When Manoj Kumar recalled trauma of Partition: भारत-पाक विभाजन के दौरान हुए दंगों में हिंदुस्तानियों ने बहुत कुछ खोया. लाखों मासूमों की जान गई, घर-ज़मीन छूटी और शरणार्थी बन गए. दशकों तक बॉलीवुड में देशभक्ति का चेहरा रहे मनोज कुमार भी उनमें से एक हैं. 1947 में भारत के विभाजन के दौरान वो भारत आ गए थे.
अभिनेता का जन्म पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के एबटाबाद में हुआ था, लेकिन उन्हें अपनी फ़ैमली के साथ भारत आना पड़ा. यहां उन्हें एक शरणार्थी शिविर में रहना पड़ा था.
दंगों की वजह से खोया छोटा भाई
विभाजन के दौरान, मनोज कुमार की मां ने एक बच्चे को जन्म दिया था और उस समय उन दोनों की तबियत खराब हो गई. उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मगर बच्चे को नहीं बचाया जा सका.
एक इंंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था, “मैं सबसे बड़ा बेटा था, मेरी एक छोटी बहन थी, जिसका नाम ललिता था. जब बंटवारा हुआ तो मेरी मां ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम हमने कुकू रखा. वो और मेरी मां अस्वस्थ थे, हम उस समय एक शरणार्थी शिविर में थे. मां अस्पताल में भर्ती थीं और दंगे हो रहे थे. जब सायरन बजता तो डॉक्टर और नर्स भूमिगत हो जाते थे.’
उन्होंने आगे कहा, “मेरी मां और भाई की हालत खराब थी. मां डॉक्टरों को बुला रही थी लेकिन वे सभी भूमिगत थे. मां की एक चीख सुनाई दी और बोलीं, मेरा कुकू चला गया. मेरा भाई मर गया था. मैं बेहद गुस्से में था, मैंने एक लाठी ली और कुछ डॉक्टरों और नर्सों की पिटाई कर दी. मेरे पिता ने मुझे किसी तरह संभाला.’
पिता ने दिलाई हिंसा ना करने की कमस
अगले दिन मनोज और उनके परिवार ने दो महीने के बच्चे का अंतिम संस्कार किया. ‘उस दो महीने के बच्चे को जमुना जी में बहा दिया और जैसे जैसे वो नीचे जा रहा था, वैसे वैसे मुझे लग रहा था के मैं डूब रहा हूं.’
उस दिन मनोज के पिता ने उनसे कसम ली कि वो कभी भी हिंसा में शामिल नहीं होंगे.
“मेरे पिता ने मुझे शपथ दिलाई कि मैं जीवन में कभी हिंसा का सहारा नहीं लूंगा. कई बार मैं किसी को थप्पड़ मारना चाहता था लेकिन मेरी कसम मुझे रोक देती थी.”
बाद में मनोज कुमार मुंबई चले गये और एक लोकप्रिय बॉलीवुड स्टार बन गये. उन्होंने गुमनाम, वो कौन थी?, दस नंबरी, शहीद, पूरब और पश्चिम और क्रांति जैसी हिट फ़िल्में दीं. इन फिल्मों से मनोज बॉलीवुड में देशभक्ति का पर्याय बन गए.
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