि सब कुछ Secured रहे.
प्यार क्या है?
इसी प्यार की कहानी पर बेस्ड है अनुराग कश्यप की फ़िल्म मनमर्ज़ियां. दरअसल इसे अनुराग कश्यप की फ़िल्म नहीं कहना चाहिए।
ये रूमी की कहानी है. रूमी (तापसी पन्नू) जिसे बरसात पसंद है, जो गुस्सा आने पर तीख़े गोल गप्पे खाती है, जिसे हॉकी खेलना पसंद है, जो बुलेट चलाती है, दारू पीती है, सुट्टा भी फूंकती है, टिंडर चलाती है.
एक लड़का है विकी, जो डीजे है. उसने पहले इंजीनियरिंग की, फिर एमबीए कर रहा था लेकिन बीच में छोड़ दी क्योंकि अब उसे डीजे बनना है. दारू पीना, सुट्टा मारना, लाउड म्यूज़िक कुछ ऐसे ही शौक हैं उसके. विकी अच्छा लड़का है लेकिन अपनी ज़िम्मेदारी से हमेशा भागता है, जैसे रूमी कहती है ‘हग देता है.’
विकी और रूमी दोनों प्यार करते हैं. बिना ये सोचे कि आगे की ज़िंदगी में क्या होना है. ये वो वाला प्यार है जिसमें लड़का लड़की के घर तमाम छतें टाप कर लड़की से मिलने आता है. जिसमें वो प्यार भी करता है और फ़्यार भी. लेकिन कहते हैं न कि सिर्फ़ प्यार से पेट नहीं भरता, अगर आपको अपने प्यार के पास हमेशा रहना हैं, तो उसके लिए पैसे कमाने पड़ते हैं. ज़िम्मेदार होना पड़ता है, जो विकी नहीं है.
इसलिए दोनों चटक लेते हैं! यानी घर से भाग जाते हैं, बिना ये सोचे कि दोनों खाएंगे-पिएंगे क्या! इन दोनों से फ़्यार से बिलकुल अलग है रॉबी (अभिषेक बच्चन). उसे लगता है कि सच्चा प्यार Exist करता है, उसे ख़ुद रूमी से एक नज़र में प्यार हो जाता है.
फिल्म का डायरेक्शन और एक्टिंग
वैसे फ़िल्म के फ़र्स्ट हाफ़ तक लगता है कि आप अनुराग कश्यप की फ़िल्म देख रहे हैं, लेकिन सेकेंड हाफ़ एक सिंपल बॉलीवुड लव स्टोरी है लेकिन सिंपल सी इस कहानी को अनुराग कश्यप ने अच्छा प्ले किया है. विकी कौशल और अभिषेक बच्चन ने अच्छा काम किया है, लेकिन ये फ़िल्म रूमी (तापसी पन्नू) की है.
ये फ़िल्म प्यार और फ़्यार की इसी जंग के बीच चलती है. वो न प्यार को सही मानती है, न फ़्यार को. वो ये सब आप पर छोड़ती है, इस सवाल के साथ.