45 साल तक बॉलीवुड पर राज करने वाले एक्टर कादर ख़ान अब हमारे बीच नहीं रहे. वो एक ऐसे एक्टर थे जिन्होंने अपनी फ़िल्मों के ज़रिये हमें हंसाया भी और रुलाया भी. उनकी दमदार डायलॉग डिलिवरी के आगे बड़े-से बड़े एक्टर फ़ेल हो जाते थे. इंडस्ट्री के लिए वो एक मिसाल थे, जिन्होंने ख़ुद से अपने आप को गढ़ा था. उनके चले जाने पर पूरी इंडस्ट्री का ग़मगीन होना लाज़मी है.

उनके करीबी दोस्त माने जाने वाले एक्टर शक्ति कपूर भी उनके निधन पर दुखी हैं. इसके साथ ही उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए इतना कुछ करने वाले इस स्टार के बुरे दिनों में अकेला छोड़ देने के लिए पूरी इंडस्ट्री को कठघरे में खड़ा किया है.

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किसी के जाने के बाद ही इंडस्ट्री को उनकी याद क्यों आती है?

कादर ख़ान के साथ 100 से भी अधिक फ़िल्मों में काम कर चुके शक्ति कपूर ने कहा कि फ़िल्म इंडस्ट्री किसी स्टार के चले जाने के बाद ही क्यों उन्हें याद करती है. क्यों नहीं लोग किसी स्टार के संघर्ष भरे दिनों में उसका साथ देते, उसके अच्छे काम की तारीफ़ उसके रहते क्यों नहीं करते?

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हिंदुस्तान टाइम्स को दिए अपने इस इंटरव्यू में शक्ति कपूर ने कहा कि वो कादर ख़ान के चले जाने से सदमे में हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत दुखी हूं, बीते कुछ वर्षों में इंडस्ट्री के मेरे कई करीबी दोस्त दुनिया छोड़ कर चले गए. उनकी मौत के बाद लोग उन्हें याद करते हैं, मुझे ऐसे लोगों से शिकायत है. जब वो ज़िंदा रहते हैं तब लोग न तो उनकी बात करते हैं और न ही उनकी उपलब्धियों को.’

पिछले एक दशक में जब कादर ख़ान कोई काम नहीं कर रहे थे और बीमारी से जूझ रहे थे, तब किसी को उनकी याद नहीं आई. उन्हें पूछने वाला कोई नहीं था, हालांकि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत मज़बूत थी मगर उन्हें इंडस्ट्री ने अकेला छोड़ दिया, कोई उनके हाल-चाल तक पूछने नहीं जाता था. क्यों कादर ख़ान को उनकी फ़ैमिली के साथ अकेला छोड़ दिया गया?
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‘क्या उन्हें पता था कि लोग उनसे कितना प्यार करते हैं, क्या उन्हें अपनी उपलब्धियों के बारे में पता था? उन्होंने इंडस्ट्री के लिए कितना कुछ किया था. मैं उनके ऊपर एक पूरी किताब लिख सकता हूं, क्योंकि मैं उन्हें बहुत ही करीब से जानता था. मैं उन्हें मसीहा कहता था.’

इंडस्ट्री में इतनी पॉलीटिक्स क्यों है?

वो अकसर मुझसे कहते थे कि क्यों इस दुनिया में अच्छाई ख़त्म होती जा रही है, बच्चे क्यों अपने माता-पिता की इज़्ज़त नहीं करते, बुढ़ापे में उनका सहारा नहीं बनते. एक एक्टर की फ़्लॉप फ़िल्म को देख कर दूसरा एक्टर ख़ुश क्यों होता है. क्यों लोग दूसरों की अचीवमेंट पर ख़ुश न होकर उनसे जलते हैं. इतनी राजनीति क्यों है. ये वो बातें थीं जो कादर ख़ान को बहुत सालती थीं.
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‘काम के मामले में कादर ख़ान का कोई सानी न था. हमने बहुत से स्टेज शो एक साथ किए. एक वक़्त ऐसा था जब शक्ति कपूर और कादर ख़ान की जोड़ी जिस फ़िल्म में होती, उसे ब्लॉक्बस्टर मान लिया जाता था. विदेशों में भी हमारे शो हाउसफ़ुल रहते थे.’

धमाकेदार वापसी करना चाहते थे

उन्हें आजकल के एक्टर्स से एक ही शिकायत थी, वो है भाषा की. उनका कहना था कि नए एक्टर्स को डायलॉग डिलीवर करना नहीं आता, वो जो डायलॉग बोलते हैं, वो आधा तो समझ ही नहीं आता. वो हमेशा मुझसे कहते थे, ‘शक्ति देखना मैं एक दिन धमाकेदार वापसी करूंगा और इन एक्टर्स को सिखाऊंगा, कि कैसे डायलॉग बोले जाते हैं.
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‘ये मेरी और उनकी आखिरी मुलाकात थी. मैं उन्हें स्टेज पर वापस काम करते देखना चाहता था, लेकिन मेरा ये सपना अधूरा ही रह गया. हमने साथ में बहुत काम किया और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा. मैं उन्हें अपना गुरू मानता था. जब भी कहीं हम मिलते, तो पैर छूकर उनका अभिवादन करता था.’

वो हमेशा मुझसे ज़िंदगी के बारे में अच्छी बातें किया करते थे, बताते थे कि कैसे मुश्किलों का सामना करना है. वो चाहते थे कि दुनिया के लोग खु़श रहें. कादर खान का एक ही सपना था कि जब भी वो इस दुनिया से जाएं, तो उन्हें लोग एक अच्छे और ज़हीन इंसान के तौर पर याद रखें, जो कभी मेहनत करने से पीछे नहीं हटा.
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कादर ख़ान की फ़िल्म वंश का ये डायलॉग उनकी ज़िंदगी पर पूरी तरह फ़िट बैठता है, ‘अपनी बात ही ऐसी है, जहां चार आदमी जमा होते हैं, हमारी ही बात करते हैं पूरे इंडिया में.’

अलविदा कादर ख़ान.