फ़िल्मों में तो कई बार एक्टर को लड़कियों को विलेन के चंगुल से छुड़ाते देखा है. रील लाइफ़ की ये कहानी बहुत कम ही एक्टर की रियल लाइफ़ कहानी बनती है. ऐसे बहुत ही कम हीरो हैं जिन्हें रियल लाइफ़ हीरो कहा जा सकता है. इन्हीं में से एक हैं सुनील शेट्टी (Suniel Shetty), जिन्होंने 27 साल पहले नेपाल में मानव तस्करी में फंसी 128 महिलाओं को छुड़ाकर साबित कर दिया था कि वो असल ज़िंदगी के हीरो हैं.
नेपाल ऐसा देश है जो मानव तस्करी की समस्या के दलदल में कई सालों से फंसा हैं. यहां पर ज़्यादातर 15-30 साल की उम्र वाली महिलाओं की तस्करी की जाती है, जिन्हें अलग-अलग देशों में जिश्मफ़रोशी के बाज़ार में बेच दिया जाता है. इन महिलाओं के हित में कई संस्थाएं काम करती हैं. इन्हीं महिलाओं को रेस्क्यू करने के लिए सुनील शेट्टी ने भी अपना हाथ आगे बढ़ाया.
दरअसल, सुनील ने नेपाल की इन सेक्स वर्कर को मुंबई से रेस्क्यू करके उन्हें अपने देश भेजा था. मामला, 5 फरवरी, 1996 का है, जब मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में जब रेड पड़ी तो उसमें पुलिस ने 456 सेक्स वर्कर्स को पकड़ा था. इनमें 128 नेपाल की थीं. नेपाल की इन महिलाओं की उम्र 15-30 साल की थीं. रेड में जब इन महिलाओं को पकड़ा गया तो भारत सरकार ने नेपाल सरकार से इन्हें वापस लेने को कहा मगर काग़ज़ात न होने की वजह से उन्हें वापस लेने से मना कर दिया.
नेपाल सरकार के इस इंकार ने इन महिलाओं की स्थिति ऐसी कर दी कि वो न भारत में रह सकती थीं और न नेपाल जै सकती थीं. ऐसे में अन्ना ने इन महिलाओं का मसीहा बनकर इनकी मदद के लिए आगे आए. अन्ना ने सभी 128 महिलाओं की फ़्लाइट की टिकट बुक कराई और इन्हें अपने घर वापस भेजा. इन महिलाओं को भेजने का सारा खर्च सुनील शेट्टी ने उठाया था.
सुनील शेट्टी ने अपने इस नेक काम के बारे में एक-दो नहीं बल्कि पूरे 24 साल तक किसी से कुछ नहीं कहा. मगर जिस तरह बुराई नहीं छुपती उसी तरह भलाई भी नहीं छुप पाती है. सुनील शेट्टी के इस नेक काम की जानकारी Vice India की डॉक्यूमेंट्री Sex Trafficking: Sex Trade in Nepal में मिली.
इस वीडियो में एक महिला जो उन्हीं 128 रेस्क्यूड नेपाली महिलाओं में से एक थी, उसने इस डॉक्यूमेंट्री के ज़रिये इस बात को शेयर किया. इस महिला का नाम चरिमाया तमांग (Charimaya Tamang) है. वो कहती हैं,
जब सरकार असमंजस में थी कि रेस्क्यू ऑपरेशन कैसे किया जाए, तो वो भारत के फ़िल्म हीरो सुनील शेट्टी ही थे जिन्होंने हमारा समर्थन किया. बिना किसी शोर के हमें हमारे घर वापस भेजा. मैं आज नेपाल में मानव तस्करी की शिकार हुई महिलाओं की हेल्प के लिए एक NGO चलाती हूं. 1996 में रेस्क्यू की गईं उन 128 महिलाओं का जीवन सुधारने वाले सुनील शेट्टी को हम सभी महिलाएं दिल से सैल्यूट करती हैं.
रेडियो सरगम से बात करते हुए, शेट्टी ने बताया कि,
उनकी मुलाक़ात एक बार चारिमाया तमांग से हुई थी और ये जानकर आश्चर्य हुआ कि वो उन रेस्क्यू की गई महिलाओं में से एक थीं और उन्होंने अपना एक NGO शुरू किया जहां यौन तस्करी से बची महिलाओं को शरण दी जाती है. ये वास्तव में मेरे लिए एक ख़ास पल था.
चारिमाया तमांग, Shakti Samuha के संस्थापक सदस्य में से एक हैं, जो नेपाल में स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है. इसे 1996 की रेड में रेस्क्यू की गईं महिलाओं ने शुरू किया था, जो यौन तस्करी के ख़िलाफ़ और बचे लोगों के पुनर्वास के लिए काम करता है.