बॉलीवुड में हर साल कई फिल्में बनती हैं, कितनी इसका सही आंकड़ा तो हम नहीं बता सकते हैं लेकिन इनकी संख्या हज़ारों में तो होती ही होगी. इसलिए आज हम बॉलीवुड फ़िल्मों की ही बात करने जा रहे हैं. साल 2012 में इंडियन सिनेमा ने अपने सौ साल पूरे किये थे. वर्तमान में बॉलीवुड को105 साल हुए चुके हैं. इन सालों में अनगिनत फ़िल्में बनायीं गयीं. कई सुपर-डुपर हिट हुई, तो कुछ सुपर फ़्लॉप. कुछ ऐसी भी फ़िल्में बनी जो रिलीज़ ही नहीं हो पायीं और ठंडे बास्ते में पड़ी रहीं. बॉलीवुड ने अपने इस सफ़र को में कई दौर देखे.

हिंदी सिनेमा में आज जो दौर चल रहा है, उसमें निर्माता-निर्देशक लीक से हटकर, सामाजिक मुद्दों पर, महिला प्रधान और छोटे शहर की कहानियों को दर्शकों को लेकर आ रहे हैं. और आज लोग ऐसी फ़िल्मों की सराहना भी कर रहे हैं. वहीं फ़िल्मी प्रेमियों का एक बड़ा तबका ऐसा है, जो ड्रामा, कॉमेडी, एक्शन या काल्पनिकता से भरपूर फ़िल्मों को देखना ही पसंद करता है. पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आर्ट सिनेमा या पैरलर सिनेमा को देखना पसंद करते हैं. इनमें अधिकतर वो फ़िल्में होती हैं जो सच को साधारण तरीके से उसी अंदाज़ में पेश की जाती हैं.

आज हम आपके लिए ऐसी ही कुछ फ़िल्मों की सूची लेकर आये हैं, जो भले ही बॉक्स ऑफ़िस पर कोई रिकॉर्ड बनाने में या 100 करोड़ के क्लब शामिल होने में सफ़ल नहीं हुई. पर ये ऐसी फ़िल्में जो आप किसी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म को देखने के बयाए देख सकते हैं.

1. संकट सिटी

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जुलाई 10, 2009 में रिलीज़ हुई ‘संकट सिटी’ का निर्देशन पंकज आडवाणी ने किया है. फ़िल्म की कहानी वैसे तो मामूली और मुंबइया मसाला है. फ़िल्म कॉमेडी के साथ-साथ समाज में फैली कई समस्याओं पर बखूबी तंज़ भी करती चलती है. फ़िल्म के मुख्य कलाकार गुरुपाल और चंकी पांडे (बचपन में बिछड़े भाई हैं) साथ ही रिमी सेन ने इस फिल्म में बंगाली लड़की का किरदार निभाया है. वहीं अपनी संजीदा अभिनय के लिए जाने जाने वाले केके मेनन ने फ़िल्म में जान डाल दी है.

2. वेल डन अब्बा

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श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘वेल डन अब्बा’ 26 मार्च 2010 को रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म में उन्होंने चिकटपल्ली नामक गांव को दिखाया है. ये फ़िल्म ग्रामीण जीवन और उनकी समस्याओं को बारीकी से दिखाती है. साथ ही फ़िल्म के ज़रिये निर्देशक ने उन सरकारी योजनाओं पर रौशनी डालने की कोशिश की है जो गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिए बनाई जाती है. जैसे मुफ्त का घर, मुफ्त का कुआं, मुफ्त की शिक्षा, चिकित्सा जैसी योजनायें सरकार से गरीब तक पहुंचने में कई लाख की कीमत तक पहुंच जाती हैं, पर उनको मिलती नहीं है. फ़िल्म के मुख्य किरदारों में बोमन ईरानी, मिनिषा लांबा नज़र आये हैं.

3. इंशाअल्लाह, फ़ुटबॉल

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इंशाअल्लाह, फ़ुटबॉल फ़िल्म 2010 में रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म को आप Netflix पर देख सकते हैं! इसमें एक मुस्लिम लड़का जो दक्षिणी अमेरिका के फुटबॉल खिलाड़ी की कहानी है. इस फ़िल्म को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है.

4. चिट्टागोंग

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12 अक्टूबर 2012 में भारतीय सिनेमा घरों में प्रदर्शित हुई फ़िल्म चिट्टागों एक भारतीय ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है, जिसका निर्माण बेबब्रता पैन ने किया है. मनोज बाजपई इस फ़िल्म के प्रमुख किरदार हैं. फ़िल्म की कहानी ब्रिटिश भारत के एक गांव की है. इस फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है.

5. 404: Error Not Found

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404: एरर नॉट फाउंड एक हॉरर-थ्रिलर फ़िल्म है. इस फ़िल्म में कमरा नंबर 404 की कहानी है. फ़िल्म के मुख्य कलाकार निशिकांत कामत, इमाद शाह, सतीश कौशिक और टिस्का चोपड़ा हैं और इसका निर्देशन प्रावल रमन ने किया है.

6. कौन?

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1999 में रिलीज़ हुई कौन? एक साइकोलॉजिकल-थ्रिलर फ़िल्म, जिसे राम गोपाल वर्मा ने डायरेक्ट किया है और इसकी कहानी अनुराग कश्यप ने लिखी है. फ़िल्म में उर्मिला मांतोडकर, मनोज बाजपेई और सुशांत सिंह ने बेहतरीन अभिनय किया है.

7. नौटंकी साला

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आयुष्मान खुराना, कुणाल रॉय कपूर, पूजा साल्वी, इवलिन शर्मा और गेवलिन मेंडोंसा द्वारा अभिनीत ये फ़िल्म न्यू एज की कॉमेडी से भरपूर है. 12 अप्रैल 2013 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म के निर्देशक रोहन सिप्पी हैं, जिन्होंने फ़िल्म में देसीपन का छौंक लगाया है. नौटंकी साला की कहानी प्यार, दोस्ती और धोखे के मसाले पर आधारित है.

8. मेरे डैड की मारुति

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‘मेरे डैड की मारुति’ ऐसे लड़के की कहानी है जो ज़िन्दगी में लूज़र है. वो चंडीगढ़ में रहता है और हमेशा अपने डैडी की गालियां खाता रहता है. जब भी वो अपने डैड से किसी चीज़ की डिमांड करता है तो उसे हमेशा डांट पड़ती है. फ़िल्म के मुख्य किरदारों में नज़र आये हैं राम कपूर और साकिब सलीम. 15 मार्च 2013 को रिलीज़ हुई इस फ़िल्म में कॉमेडी का मज़ेदार तड़का है.

9. लव शव ते चिकन खुराना

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2 नवंबर 2012 को भारतीय सिनेमा हॉल में रिलीज़ हुई फ़िल्म लव शव ते चिकन खुराना की कहानी पंजाब के एक छोटे से गांव के एक सनकी परिवार की है. इस परिवार का मुखिया एक प्रसिद्ध ढाबे चलाता है, जिसका चिकन ‘चिकन खुराना’ नाम से बहुत फ़ेमस है. पर इसकी रेसिपी किसी को नहीं पता. फ़िल्म की पूरी कहानी इसी रेसिपी को जानने के इर्द-गिर्द घूमती है. फ़िल्म में कुणाल कपूर और हुमा कुरैशी ने बेहतरीन अभिनय किया है. निर्देशक समीर शर्मा ने इस फ़िल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी.

10. संडे

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25 जनवरी, 2008 को रिलीज़ हुई ये फ़िल्म एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसकी ज़िन्दगी से एक संडे मिसिंग है. फ़िल्म का ताना-बाना लड़की की इसी परेशानी के चारों और सस्पेंस के साथ बुना गया है. उसके इस संडे का राज़ जानने में उसके तीन दोस्त और एक एसपी करता है. फ़िल्म में अजय देवगन, आयशा टाकिया, अरशद वारसी, इरफ़ान ख़ान, अंजना सुखानी जैसे कलाकार नज़र आये हैं.

11. यकीन

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यकीन एक ऐसे दम्पति की कहानी है, जो एक भयानक सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. दुर्घटना के बाद पति अपनी पिछली ज़िन्दगी के बारे में सबकुछ भूल जाता है. फिर कैसे वो अपनी ज़िन्दगी के बारे में पता लगाता है फ़िल्म की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है. प्रियंका चोपड़ा और अर्जुन रामपाल इस फिल्म में प्रमुख किरदारों में नज़र आये हैं.

12. मकड़ी

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साल 2002 में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म बच्चों के लिए बनाई गई थी, पर इसे बड़े-बुज़ुर्गों ने भी बड़े चाव से देखा. ये हॉरर फिल्म है, जिसमें एक भूत बंगला है, सभी गांव वालो का मानना है कि इस बंगले में एक चुड़ैल रहती है जो बच्चों को खा जाती है. एक बार एक बच्ची इस चुड़ैल के जाल में फंस जाती है. फिर वो कैसे उसके चंगुल से बाहर आती है फ़िल्म की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है.

13. एक चालीस की लास्ट लोकल

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एक चालीस की लास्ट लोकल फ़िल्म में हीरो है, हीरोइन है, अंडरवर्डल डॉन है उसका भाई है. कहानी यूं है कि फ़िल्म का हीरो की एक चालीस की लोकल ट्रेन मिस हो जाती है. तभी हीरोइन की भी वही ट्रेन मिस होती है. दोनों में बात होती है, फिर दोनों टाइम पास करने के लिए नज़दीकी बार में जाते हैं. जहां हुई झड़प के बाद डॉन का भाई मर जाता है और उसकी मौत का इल्ज़ाम हीरो पर आ जाता है. उसके बाद वो कैसे खुद को बेक़सूर साबित करता है यही है फिल्म की कहानी। फिल्म में अभय देओल और नेहा धूपिया नज़र आये हैं.

14. वेक अप सिड

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‘वेक अप सिड’ में ज़िन्दगी के उस हिस्से को दिखाया गया है, जिससे ज़्यादातर युवा कॉलेज ख़तम होने के बाद गुजरते हैं. पढ़ाई ख़त्म होने के बाद कई बच्चों के के सामने कोई लक्ष्य नहीं होता. ऐसा ही एक लड़का है फ़िल्म का मुख्य किरदार सिड यानि सिद्धार्थ मल्होत्रा. कैसे वो अपने जीवन में किस लक्ष्य को हासिल करता है, इस जद्दोजहद की कहानी है ‘वेक अप सिड’. फिल्म में रणबीर कपूर, कोंकणा सेन शर्मा मुख्य भूमिकाओं में हैं.

15. 13B

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फ़िल्म 13बी की कहानी आठ सदस्‍यों के एक परिवार मनोहर, उसकी मां, उसकी पत्‍नी प्रिया, उसका बड़ा भाई, उसकी साली, उसका भतीजा, भतीजी और छोटी बहन के इर्द गिर्द घूमती है. यह परिवार एक नये भवन की 13वीं मंजिल के 13बी अपार्टमेंट में रहने के लिए आता है. शिफ़्ट होने के साथ-साथ उनके साथ क्या-क्या घटित होता है इसकी कहानी है ये फ़िल्म.

अब आपको ये तो पता चल गया ना कि खाली समय में फ़ालतू की फ़िल्में देखने के बजाए आप कौन सी फ़िल्मों को देख सकते हैं. अगर आपको भी ऐसी ही किसी फ़िल्म का नाम पता हो तो हमें कमेंट करके बताइयेगा.