बॉलीवुड फ़िल्मों में संगीत का विशेष महत्व रहा है. हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर से ही गाने फ़िल्मों का अहम हिस्सा रहे हैं. सन 1932 में भारतीय सिनेमा इतिहास की एक ऐसी फ़िल्म रिलीज़ हुई थी जिसमें 71 गाने थे. इस फ़िल्म के नाम आज भी सबसे अधिक गानों का रिकॉर्ड है.
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सन 1932 में रिलीज़ हुए इस फ़िल्म का नाम ‘इंद्र सभा’ था. ये फ़िल्म 3 घंटे 31 मिनट (211 मिनट) लंबी थी. इसमें 31 गज़लें, 9 ठुमरी, 4 होली गीत, 15 गीत, 2 चौबोला, 5 छन्द व 5 अन्य गाने समेत कुल कुल 71 गाने थे. ‘इंद्र सभा’ भारतीय सिनेमा कि पहली बोलने वाली फ़िल्म थी. इस फ़िल्म को Madan Theatres Ltd ने बनाया था. इसके पहले ‘आलम आरा’ सन 1931 में रिलीज़ हुई थी जोकि पहली ध्वनिपूर्ण फ़िल्म थी.
दरअसल, ये फ़िल्म उर्दू के नाटक ‘इंदर सभा’ पर आधिरित है. इसे सबसे पहले सन 1853 में मंच पर प्रस्तुत किया गया था. ये अवध (लखनऊ) के नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में दो पीढ़ियों तक खेला गया. इसे अवध दरबार से संबंध रखने वाले लेखक और कवि आगा हसन अमानत ने लिखा था.
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सन 1925 में इस नाटक पर आधिरित एक मूक फ़िल्म बन चुकी है. इसके बाद सन 1932 में मदन थियेटर ने इस पर आधारित फ़िल्म ‘इंद्र सभा’ बनाई. इसके बाद सन 1936 में हिंदी फ़िल्म ‘इंद्र सभा’ से प्रेरित तमिल फ़िल्म ‘इंद्रसभा’ बनी थी.
इस फ़िल्म के नाम से तो आप समझ ही गए होंगे कि इसकी कहानी क्या होगी? फ़िल्म की शुरुआत में देवताओं के राजा इंद्र दरबार में प्रवेश करते हैं और कहते हैं.’राजा हूं मैं कौम का और इंदर मेरा नाम, बिन परियों की दीद के मुझे नहीं आराम’.
क्या है फ़िल्म की कहानी?
ये एक राजा की कहानी है जो अत्यंत ही दयावान है. इस दौरान स्वर्ग की ‘इंद्रसभा’ की एक अप्सरा उसकी परीक्षा लेती है. इस दौरान अप्सरा को राजकुमार से प्रेम हो जाता है. इस दौरान कहानी से ज़्यादा ज़ोर गाने बजाने पर दिया गया है.
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इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार मास्टर निस्सार और जेहराना कज्जन थे. इसमें जेहराना कज्जन (सब्ज़ परी), अब्दुल रहमान काबुली (कला देव), सिल्विया बेल (पुखराज परी) और मास्टर निसार (गुलफाम) का किरदार निभाया था. इस फ़िल्म के निर्देशक जे जे मदन थे. जबकि इसमें संगीत नागरदास नायक ने दिया था.
इसके बाद सन 1956 में भी ‘इंद्र सभा’ नाम की एक और फ़िल्म बनी थी. इस फ़िल्म का निर्देशन Nanubhai B ने किया था.