1983 में श्याम बेनेगल की फ़िल्म आयी थी मंडी. फ़िल्म में एक कोठा था, उसकी मालकिन शबाना आज़मी पर भी कोठा खाली करने का सरकारी दबाव डाला जाता है और वो उसी में फंस जाती है ख़ूब सरकारी दांव-पेंच चलते हैं, लेकिन वो हार जाती है.

विद्या बालन की फ़िल्म ‘बेगम जान’ में भी एक कोठा है, इसमें भी सरकारी दांव-पेंच है, लेकिन इस कोठे की मालकिन बेग़म जान, इसे इतनी आसानी से नहीं जाने देगी.

श्रीजित मुखर्जी के निर्देशन में बनी ‘बेग़म जान’ कहानी है भारत-पाकिस्तान के पार्टिशन की. उसका कोठा अब दो अलग मुल्क होने जा रहे भारत-पाकिस्तान के बीच में पड़ता है, इसलिए उसे हटना होगा. लेकिन वो अपने महल को ऐसे कैसे जाने देगी?

श्रीजित मुख़र्जी की ये फ़िल्म उन्हीं की बांग्ला फ़िल्म ‘राजकहिनी’ का ही स्वरुप है. विद्या बालन के साथ फ़िल्म में हैं नसीरुद्दीन शाह, इला अरुण, गौहर खान, आशीष विद्यार्थी. फ़िल्म का सरप्राइज़ पैकेज हैं चंकी पांडे.

डायलॉग्स बहुत ज़बरदस्त हैं और एक्टिंग में जान दिख रही है. विद्या बालन की एक और ब्लॉकबस्टर का इंतज़ार रहेगा.

ये रहा फ़िल्म का ट्रेलर:

बेग़म जान 14 अप्रैल को रिलीज़ हो रही है.