सफलता की बुलंदी पर बैठा शख़्स लोगों के हुजूम से घिरा नज़र आता है, मगर जब ज़मीन पर गिरता है तो मालूम पड़ता है कि उसे सहारा देने वाला भी कोई नहीं है. ऐसा अक्सर होता है, भले ही आप कितने ही सफल इंसान क्यों ना हों. बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहलाने वाले राजेश खन्ना के साथ भी ऐसा ही हुआ था. उनकी ज़िंदगी में एक दौर ऐसा भी आया था, जब वो बेहद तन्हा हो गए थे. हालात यहां तक बन गए थे कि वो आत्महत्या करने का सोचने लगे थे.

koimoi

हर किसी की चाहत थे राजेश खन्ना

70 का दशक राजेश खन्ना की सफलता का शीर्ष था. ये वो दौर था, जब फ़िल्म की सक्सेस की गारंटी माने जाते थे. एक कहावत भी मशहूर थी कि ‘ऊपर आका, नीचे काका’.

लड़कियां भी राजेश खन्ना की झलक भर पाने को दीवानी थीं. राजेश खन्ना का घर फूलों के गुलदस्तों से भरा रहता था. उन्हें इतनी चिट्ठियां आती थीं कि उनको पढ़ने के लिए राजेश खन्ना को एक आदमी रखना पड़ा था. कुछ चिट्ठियां तो ख़ून से लिखी होती थीं.

bollywoodhungama

उदासी का दौर और 14 महीने की क़ैद

कहते हैं कि राजेश खन्ना को उनकी शादी ने तोड़ कर रख दिया था. दरअसल, उन्होंने डिंपल कपाड़िया से शादी की थी. राजेश चाहते थे कि डिंपल शादी के बाद फ़िल्मों में काम ना करें. इस बात को लेकर दोनों के बीच काफ़ी बहस होती थी.

शादी के एक दशक बाद दोनों के रिश्ते बेहत ख़राब हो गए थे. डिंपल ने राजेश खन्ना का घर छोड़ दिया था और वो अकेले ही रहने लगी थीं.

wwmindia

एक इंटरव्यू में राजेश खन्ना ने बताया था कि डिंपल से अलग होने के बाद वो एकदम अकेले पड़ गए थे. उन्होंने करीब 14 महीनों के लिए खुद को कैद कर लिया था. यहां तक उन्होंने नई फिल्में भी साइन करना बंंद कर दिया था. उनका दूसरों पर से ही नहीं खुद पर से भी भरोसा खत्म हो गया था. ये समय ऐसा था, जब वो हमेशा परेशान रहते थे और आत्महत्या करने की सोचने लगे थे.

आखिरी वक़्त में सबने छोड़ दिया साथ

जिस राजेश खन्ना के घर के आगे लोगों को हुजूम जमा होता था. उनका बंगला गुलदस्तों से भरा रहता था. वहां एक समय ऐसा आया कि एक फूल तक नज़र नहीं आता था. ना ही उनके इर्द-गिर्द कोई अपना था.

rediff

अपनी लाइफ़ एक ऐसे दौर को देख राजेश खन्ना बेहद भावुक हो गए थे. हालांकि, लोग इन सब बातों से ज़्यादा वाकिफ़ नहीं थे. इसीलिए, जब राजेश खन्ना लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड लेने अकेले पहुंचे थे, पूरा देश उन्हें देख कर हैरान रह गया था.

ये भी पढ़ें: ‘जवान’ या ‘पठान’ नहीं, ये थी विदेश में 100 करोड़ कमाने वाली पहली हिंदी फ़िल्म, 5 करोड़ रुपये था बजट