90s Kid को बजाज स्कूटर, धारा रिफ़ाइंड तेल और डेयरी मिल्क जैसे विज्ञापन आज भी याद हैं. ये अपने वक़्त में काफ़ी पॉपुलर हुए थे और इनके जिंगल लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गए थे. ये सभी विज्ञापन टीवी पर आते थे. मगर एक ज़माना ऐसा भी था, जब विज्ञापन टीवी पर नहीं, बल्कि अख़बारों और मैगज़ीन में छपते थे. इन Old Indian Ads के ज़रिए भी स्कूटर, हेयर ऑयल से लेकर सिगरेट तक बेची जाती थी.
1. 1979 में ताजमहल चाय का विज्ञापन

2. 1947 में पॉन्ड्स ब्यूटी क्रीम का विज्ञापन

3. 1970 में 217 रुपये में बॉम्बे के लिए फ़्लाइट टिकट का विज्ञापन

4. 1960 में भारतीयों की ज़िंदगी चॉकलेटी थी. कैडबरी Bournvita का विज्ञापन

5. 1960 से भारतीय डकार मारने की कोशिश कर रहे. सुबूत है ये ईनो ‘फ़्रूट सॉल्ट’ का विज्ञापन.

6. 1967 में भी Amul लोगों को कम मक्खन नहीं लगाता था.

7. कर्नाटक राज्य सरकार के स्वामित्व वाली KSRTC (सार्वजनिक परिवहन) ने 1987 में कम्प्यूटरीकृत टिकट रिज़र्वेशन का ये एड निकाला था.

8. 1989 में स्कूली शिक्षकों के लिए लूना पर आसान ईएमआई ऑफ़र.

9. 9,340 रुपये में वर्ल्ड टूर का मज़ा सिर्फ़ 1980 में ही नसीब था.

10. 1988 में नॉर्स्क डेटा सिस्टम्स द्वारा भारत में पेश किए गए सबसे शुरुआती पोर्टेबल माइक्रो कंप्यूटर.

11. 1986 काइनेटिक होंडा का विज्ञापन. उस वक़्त ये गाड़ी लड़के-लड़कियों की पहली पसंद बन गई थी.

12. कभी सुट्टेबाज़ होना कूल होने की निशानी थी. ये देखिए 1974 में पनामा सिगरेट का विज्ञापन.

13. 1949 में रेक्सोना साबुन का विज्ञापन.

14. भारतीय आज़ादी से पहले से कॉर्नफ़्लेक्स खा रहे हैं. देखिए 1946 का केलॉग्स ब्रेकफ़ास्ट का विज्ञापन

15. 1979 में कैम्पा कोला का विज्ञापन. इसे कोका-कोला के विकल्प के तौर पर एक भारतीय कंपनी ने लॉन्च किया था.

16. 1947 में भारत की स्वतंत्रता का जश्न मनाता पारले का ये विज्ञापन

17. 1990 में Gin शराब का प्रचार करती मॉडल पूजा बेदी

18. टीवीएस 50 एक्सएल ने मोपेड का प्रचार एकदम अलग ढंग से किया. उसने न सिर्फ़ यूथ को शामिल किया, बल्कि भिक्षुओं और नन समेत एक बड़े वर्ग को टारगेट किया – 1985

19. ब्लैक एंड व्हाइट ज़माने से बरकरार है सर्फ़ पाउडर की सफ़ेदी की चमक. ये रहा 1966 का विज्ञापन.

20. 2 मिनट में बनने वाली मैगी दशकों से भारतीयों की पसंद है. ये रहे 1980 के दशक के विज्ञापन
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पुराने वक़्त के इन विज्ञापनों में सिर्फ़ सामान नहीं, बल्कि भारतीयों की यादें हैं. इन विज्ञापनों के आगे तो आज के विज्ञापन कहीं भी नहीं टिकते.