Nusrat Fateh Ali Khan on Anu Malik: इसमें कोई शक नहीं कि कई पाकिस्तानी गायकों को भारतीयों ने बढ़चढ़ प्यार दिया है. उनकी कला की सराहना की और उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा. चाहे, वो ग़ज़ल सम्राट ग़ुलाम अली हों या फिर शहंशाह-ए-कव्वाली नुसरत फ़तेह अली खां. 

वहीं, बात जब नुसरत फ़तेह अली खां की हो, तो उनकी आवाज़ के अनूठेपन और रूहानियत को भुलाया नहीं जा सकता. भले आज वो हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके गाने आज भी भारत में सुने जाते हैं. 
इसके अलावा, बॉलीवुड के कई गाने नुसरत जी की कव्वालियों से प्रेरित रहे हैं. बॉलीवुड के कई बडे़ म्यूज़िक डायरेक्टरों ने उनकी कई कव्वालियों को कॉपी किया है. वहीं, जब एक पुराने इंटरव्यू में नुसरत फ़तेह अली खां से उनके गानों की कॉपी पर पूछा गया, तो जानिए उन्होंने क्या-क्या कहा.   

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं आर्टिकल  – Nusrat Fateh Ali Khan on Anu Malik 

किसे मिलना चाहिए बेस्ट कॉपी अवार्ड? 

Nusrat Fateh Ali Khan on Anu Malik: ज़ी टीवी पर एक पुराने साक्षात्कार में, जब नुसरत फ़तेह अली ख़ान से भारतीय संगीत निर्देशकों के बारे में पूछा गया, जो उनके काम से प्रेरित थे कि आपके गानों को सबसे बेस्ट किसने कॉपी किया, तो उन्होंने जवाब में कहा कि, “विजू शाह ने अच्छी कॉपी की और अनु मलिक ने भी मेरी अच्छी कॉपी की.”    

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Nusrat Fateh Ali Khan on Anu Malik : बता दें कि विजू शाह ने उनकी कव्वाली ‘दम मस्त कलंदर मस्त-मस्त’ को कॉपी कर ‘तू चीज़ बड़ी है मस्त-मस्त’ गाना बनाया था. वहीं, अनु मलिक ने उनकी कव्वाली ‘मेरा पिया घर आया ओ लाल नी’ से ‘मेरा पिया घर आया ओ रामजी’ गाना बनाया था.  

कितने घंटे करते हैं रियाज़?  

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इस पुराने इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि आप दिन में कितने घंटे रियाज़ करते हैं, तो नुसरत जी ने जवाब दिया कि, “जब तक मैं जागता हूं, मैं गाने के सिवा और कुछ नहीं सोचता.” साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि फ़्रांस और जापान में उनके गानों को काफ़ी पसंद किया जाता था. गानों का सूफ़ी अंदाज़ उन्हें पसंद आता था. 

बंटवारे से पहले जालंधर में रहता था परिवार  

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शहंशाह-ए-कव्वाली नुसरत फ़तेह अली खां का जन्म 13 अक्टूबर 1948 को पाकिस्तान के फ़ैसलाबाद में हुआ था. वहीं, भारत विभाजन से पहले उनका परिवार जालंधर में रहता था. उन्हें बचपन में परवेज नाम से पुकारा जाता था. वहीं, उनके पिता फ़तेह अली खां भी एक कव्वाल थे और जगह-जगह से लोग उनसे कव्वाली सीखने आया करते थे. 

पिता के कव्वाल होने की वजह से इसका असर बाल नुसरत पर भी पड़ा और उनकी भी दिलचस्पी कव्वाली के प्रति बढ़ गई. उनकी मदहोश करने वाली कव्वाली और सूफ़ी आवाज़ ने उन्हें देश-विदेश में पहुंचाने का काम किया.  

पिता चाहते थे कि बेटा डॉक्टर बने  

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जानकारी के अनुसार, नुसरत जी के पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने, लेकिन नुसरत जी तो गायक बनना चाहते थे. पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे नुसरत को गायकी की शुरुआती तालीम उनके घर से मिली. वहीं, कहा जाता है कि मात्र 16 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला स्टेज परफ़ॉर्मेंस दिया था.