तलत महमूद हिंदी सिनेमा के लेजेंड्री सिंगर थे. ग़ज़ल गायकी में अगर किसी का नाम सुनहरे अक्षरों में सबसे ऊपर लिखा जाएगा तो वो तलत साहब ही होंगे. जगजीत सिंह और पंकज उदास जैसे सिंगर भी उन्हें अपना उस्ताद मानते रहे हैं.

तलत ने अपने करियर में सैंकड़ों गानों और ग़ज़लों को अपनी आवाज़ से यादगार बना दिया था. मगर रफ़ी और किशोर कुमार जैसे सिंगर्स के दौर में उनकी गायकी को इंडस्ट्री ने बहुत नज़रअंदाज़ किया था. इसलिए वो देश-विदेश में जाकर कॉन्सर्ट करने लगे थे. उन्हें गाते हुए देखने और सुनने के लिए हज़ारों की भीड़ इक्कठा हो जाया करती थी.

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उन दिनों उनकी डिमांड बहुत ज़्यादा थी. कहते हैं कि एक बार अफ़्रीका में शो करने गए तलत साहब को 6 कि जगह 25 शो करने पड़ गए थे. उनकी कुछ यादगार ग़ज़लें हैं, ‘हमसे आया न गया’, ‘शाम-ए-गम की कसम’, ‘जाएं तो जाएं कहां’, ‘ऐ मेरे दिल कहीं और चल’, ‘जलते हैं जिसके लिए.’ 

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मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहां और तलत महमूद दोनों को लगभग एक साथ ही शोहरत मिली थी. दोनों के गाए हुए गीत लोगों को एक दौर में इतने पसंद आते थे कि लोग हज़ारों की तादाद में इनका लाइव सो देखने पहुंच जाया करते थे. मगर दोनों को एक साथ गाते हुए देखने का मौक़ा कभी नहीं मिला. एक बार संयोग हुआ भी. नूरजहां ने उन्हें अपने साथ गाने का ऑफ़र दिया था मगर तलत साहब ने इसे ठुकरा दिया था.

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दरअसल हुआ यूं कि एक बार तलत महमूद साहब एक कॉन्सर्ट करने लाहौर गए हुए थे. 1961 में ये शो कराची में शेड्यूल था और इसकी टिकटें मिनटों में बिक गई थीं. कहते हैं इस शो में क़रीब 58 हज़ार तलत के फ़ैंस मौजूद थे. उनका शोर लाहौर में एक शो कर रही नूरजहां तक भी पहुंचा.

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तब उन्होंने सोचा क्यों न दोनों एक साथ एक शो करें, तो दर्शकों को कितना अच्छा लगेगा. उन्होंने अगले ही दिन तलत को साथ शो करने का आमंत्रण भेज दिया. इसमें उन्होंने तलत साहब को लाहौर आने को कहा था. चूंकि तलत साहब का शेड्यूल पहले से ही तय था तो उन्होंने लाहौर जाने से इंकार कर दिया. नूरजहां ने सोचा कि शायद उन्हें अपनी फ़ीस की चिंता होगी.

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तब नूरजहां ने अपने एक आदमी के हाथ एक ब्लैंक चेक उन्हें भिजवा दिया और कहलवा दिया कि वो इसमें मनचाही रक़म भर सकते हैं. तलत साहब ने समय न होने के चलते उनका ये ऑफ़र भी बड़े ही अदब के साथ ठुकरा दिया. इस तरह संगीत की दुनिया के दो महान कलाकारों को एक साथ सुनने का मौक़ा लोगों को मिलते-मिलते रह गया है.

तलत साहब और नूरजहां से जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां पढ़ सकते हैं. 

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