डिजिटल युग से पहले फिल्मों के पोस्टर्स हाथ से बने और पेंट किए जाते थे. नई फ़िल्मों के हाथ से बने रंग-बिरंगे पोस्टर्स हर सिनेमा हॉल और शहर के गली-नुक्कड़ पर लगते थे मानों कोई त्यौहार आ गया हो. धीरे- धीरे डिजिटल का ज़माना आ गया और अब ये सुंदर पोस्टर्स इतने क़ीमती हो गए हैं कि इनको ख़रीदने के लिए लाखों, करोड़ों की बोली लगती है या कुछ किसी गोदाम में सड़ रहे हैं. यानी मोटा- मोटी कहें तो वो दौर जा चुका है. हम आपके लिए कुछ पुरानी फ़िल्मों के पोस्टर्स लाए हैं, जिनको आप बिना पैसे दिए देख सकते हैं. उठाइए, सुनहरे दिनों का लुफ़्त !
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